कुछ दिनों पहले मेरे एक अच्छे दोस्त ने मेरे साथ एक बड़ी ही interesting post share की जिसमे Google CEO Sundar Pichai की speech से ली गयी एक story का जिक्र था। ये स्टोरी self-development पर focused थी और इसे title दिया गया था- “The cockroach theory for self development.”
आज मैं आपके साथ इसी कहानी का Hindi version share कर रहा हूँ:
कॉकरोच थ्योरी फॉर सेल्फ-डेवलपमेंट
(Cockroach Theory in Hindi)
एक रेस्टोरेंट में अचानक ही एक कॉकरोच उड़ते हुए आया और एक महिला की कलाई पर बैठ गया।
महिला भयभीत हो गयी और उछल-उछल कर चिल्लाने लगी…कॉकरोच…कॉकरोच…
उसे इस तरह घबराया देख उसके साथ आये बाकी लोग भी पैनिक हो गए …इस आपाधापी में महिला ने एक बार तेजी से हाथ झटका और कॉकरोच उसकी कलाई से छटक कर उसके साथ ही आई एक दूसरी महिला के ऊपर जा गिरा। अब इस महिला के चिल्लाने की बारी थी…वो भी पहली महिला की तरह ही घबरा गयी और जोर-जोर से चिल्लाने लगी!
दूर खड़ा वेटर ये सब देख रहा था, वह महिला की मदद के लिए उसके करीब पहुंचा कि तभी कॉकरोच उड़ कर उसी के कंधे पर जा बैठा।
वेटर चुपचाप खड़ा रहा। मानो उसे इससे कोई फर्क ही ना पड़ा, वह ध्यान से कॉकरोच की गतिविधियाँ देखने लगा और एक सही मौका देख कर उसने पास रखा नैपकिन पेपर उठाया और कॉकरोच को पकड़ कर बाहर फेंक दिया।
मैं वहां बैठ कर कॉफ़ी पी रहा था और ये सब देखकर मेरे मन में एक सवाल आया….क्या उन महिलाओं के साथ जो कुछ भी हुआ उसके लिए वो कॉकरोच जिम्मेदार था?
यदि हाँ, तो भला वो वेटर क्यों नहीं घबराया?
बल्कि उसने तो बिना परेशान हुए पूरी सिचुएशन को पेर्फेक्ट्ली हैंडल किया।
दरअसल, वो कॉकरोच नहीं था, बल्कि वो उन औरतों की अक्षमता थी जो कॉकरोच द्वारा पैदा की गयी स्थिति को संभाल नहीं पायीं।
मैंने रियलाइज़ किया है कि ये मेरे पिता, मेरे बॉस या मेरी वाइफ का चिल्लाना नहीं है जो मुझे डिस्टर्ब करता है, बल्कि उनके चिल्लाने से पैदा हुई डिस्टर्बेंस को हैंडल ना कर पाने की मेरी काबिलियत है जो मुझे डिस्टर्ब करती है।
ये रोड पे लगा ट्रैफिक जाम नहीं है जो मुझे परेशान करता है बल्कि जाम लगने से पैदा हुई परेशानी से डील ना कर पाने की मेरी अक्षमता है जो मुझे परेशान करती है।
यानि problems से कहीं अधिक, मेरा उन problems पर reaction है जो मुझे वास्तव में परेशान करता है।
मैं इससे क्या सीखता हूँ?
मैं सीखता हूँ कि मुझे लाइफ में react नहीं respond करना चाहिए।
महिलाओं ने कॉकरोच की मौजूदगी पर react किया था जबकि वेटर ने respond किया था… रिएक्शन हमेशा instinctive होता है …बिना सोचे-समझे किया जाता है जबकि response सोच समझ कर की जाने वाली चीज है।
जीवन को समझने का एक सुन्दर तरीका-
जो लोग सुखी हैं वे इसलिए सुखी नहीं हैं क्योंकि उनके जीवन में सबकुछ सही है…वो इसलिए सुखी हैं क्योंकि उनके जीवन में जो कुछ भी होता है उसके प्रति उनका attitude सही होता है।
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दोस्तों, महान साइकेट्रिस्ट Viktor Frankl का भी कहना था-
Stimulus और response के बीच में एक space होता है। उसी space में हमारे पास अपना response चुनने की शक्ति होती है। और हमारे रिस्पोंस में ही हमारी growth और हमारी स्वतंत्रता निहित है।
फ्रेंड्स, ये स्टोरी पिछले कुछ सालों से इन्टरनेट पर चल रही है, हालांकि इसे Google CEO Sundar Pichai की स्पीच का हिस्सा बताया जाता है पर इस बात के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं हैं। खैर, ये matter नही करता कि इसे किसने, कब, कहाँ सुनाया…. matter इस कहानी से मिलने वाली सीख करती है।
आप इस बारे में क्या सोचते हैं? क्या आप इस बात से agree करते हैं कि हमें life में हमेशा respond करना चाहिए….react नहीं? या कभी-कभी रियेक्ट करना ही बेस्ट रिसपॉन्स होता है?
मैं इसलिए ये सब पूछ रहा हूँ क्योंकि जब मैंने Linkedin पर “Cockroach Theory- A beautiful speech by Sundar Pichai” देखा तो वहां मुझे इतने सारे interesting comments मिले कि स्टोरी से भी ज्यादा मजा उन कमेंट्स को पढने में आया।
आप भी वहां पर जाकर कमेंट्स पढ़ें पर उससे पहले please इस स्टोरी पर कमेन्ट के माध्यम से अपनी राय बताएं!
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Thanks
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gopal lal says
Muje to mja aa gya pd kr ye story
shivraj says
this is meanful….learn us for living a peaceful life.
Akhilesh Kumar says
Kass ki mai yah story 30min pahle padhi hoti,khair, yah to samajh me aaya ki Meri paresani ka karan opposite situation nahi balki, use handle na kar pane ki meri ayogyata hai.
Bhoopendra singh says
Nice story..
Rahul Raikwar says
Well well well…!
A very nyc story
I think it is depend on situation.
kuch din pehle hi meri ek police wale se behas ho gyi thi
apki story parh kar lagta hai mujhe us situation pr response karna tha na ki react…
😛
RAJEEV says
Sir, ‘Cockroach theory in Hindi’ I like it very much and I think we should always respond in our life to get excellent results.
Regards,
RAJEEV
Narinder singh says
I every like sir,,,,this story….
sunil kumar bari says
यह कहानी आपके व्यक्तित्व के 1 गुण को उजागर करती है या एक कमजोरी को और अपने को परखने का मौका देती है धन्यवाद
Aasanlife says
हाँ हमें अपने Life के problems के प्रति responsive होना चाहिए ,किसी भी समस्या के हल पर ध्यान देना चाहिए ।
Nikhil Jain says
बढ़िया कहानी…….इसके बारे में मैंने भी Facebook पर पढ़ा था कि सुन्दर पिचाई द्वारा speech में बताई गयी थी।