पहाड़ से ऊँचा आदमी – Dashrath Manjhi
आज AchhiKhabar.Com पर हम आपको मिलवायेंगे एक ऐसे महान व्यक्ति से जिसके बारे मे सुन कर यकीं नहीं होता कि इस धरती पर ऐसे इंसान भी जन्म लेते हैं.ऐसा साहस, ऐसी दृढ इच्छा शक्ति, ऐसा संयम जो आपने शायद ही पहले किसी और व्यक्ति में देखा होगा.तो आइये मिलते हैं अच्छीख़बर.कॉम के इस महान REAL HERO से.
आपने कई बार लोगों को यह कहते सुना होगा कि “अगर इंसान चाहे तो वह पहाड़ को भी हिला कर दिखा सकता है” .और आज हम आपको ऐसे ही व्यक्ति से रूबरू करा रहे हैं जिन्होंने अकेले दम पर सच-मुच पहाड़ को हिला कर दिखा दिया है.
मैं बात कर रहा हूँ गया (Gaya) जिले के एक अति पिछड़े गांव गहलौर(Gahlaur) में रहनेवाले Dashrath Manjhi ( दशरथ मांझी) की। गहलौर एक ऐसी जगह है जहाँ पानी के लिए भी लोगों को तीन किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था. वहीँ अपने परिवार के साथ एक छोटे से झोपड़े में रहने वाले पेशे से मजदूर श्री Dasrath Manjhi ने गहलौर पहाड़ को अकेले दम पर चीर कर 360 फीट लंबा और 30 फीट चौड़ा रास्ता बना दिया. इसकी वजह से गया जिले के अत्री और वजीरगंज ब्लाक के बीच कि दूरी 80 किलोमीटर से घट कर मात्र 3 किलोमीटर रह गयी. ज़ाहिर है इससे उनके गांव वालों को काफी सहूलियत हो गयी.
और इस पहाड़ जैसे काम को करने के लिए उन्होंने किसी dynamite या मशीन का इस्तेमाल नहीं किया, उन्होंने तो सिर्फ अपनी छेनी-हथौड़ी से ही ये कारनामा कर दिखाया. इस काम को करने के लिए उन्होंने ना जाने कितनी ही दिक्कतों का सामना किया, कभी लोग उन्हें पागल कहते तो कभी सनकी, यहाँ तक कि घर वालों ने भी शुरू में उनका काफी विरोध किया पर अपनी धुन के पक्के Dasrath Manjhi ने किसी की न सुनी और एक बार जो छेनी-हथौड़ी उठाई तो बाईस साल बाद ही उसे छोड़ा.जी हाँ सन 1960 जब वो 25 साल के भी नहीं थे, तबसे हाथ में छेनी-हथौड़ी लिये वे बाइस साल पहाड़ काटते रहे। रात-दिन,आंधी-पानी की चिंता किये बिना Dashrath Manjhi नामुमकिन को मुमकिन करने में जुटे रहे. अंतत: पहाड़ को झुकना ही पड़ा. 22 साल (1960-1982) के अथक परिश्रम के बाद ही उनका यह कार्य पूर्ण हुआ. पर उन्हें हमेशा यह अफ़सोस रहा कि जिस पत्नी कि परेशानियों को देखकर उनके मन में यह काम करने का जज्बा आया अब वही उनके बनाये इस रस्ते पर चलने के लिए जीवित नहीं थी.
दशरथ जी के इस कारनामे के बाद दुनिया उन्हें Mountain Cutter और Mountain Man के नाम से भी जानने लगी. वैसे पहले भी रेल पटरी के सहारे गया से पैदल दिल्ली यात्रा कर जगजीवन राम और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलनेका अद्भुत कार्य भी दशरथ मांझी ने किया था. पर पहाड़ चीरने के आश्चर्यजनक काम के बाद इन कामों का क्या महत्व रह जाता है?
हम यहां पर आपको दिखा रहे हैं हिंदी दैनिकहिंदुस्तान में छपादशरथ मांझीजी का interview.
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We appreciate Hindustan News Paper reporter Vijay Kumar for covering this inspiring good news in Hindi.
सन 1934 में जन्मे श्री दशरथ मांझी का देहांत 18 अगस्त 2007 को कैंसर की बीमारी से लड़ते हुए दिल्ली के AIIMS अस्पताल में हुआ.इनका अंतिम संस्कार बिहार सरकार द्वारा राजकीय सम्मान के साथ किया गया. भले ही वो आज हमारे बीच न हों पर उनका यह अद्भुत कार्य आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा .
क्या सन्देश देती है दशरथ मांझी कि ये मिसाल :
- अगर इंसान चाहे तो सच-मुच पहाड़ हिला सकता है. वह कोई भी बड़ा से बड़ा असंभव दिखने वाला काम कर सकता है.
- सफलता पाने के लिए ज़रूरी है की हम अपने प्रयास में निरंतर जुटे रहे . बहुत से लोग कभी इस बात को नहीं जान पाते हैं कि जब उन्होंने अपने प्रयास छोड़े तो वह सफलता के कितने करीब थे.
- सफल होने के लिए संयम बहुत ज़रूरी है. जिंदगी के बाईस साल तक कठोर मेहनत करने के बाद फल मिला दशरथ जी को.
- कौन कहता है कि “अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता” …. फोड़ सकता है.
- निश्छल मन से समाज के लिए काम करने वाले कर्मयोगी अवश्य सफल होते हैं और ऐसे व्यक्ति ही इश्वर के सबसे करीब होते हैं.
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khe tsingh sodha says
aapki mehenat or lagan ko
mera salam
…
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kundan thakur says
Aapke is mehnat aur junoon ko mere salaam…..Bharat mata ki jay….
kartik tyagi says
Aap ke waga sa ma neuro sergon ban pay a thank you change my life
super human hard work is the key of success dhasrath majhi my hero
Biswajeet das says
Kya ise pyar kehte hai.. kya ashiq ap jaise ko kehte hai. Apko aur apki mohabbat ko meri aur se salute. Kya khoya apne aur kya paya ye to sirf ap or ap hi jante hai.. hum to kabhi wo samajh hi nhi payenge.. love u and miss you!
Dharmvir singh agra says
Wonderful! Really unique task in this world. I prostrate such a great person.you are really a link of the chain which is incredible india.
shashi says
डाटा लिखते हुए सावधानी बरतनी चाहिए, आपने लिखा कि जब वो 25 साल के भी नहीं थे तब ही पहाड़ काटने में जुट गए थे.
Ashish kumar upadhyay says
Ek junun ek sahas ek himmat dene ka sukriya..
u r really Great..salute u and ur love..
Aapki mohhabat ne hmari duniya badal di..
Jine ka maksad badal dala..
salute again..
gagan sachdeva says
Dil se salute aapko dashrath manjhi…..shat shat naman..
Faheem Shekh says
Allah ink zannat nasib farmay inko bharatratn melna chahiy tha
Mukesh kumar says
Yahi h sahi me bharat ratna