इंसान चाहे तो क्या नहीं कर सकता !
इंसान चाहे तो क्या नहीं कर सकता !! इस बात को हम शायद सैकड़ों बार सुन चुके हों , पर इस पर गौर कम ही करते हैं . और खुद ऐसा इंसान बनने का प्रयास तो गिने -चुने ही लोग करते हैं .
Mountain Man Dasharth Manjhi जी के बारे में लिखने के बहुत दिनों बाद कल मुझे एक और कर्मयोगी के बारे में पता चला और आज AchhiKhabar.Com(AKC) पर मैं आपको उन्ही के बारे में बता रहा हूँ..
उनका नाम है Jadav Payeng (जादव पायेंग), Assam के एक छोटे से गाँव Jorhat में रहने वाले इस माहन इंसान ने वो कर दिखाया है जो बड़ी -बड़ी environmental conferences और seminars में part लेने वाले scientists और environmentalist शायद सोच भी नहीं सकते.
जी हाँ , जादव जी ने अपने अदम्य साहस ,त्याग और इच्छा शक्ति का परिचय देते हुए तीस साल की कड़ी मेहनत के बल पर sandbar( रेती) के ढेर को जंगल बना दिया है . इनके बारे में मुझे कल के Times of India से पता चला , और इस news को पढ़ते ही मेरा सर इनके सम्मान में झुक गया , मैं ऐसे निस्वार्थ भाव से प्रकृति की सेवा करने वाले कर्मठ पुरुष को शत-शत नमन करता हूँ .
आइये जानते हैं उनकी कहानी :
जब Jadav Payeng 16 साल के थे (Year 1979) उसी समय एक तूफ़ान से Brahmaputra नदी के बीच बना एक 550 hectare Sandbar तबाह हो गया , उसपे एक भी पेड़ -पौधे नहीं बचे और जीव जंतु भी मर गए . Jadav जी जब वहां पहुंचे तो उन्होंने मरे हुए साँपों को देखा , जो कड़कती धुप में छाँव ना मिलने के कारण मर गए थे . उसके बाद उन्होंने Forest Department से मिलकर वहां plantation की बात की , पर as expected उन्हें कोई ख़ास मदद नहीं मिली , और ये कहा गया की वहां पेड़ -पौधे उगाना संभव नहीं है , हो सके तो बांस लगा कर देखो . तब किशोर जादव ने खुद ही निश्चय किया कि अब वो ये काम अकेले करेंगे और , अपना घर बार छोड़ कर उस sandbar पर रहने लगे, वहां पेड़ पौधे लगाते रहे , और दिन रात उनकी देख -भाल करते रहे .
ये काम उन्होंने लगातार तीस साल तक किया , और उस sandbar को एक जंगल में बदल दिया . आज इस जंगल में बहुत सारे विलुप्त प्राय जीव -जंतु , हिरन , पक्षी , गैंडे , और 3-4 बाघ भी रहते हैं . इस जंगल का पता हाल ही में , 2008 में सरकारी अधिकारियों को तब लगा जब वो लगभग 100 हाथियों के झुण्ड , जिसने एक गाँव को तबाह कर दिया था ; को खोजते हुए वहां पहुंचे . इस वीराने sandbar में इतने बड़े जंगल को देख कर वो स्तब्ध रह गए , और तभी पहली बार वे Jadav Payeng से मिले .
बहुत से लोगों ने वहां रह रहे जानवरों को मारने और जंगल को उजाड़ने की कोशिश की लेकिन Jadav ने उन्हें पहले खुद को मारने के लिए कहा . जानवरों और पेड़ -पौधों को अपने बच्चों की तरह मानने वाले जादव जी की dedication देखकर सरकारी अफसर भी उनकी मदद के लिए आगे आ गए . और पिछले साल 200 hectare क्षेत्र में सरकार द्वारा plantation कराया गया . स्थानीय MP ने भी इस जंगल को Wildlife (Protection) Act, 1972 के अंतर्गत conservation reserve का दर्जा दिलाने की बात की है , उम्मीद है ऐसा हो पायेगा और जादव पायेंग का बसाया जंगल सदा के लिए हरा -भरा बना रहेगा .
दोस्तों , ये भारत का दुर्भाग्य ही है कि Dashrath Manjhi और Jadav Payeng जैसे महान लोगों की अनदेखी की जाती है , अगर यही काम कोई अमेरिका या इंग्लैंड में करता तो उसे hero का दर्जा दिया जाता और सरकार की तरफ से financial help भी दी जाती . खैर इंसान सम्मान दे ना दे भगवान तो ऐसे ही लोगों को अपना प्रेम और आशीर्वाद देता है.
Jadav Payeng के जीवन से हम क्या सीख सकते हैं :
- कोई भी व्यक्ति , चाहे उसने जितनी भी सिख्स हांसिल की हो , चाहे वो जिस background का हो , अपने दृढ इच्छा – शक्ति से असंभव को संभव बना सकता है .
- किसी बड़े काम को करने के लिए लगातार प्रयत्न करना होता है , यदि हम कुछ बड़ा करना चाहते हैं तो हमें भी Never Give Up spirit के साथ अपने काम में लगे रहना चाहिए . तीस साल का समय बहुत लम्बा समय होता है .
- जिसे कुछ महान करना होता है वो दूसरों की मदद का इंतज़ार नहीं करता , वो तो अपने दम पर सब कुछ कर गुजरता है . पायेंग जी ने सरकारी मदद ना मिलने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी , और वो कर दिखाया जो ज्यादातर लोगों के लिए सोचना भी मुश्किल है .
———————————
vidhvan kumar says
bolate hai na sahi jagah par mehanat karane walo ki har nahi hoti hai.
thodi paresaniya aati hai. par jeet kamyabi hasil kar he leta hai. ise kahate mehanate he rang layee. very nice story
dinesh kumar udeniya says
Ek mahan work karke ek Mahan example set kiya . I salute you . great person god bless
babloo says
jb jb insaan ne kuch kr gujrne ki thani h tb tb vo safal hua h.