ब्रुकलिन ब्रिज: एक प्रेरणादायक रीयल लाइफ स्टोरी
Friends , मैं AKC के readers के साथ ब्रुकलिन ब्रिज बनने की एक inspirational real life story share कर रहा हूँ . इस story से हम सीख सकते हैं की किस तरह बाधाओं को दृढ़ संकल्प और दृढ़ता के बल पर दूर किया जा सकता है.
वर्ष 1883 इंजीनियर John Roebling के जीवन में एक महत्वपूर्ण वर्ष था, इस वर्ष वह न्यूयॉर्क से लांग आईलैंड को जोड़ने के लिए एक शानदार पुल का निर्माण करने के लिए अपने विचार के साथ आया था. इसकी भयावहता का कोई अन्य पुल समय के उस बिंदु पर वहाँ नहीं था.बाद मे विशेषज्ञों ने इसे एक असम्भव उपलब्धि कह कर उनके इस विचार को खारिज कर दिया. पूरी दुनिया उनके विचार के खिलाफ थी और उसे योजना ड्रॉप करने के लिए कहा गया.
Roebling के intuition ने उसे कह रखा था कि उसकी दृष्टि पुल के बारे में सही है. Roebling को उसके विचार के लिए केवल एक आदमी का समर्थन प्राप्त था वो था उसका बेटा Washington. Washington भी एक इंजिनियर था. उन्होंने एक साथ एक विस्तृत योजना तैयार की और आवश्यक टीम को भर्ती किया. वे अच्छी तरह से इस मकसद के लिए तैयार थे. पुल निर्माण का काम शुरू किया गया पर परन्तु कार्यस्थल पर हुई एक दुर्घटना मे Roebling की म्रत्यु हो गई. आम तौर पर कोई और होता तो इस कार्य को छोड देता, लेकिन वाशिंगटन जानता था कि उसके पिता का सपना पूरा हो सकता है.
पर किस्मत तो देखिये, वाशिंगटन को मस्तिष्क क्षति का सामना करना पड़ा और वह स्थिर हो गया ,वह इस हद तक घायल हो गया था कि न तो चल सकता था और न ही बात कर सकता था,यहाँ तक कि हिल भी नहीं सकता था. As usual विशेषज्ञों जिन्होंने पुल का निर्माण नहीं करने सलाह दी थी उन्होंने दोनों को पागल और मूर्ख करार दिया. वॉशिंगटन अपनी सेवाओं का विस्तार करने की स्थिति में नहीं था पर निर्माण परियोजना को समाप्त करने के बारे में भी नही सोच रहा था. वह अपने उद्देश्य के बारे में स्पष्ट था.
वह बातचीत करने के लिए अपनी पत्नी पर पूरी तरह से निर्भर करता था. उसने बातचीत करने के लिए अपनी एक चलती उंगली का इस्तेमाल किया aur अपनी बात समझाने की एक कोड प्रणाली विकसित की . शुरू में हर किसी को वह मूर्ख लगा.
पर वाशिंगटन ने हार नहीं मानी, अगले 13 सालों तक उसकी पत्नी ने उसके निर्देशों की व्याख्या की और इंजीनियरों को समझाया . इंजिनियर उसके निर्देशों पर काम करते गए और आखिरकार Brooklyn Bridge हकीकत में बन कर तैयार हो गया . आज ब्रुकलिन ब्रिज एक शानदार spectacular land mark के रूप मे बाधाओं का सामना करने वाले लोगों के लिए एक प्रेरणादायक ट्रू लाइफ स्टोरी के रूप में खड़ा है.
परिस्थितियों को अपनी शक्ति खत्म करने की अनुमति कभी नहीं देनी चाहिए. इस तरह प्यार, समर्पण, प्रतिबद्धता, विश्वास, दृष्टि और अधिक महत्वपूर्ण बात “हार कभी नहीं” के रूप में इस प्रेरणादायक सच्चे जीवन की कहानी से बहुत सी चीजें सीखी जा सकती हैं.
सब कुछ संभव है ….
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Ankur Singhal
Ankur Singhal belongs to Muzaffarnagar (U.P). He has done MCA from College of Engineering Roorkee. Currently he is preparing for PCS exam. His hobbies include writing article,poems and playing cricket.
I am grateful to Ankur for sharing this true inspirational story in Hindi
Rahul kumar says
बहुत अच्छा पोस्ट है और अच्छी कहानी है हम लोगो को कभी हार नहीं मनना चाहिये
harendra singh says
apki kahaniyon ne mujhe bahut prarit kiya hai
Ganeshkumar says
This is truly inspiring. Hats off to the Engineer’s wife too for patiently decoding the messages. Guess, this is the first project (and the only one) to be completed without the lead Engg. in the site.
sandeep says
excellent real story
deepak singhal says
that’s a great story. although you have narrated in short, but still inspirational.