एक बार की बात है . एक व्यक्ति को रोज़-रोज़ जुआ खेलने की बुरी आदत पड़ गयी थी . उसकी इस आदत से सभी बड़े परेशान रहते. लोग उसे समझाने कि भी बहुत कोशिश करते कि वो ये गन्दी आदत छोड़ दे , लेकिन वो हर किसी को एक ही जवाब देता, ” मैंने ये आदत नहीं पकड़ी, इस आदत ने मुझे पकड़ रखा है !!!”
और सचमुच वो इस आदत को छोड़ना चाहता था , पर हज़ार कोशिशों के बावजूद वो ऐसा नहीं कर पा रहा था.
परिवार वालों ने सोचा कि शायद शादी करवा देने से वो ये आदत छोड़ दे , सो उसकी शादी करा दी गयी. पर कुछ दिनों तक सब ठीक चला और फिर से वह जुआ खेलने जाना लगा. उसकी पत्नी भी अब काफी चिंतित रहने लगी , और उसने निश्चय किया कि वह किसी न किसी तरह अपने पति की इस आदत को छुड़वा कर ही दम लेगी.
एक दिन पत्नी को किसी सिद्ध साधु-महात्मा के बारे में पता चला, और वो अपने पति को लेकर उनके आश्रम पहुंची. साधु ने कहा, ” बताओ पुत्री तुम्हारी क्या समस्या है ?”
पत्नी ने दुखपूर्वक सारी बातें साधु-महाराज को बता दी .
साधु-महाराज उनकी बातें सुनकर समस्या कि जड़ समझ चुके थे, और समाधान देने के लिए उन्होंने पति-पत्नी को अगले दिन आने के लिए कहा .
अगले दिन वे आश्रम पहुंचे तो उन्होंने देखा कि साधु-महाराज एक पेड़ को पकड़ के खड़े है .
उन्होंने साधु से पूछा कि आप ये क्या कर रहे हैं ; और पेड़ को इस तरह क्यों पकडे हुए हैं ?
साधु ने कहा , ” आप लोग जाइये और कल आइयेगा .”
फिर तीसरे दिन भी पति-पत्नी पहुंचे तो देखा कि फिर से साधु पेड़ पकड़ के खड़े हैं .
उन्होंने जिज्ञासा वश पूछा , ” महाराज आप ये क्या कर रहे हैं ?”
साधु बोले, ” पेड़ मुझे छोड़ नहीं रहा है .आप लोग कल आना .”
पति-पत्नी को साधु जी का व्यवहार कुछ विचित्र लगा , पर वे बिना कुछ कहे वापस लौट गए.
अगले दिन जब वे फिर आये तो देखा कि साधु महाराज अभी भी उसी पेड़ को पकडे खड़े है.
पति परेशान होते हुए बोला ,” बाबा आप ये क्या कर रहे हैं ?, आप इस पेड़ को छोड़ क्यों नहीं देते?”
साधु बोले ,”मैं क्या करूँ बालक ये पेड़ मुझे छोड़ ही नहीं रहा है ?”
पति हँसते हुए बोला , “महाराज आप पेड़ को पकडे हुए हैं , पेड़ आप को नहीं !….आप जब चाहें उसे छोड़ सकते हैं.”
साधू-महाराज गंभीर होते हुए बोले, ” इतने दिनों से मै तुम्हे क्या समझाने कि कोशिश कर रहा हूँ .यही न कि तुम जुआ खेलने की आदत को पकडे हुए हो ये आदत तुम्हे नहीं पकडे हुए है!”
पति को अपनी गलती का अहसास हो चुका था , वह समझ गया कि किसी भी आदत के लिए वह खुद जिम्मेदार है ,और वह अपनी इच्छा शक्ति के बल पर जब चाहे उसे छोड़ सकता है.
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Gaurav Prasad
Gaurav belongs to Amarkantak (MP). He is a Commerce graduate and has done MBA from Pine(MH).
I am grateful to Gaurav for sharing this inspirational story with AKC.
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devakar says
Very very motivational stories this website have, I am new on this website but I have planned to read all stories..
upendra das says
Yes God main samja gaya so sorry papa and maa thank you my life is one life .
Jyoti Arya says
wonderful story…sir aap ese hi story se Hume rastaa dekhate rahiye…
Monika Kurapati. says
It is one of the most powerful example for whoes aducted people by “” juwa”” khelana….!