टोकियो के निकट एक महान ज़ेन मास्टर रहते थे , वो अब वृद्ध हो चुके थे और अपने आश्रम में ज़ेन बुद्धिज़्म की शिक्षा देते थे .
एक नौजवान योद्धा , जिसने कभी कोई युद्ध नहीं हारा था ने सोचा की अगर मैं मास्टर को लड़ने के लिए उकसा कर उन्हें लड़ाई में हरा दूँ तो मेरी ख्याति और भी फ़ैल जायेगी और इसी विचार के साथ वो एक दिन आश्रम पहुंचा .
“ कहाँ है वो मास्टर , हिम्मत है तो सामने आये और मेरा सामना करे .”; योद्धा की क्रोध भरी आवाज़ पूरे आश्रम में गूंजने लगी .
देखते -देखते सभी शिष्य वहां इकठ्ठा हो गए और अंत में मास्टर भी वहीँ पहुँच गए .
उन्हें देखते ही योद्धा उन्हें अपमानित करने लगा , उसने जितना हो सके उतनी गालियाँ और अपशब्द मास्टर को कहे . पर मास्टर फिर भी चुप रहे और शांती से वहां खड़े रहे .
बहुत देर तक अपमानित करने के बाद भी जब मास्टर कुछ नहीं बोले तो योद्धा कुछ घबराने लगा , उसने सोचा ही नहीं था की इतना सब कुछ सुनने के बाद भी मास्टर उसे कुछ नहीं कहेंगे …उसने अपशब्द कहना जारी रखा , और मास्टर के पूर्वजों तक को भला-बुरा कहने लगा …पर मास्टर तो मानो बहरे हो चुके थे , वो उसी शांती के साथ वहां खड़े रहे और अंततः योद्धा थक कर खुद ही वहां से चला गया .
उसके जाने के बाद वहां खड़े शिष्य मास्टर से नाराज हो गए , “ भला आप इतने कायर कसी हो सकते हैं , आपने उस दुष्ट को दण्डित क्यों नहीं किया , अगर आप लड़ने से डरते थे , तो हमें आदेश दिया होता हम उसे छोड़ते नहीं !!”, शिष्यों ने एक स्वर में कहा .
मास्टर मुस्कुराये और बोले , “ यदि तुम्हारे पास कोई कुछ सामान लेकर आता है और तुम उसे नहीं लेते हो तो उस सामान का क्या होता है ?”
“ वो उसी के पास रह जाता है जो उसे लाया था .”, किसी शिष्य ने उत्तर दिया .
“ यही बात इर्ष्या , क्रोध और अपमान के लिए भी लागू होती है .”- मास्टर बोले . “ जब इन्हें स्वीकार नहीं किया जाता तो वे उसी के पास रह जाती हैं जो उन्हें लेकर आया था .”
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Note: The inspirational story shared here is not my original creation, I have read /heard it before and I am just providing a modified Hindi version of the same.
thanks for gave nce story to me i like it every one should follow this story in ahead ok
I like it….mjhe b isi tarah banna hai!
It’s a very good story.
By it we can learn how to bebe react when anyone abuse nd used Un respected words for us.
Really its a great story.
बहुत अच्छी कहानी है.संयम मे बहुत बडी ताकत होती हैै.
संयम से रहना मामूली बात नहीं, अगर कोई हमें गालियों और अपशब्दों से उकसाता है तो हम आम तौर पर क्रोधित होते हैं। संयम जैसी चीज सिर्फ महान व्यक्तियों के पास ही पायी जाती है। इन दिनों में, आम लोगों में, खासकर किसी भी बात से, चाहे पैसे से या किसी और बात से जो
अपने को महान या बडा मानते हैं उन में संयम नहीं मिलता। बडे बडे लोग भी अपने जीवन में बीती हुई छोटी छोटी असंतोष की बातें भूल नहीं सकते, किसी तरह ऐसे लोगों से वे समय आने पर प्रतीकार लेने की कोशिश करते हैं। दूसरों की त्रुटियों को माफ करो, उन्हें भूल जाओ। दुश्मनी से मानहानि या कुछ और प्रकार की हानि ही मिलती है, संतोष नहीं… – बीआर राकसन
ye bat apki bhut acchi h uncl mujhe bi aesa hi lgta h sayam bhut bda dhn h…thanks mujhe dobara yad dilane k liye…jay jinendra
Ye Story bahut he acchi lagi but aaj ke time pe ye sab bekaar ki Batein bankar rah gyi hai Sanskrat me Ek Kahawat hai ki SATHE SATHYAM SAMACHARET.
DUSHT KE SAATH DUSHTYATA hona chaiye.
Regards;
Devendra Kumar
Hme hr samay prem santi unnti krni chahiye aur apne bhbhisy ko achchha bnane ke liye kthin prishrm krna chahiye. Mujhe kahani achchhi lgi.