प्रिय मित्रों
शिक्षक दिवस यानी Teachers Day आने वाला है 🙂 . 5 सितम्बर 2023 को पूरे भारत में हम बड़ी धूम-धाम के साथ टीचर्स डे मनाएंगे. इस अवसर पर आज हम आपके लिए – Teachers Day Speech in Hindi और Teachers Day Essay in Hindi की एक combined post लेकर आये हैं.
सरल शब्दों में लिखा ये भाषण व निबंध निश्चित ही आपको अपनी तैयारी में मदद कर सकता है और आपके शिक्षकों को प्रभावित कर सकता है.
आपकी आसानी के लिए हमने Shikashak Divas Par Bhashan व Nibandh में जगह-जगह कुछ Tips 💡 भी दिए हैं, जो आपकी preparation को और भी better बना सकते हैं. तो आइये देखते हैं –
शिक्षक दिवस पर भाषण व निबंध
Teachers Day Speech & Essay in Hindi
भाषण व निबंध का प्रारंभ
देवो रुष्टे गुरुस्त्राता गुरो रुष्टे न कश्चन:.
गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता न संशयः..
अर्थात:- भाग्य रूठ जाए तो गुरु रक्षा करता है, गुरु रूठ जाए तो कोई नहीं होता. गुरु ही रक्षक है, गुरु ही रक्षक है, गुरु ही रक्षक है, इसमें कोई संदेह नहीं.
माननीय मुख्य अतिथि, आदरणीय प्राचार्य महोदय, सम्म्मानित शिक्षकगण और मेरे प्यारे मित्रों,
➡ ( 💡 निबंध में ऊपर वाली लाइन ना लिखें , साथ ही जगह-जगह ” मित्रों ” का प्रयोग ना करें. भाषण व निबंध में बाकी सारी चीजें same रहेंगी)
💡 Note: आप ऊपर दिए गए श्लोक की जगह इस श्लोक को भी प्रयोग कर सकते हैं –
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः
पर यह यह श्लोक बहुत लोगों द्वारा प्रयोग किया जाता है इसलिए “देवो रुष्टे गुरुस्त्राता…” श्लोक का प्रयोग बेहतर रहेगा.
सर्वप्रथम शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर मैं आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं देता हूँ.
हमारे जीवन में एक शिक्षक कितना महत्त्वपूर्ण होता है इस बात को एलेक्जेंडर महान के इन शब्दों से समझा जा सकता है. एलेक्जेंडर ने कहा था –
मैं जीने के लिए अपने पिता का ऋणी हूँ, पर अच्छे से जीने के लिए अपने गुरु का.
Watch Teachers Day Speech in Hindi on YouTube
मित्रों, भारत भूमि पर अनेक विभूतियों ने अपने ज्ञान से हम सभी का मार्ग दर्शन किया है. उन्ही में से एक महान विभूति शिक्षाविद्, दार्शनिक, महानवक्ता एवं आस्थावान विचारक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है. और उन्ही के जन्मदिन को हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं.
डॉ. राधाकृष्णन की मान्यता थी कि –
यदि सही तरीके से शिक्षा दी जाए तो समाज की अनेक बुराईयों को मिटाया जा सकता है.
- Related:
- डॉ. राधाकृष्णन की जीवनी ( Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography in Hindi )
- डॉ. राधाकृष्णन के अनमोल विचार ( Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Quotes in Hindi )
ऐसी महान विभूति का जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाना हम सभी के लिये गौरव की बात है. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के व्यक्तित्व का ही असर था कि 1952 में उनके लिये संविधान के अंतर्गत उपराष्ट्रपति का पद सृजित किया गया और वे 1952 में भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति बने. 1952 से 1962 तक उप-राष्ट्रपति पद पर रहने के बाद वे 1962 में भारत के द्वितीय राष्ट्रपति बने.
शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत
स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन जब 1962 में राष्ट्रपति बने तब कुछ शिष्यों एवं प्रशंसकों ने उनसे निवेदन किया कि वे उनका जनमदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाना चाहते हैं.
तब डॉ. राधाकृष्णन ने कहा कि मेरे जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने से मैं अपने आप को गौरवान्वित महसूस करूंगा. तभी से 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
देश भर के छात्र इस दिन को अपने शिक्षकों को विशेष सम्मान और धन्यवाद देने के लिए मनाते हैं।
कहा जाता है कि – Teaching is a noble profession यानी शिक्षण एक महान पेशा है. और मैं ये भी कहना चाहूँगा कि यह वह माहन प्रोफेशन है जो बाकी सभी प्रोफेश्न्स की नीव है.
निश्चित ही अगर शिक्षक नहीं होते, टीचर नहीं होते, तो डॉक्टर नहीं होते, इंजिनियर नहीं होते, हर तरफ अशिक्षा और अज्ञानता का वास होता.
इसमें कोई शक नहीं कि शिक्षक ही हमारे समाज की रीढ़ की हड्डी हैं। वे छात्रों के व्यक्तित्व को आकार दे उन्हें देश का आदर्श नागरिक बनाते हैं।
मित्रों, ये कहना अतिशयोक्ति नही होगी कि –
- अगर द्रोणाचार्य नहीं होते तो अर्जुन नहीं होता
- अगर रामकृष्ण नहीं होते तो विवेकानंद नहीं होता
- अगर आचरेकर नहीं होते तो तेंदुलकर नहीं होता
साधारण पौधे रूपी मनुष्यों को सींच कर एक विशाल वृक्ष बनाने वाले महान शिक्षकों को मैं बारम्बार नमन करता हूँ और चंद पंक्तियों के साथ अपनी बात समाप्त करता हूँ-
गुरु की उर्जा सूर्य-सी, अम्बर-सा विस्तार.
गुरु की गरिमा से बड़ा, नहीं कहीं आकार.
गुरु का सद्सान्निध्य ही,जग में हैं उपहार.
प्रस्तर को क्षण-क्षण गढ़े, मूरत हो तैयार.
धन्यवाद!
जय हिन्द
——-
➡ Note: इतना लम्बा भाषण या निबंध छात्रों के लिए पर्याप्त है, लेकिन यदि आप और लम्बा भाषण देना चाहते हैं तो आगे की बातें अपनी Teachers Day Speech in Hindi / Teachers Day Essay in Hindi में शामिल कर सकते हैं. इसके लिए आप इस लाइन ”
……तो तेंदुलकर नहीं होता .
के आगे से यहाँ से बोलें / लिखें —
टीचर्स डे स्पीच इन हिंदी / टीचर्स डे ऐस्से इन हिंदी
Teachers Day Speech in Hindi / Teachers Day Essay in Hindi continued…
मित्रों, आज शिक्षक दिवस ( Teachers Day in Hindi ) के अवसर पर मैं डॉ. राधाकृष्णन से जुड़ा एक रोचक किस्सा आपसे ज़रूर साझा करना चाहूँगा.
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन : एक महान व्यक्तित्व
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ज्ञान के सागर थे. उनकी हाजिर जवाबी का एक किस्सा आपसे share कर रहा हूँ—
एक बार एक प्रीतिभोज के अवसर पर अंग्रेजों की तारीफ करते हुए एक अंग्रेज ने कहा –
ईश्वर हम अंग्रेजों को बहुत प्यार करता है. उसने हमारा निर्माण बड़े यत्न और स्नेह से किया है. इसी नाते हम सभी इतने गोरे और सुंदर हैं.
उस सभा में डॉ. राधाकृष्णन भी उपस्थित थे. उन्हे ये बात अच्छी नही लगी अतः उन्होने उपस्थित मित्रों को संबोधित करते हुए एक मनगढंत किस्सा सुनाया—
“मित्रों, एक बार ईश्वर को रोटी बनाने का मन हुआ उन्होने जो पहली रोटी बनाई, वह जरा कम सिकी. परिणामस्वरूप अंग्रेजों का जन्म हुआ.
दूसरी रोटी कच्ची न रह जाए, इस नाते भगवान ने उसे ज्यादा देर तक सेंका और वह जल गई. इससे निग्रो लोग पैदा हुए.
मगर इस बार भगवान जरा चौकन्ने हो गये. वह ठीक से रोटी पकाने लगे. इस बार जो रोटी बनी वो न ज्यादा पकी थी न ज्यादा कच्ची. ठीक सिकी थी और परिणाम स्वरूप हम भारतीयों का जन्म हुआ.”
ये किस्सा सुनकर उस अंग्रेज का सिर शर्म से झुक गया और बाकी लोगों का हँसते-हँसते बुरा हाल हो गया.
मित्रों, ऐसे संस्कारिक एवं शिष्ट उत्तर से किसी को आहत किये बिना डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने भारतीयों को श्रेष्ठ बना दिया. उनका मानना था कि व्यक्ति निर्माण एवं चरित्र निर्माण में शिक्षा का विशेष योगदान है.
वैश्विक शान्ति, वैश्विक समृद्धि एवं वैश्विक सौहार्द में शिक्षा का महत्व अतिविशेष है. उच्चकोटी के शिक्षाविद् डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को 1954 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति महामहीम डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत रत्न से सम्मानित किया.
- Related: गुरु का स्थान – शिक्षक दिवस पर कहानी
डॉ. राधाकृष्णन कहा करते थे-
पुस्तकें वो साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं.
मित्रों, महामहीम राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के महान विचारों को ध्यान में रखते हुए शिक्षक दिवस के पुनीत अवसर पर हम सब ये प्रण करें कि शिक्षा की ज्योति को ईमानदारी से अपने जीवन में आत्मसात करेंगे क्योंकि शिक्षा किसी में भेद नही करती, जो इसके महत्व को समझ जाता है वो अपने भविष्य को सुनहरा बना लेता है.
अंत में मैं एक बार फिर यहाँ उपस्थित सभी शिक्षकों का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ और चंद पंक्तियों के साथ अपनी बात समाप्त करता हूँ-
गुरु की उर्जा सूर्य-सी, अम्बर-सा विस्तार.
गुरु की गरिमा से बड़ा, नहीं कहीं आकार.
गुरु का सद्सान्निध्य ही,जग में हैं उपहार.
प्रस्तर को क्षण-क्षण गढ़े, मूरत हो तैयार.
धन्यवाद !
अनिता शर्मा
YouTube Channel: Anita Sharma Visit for Educational & Inspirational Videos
Blog: रौशन सवेरा
E-mail Id: [email protected]
अनिता जी दृष्टिबाधित लोगों की सेवा में तत्पर हैं. उनके बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें – नेत्रहीन लोगों के जीवन में प्रकाश बिखेरती अनिता शर्मा और उनसे जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.
टीचर्स डे से सम्बंधित अन्य पोस्ट्स :
- शिक्षक दिवस पर भाषण व निबन्ध
- 55 शिक्षक दिवस बधाई सन्देश – ऐसे विश करें टीचर्स डे पर
- महान शिक्षाविद डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन – जीवन परिचय
- शिक्षकों के बारे में 55 प्रेरक कथन
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनमोल विचार
- गुरु का स्थान – शिक्षक दिवस पर प्रेरक कहानी
- किताबों पर महान व्यक्तियों के विचार
- गुरु- शिक्षक दिवस पर प्रेरक कविता
- किताबों पर प्रेरक विचार
- आज के परिपेक्ष में शिक्षक दिवस का महत्व
- भोला की चिट्ठी – शिष्य का गुरु को मर्मस्पर्शी पत्र
- शिक्षा पर 31 अनमोल कथन
———————
🙂 HAPPY TEACHER’s DAY 🙂
I am grateful to Anita Ji for sharing this wonderful write up on Teacher’s Day in Hindi with AKC.
Note: The article shared here may be used for Teachers Day Essay in Hindi / Teachers Day Speech in Hindi by Student.
यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है:[email protected].पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!
Ravi Ranjan says
THERE ARE TWO TYPES OF TEACHER’S
i) WHO GIVES SUBJECTIVE KNOWLEDGE .
ii)WHO GIVES SPIRITUAL KNOWLEDGE.
I THINK THE TEACHER WHO GIVES SPIRITUAL KNOWLEDGE,IS A PERFECT TEACHER.
fahad shaikh says
happy teachers day too my four teacher’s MISS ADITI REGE, SIR BABU,MISS MADHURI AND MISS SHILPA NAIR. your first teachers is your MOTHER AND YOUR FAMILY MEMBERS. HAPPY TEACHERS DAY TO all the teachers in world AND REMEMBER YOUR FISRT AND LAST TEACHER IS YOUR MOTHER,MOTHER, MOTHER.
ruchi says
nice speech and all teachers wish u a very very very happy teachers day
pardeep says
शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करे – डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
alok tandan says
sabhi sikshak ke samman me harek pal
Ramakant Sharma says
Happy Techers Day 2013.
soma raam says
happy teachers day 2 all guruji ………………….
arun gaur says
happy teacher’s day to all teacher’s in the world
arhan abid says
very very happy teacher’s day from bottom of my Heart
md akmal; huda. says
waqt bhi imtehan leta hai aur teacher bhi
lekin farq bas itna hai ki teacher sikha k imtehan leta hai
waqt imtehan le kr sikhata hai.
Gopal Mishra says
…kya baat hai akmal ji.
r.usharoy says
In India 5th September is celebrated as Teachers’ day. 5th September is the birthday of a great teacher Dr. Sarvapalli Radhakrishnan. When Dr. Radhakrishnan became the president of India in 1962, some of his students and friends approached him and requested him to allow them to celebrate 5th September, his “birthday”. In reply, Dr, Radhakrishnan said, “instead of celebrating my birthday separately, it would be my proud privilege if September 5 is observed as Teachers’ day”. The request showed Dr.Radhakrishnan’s love for the teaching profession. From then onwards, the day has been observed as Teachers’ Day in India.
Gopal Mishra says
Thanks for this.
md akmal; huda. says
meri bachpan ki teacher meri maa hai
kyun ki teacher kuch bhi sikhaye lekin bachpn se lekar bhudape tak
sari batein mujhe maa se hi malum hui