Friends आप सबको प्रकृति और मनुष्य का क्या relation है ये तो पता ही होगा । पर मै आज आपसे मनुष्य और प्रकृति के एक अलग ही relationship के बारे मे बात करूँगा। और वो रिलेशन है Teacher और Student का । जी हाँ , प्रकृति ही हमारी सबसे बड़ी Teacher है। ये हमे हर पल कुछ न कुछ सीखाती रहती है बस जरूरत है तो थोड़ा ध्यान देने का । आज तक मनुष्य ने जो कुछ भी हासिल किया है वो प्रकृति से सीख लेकर ही किया है। न्यूटन को gravity का पाठ प्रकृति ने ही सीखाया है। कई अविष्कार भी प्रकृति से प्रेरित है। इन सबके अलावा प्रकृति हमे ऐसे गुण भी सीखाती है जिससे हम अपने जीवन मे सकारात्मक परिवर्तन ला सकते है और इसे बेहतर बना सकते हैँ। वैसे इसकी List तो बहुत लम्बी हो सकती है पर मै यहाँ ऐसी 5 चीजे ही share कर रहाँ हूँ जो हम प्रकृति से सीख सकते है:
1) पतझड़ का मतलब पेड़ का अंत नही :
कभी-कभी हमारे साथ कुछ ऐसा घटित हो जाता है जिससे हम बहुत low महसूस करते है। ऐसा लगता है जैसे अब सब कुछ खत्म हो गया इससे कई लोग depression मे चले जाते है तो कई लोग बड़ा और बेवकूफी भरा कदम उठा लेते है जैसे आत्महत्या पर जरा सोचिये पतझड़ के समय जब पेड़ मे ऐक भी पत्ती नही बचती है तो क्या उस पेड़ का अंत हो जाता है? नही। वो पेड़ हार नही मानता नए जीवन और बहार के आश मे खड़ा रहता है। और जल्द ही उसमे नयी पत्तियाँ आनी शुरू हो जाती है, उसके जीवन मे फिर से बहार आ जाती है। यही प्रकृति का नियम है। ठीक ऐसे ही अगर हमारे जीवन मे कुछ ऐसे destructive पल आते है तो इसका मतलब अंत नही बल्की ये इस बात का इशारा है कि हमारे जीवन मे भी नयी बहार आयगी। अत: हमे सबकुछ भूलकर नयी जिन्दगी की शुरूआत करनी चाहिये। और ये विश्वास रखना चाहिए कि नयी जिन्दगी पुरानी से कही बेहतर होगी।
2) कमल किचड़ मे भी रहकर अपना अलग पहचान बनाता है :
ये मेरी favorite line है। यही बात मुझे बुराई के बीच रहकर भी अच्छा करने के लिये प्ररित करती है। जिस तरह कमल कीचड़ मे रहकर भी अपने अंदर कीचड़ वाले गुण विकसित नही होने देता है उसी तरह चाहे हमारे आस-पास कितनी ही बुराईयाँ हो पर उसे अपने अंदर पनपने नही देना चाहिये। हमे अपना अलग पहचान बनाना चाहिये।
3) नदी का बहाव ऊँचाई से नीचे की ओर होता है :
जिस तरह से नदी मे पानी का बहाव ऊँचे level से नीचे level की ओर ही होता है उसी तरह हमारी जिन्दगी मे भी प्रेम भाव का प्रवाह बड़े से छोटे की ओर होता है इसलिये हमे कभी भी अपने आप को दूसरो के सामने ज्ञानवान या बड़ा बताने की जरूरत नही है और इससे कोई फायदा भी तो नही है उल्टा प्रेम भाव हम तक बहकर नही आयेगा।
4) ऊँचे पर्वतों मे आवाज का परावर्तन:
जब कोई पर्वत की ऊँची चोटी से जोर से आवाज लगाता है तो वही आवाज वापस लौटकर उसी को सुनाई देती है । विज्ञान मे इस घटना को echo कहते है पर यही नियम हमारे जीवन मे भी लागू होता है। हम वही पाते है जो हम दूसरो को देते है। हम जैसा व्यवहार दूसरो के लिये करते है वही हमे वापस मिलता है यदि हम दूसरो का सम्मान करते है तो हमे भी सम्मान मिलेगा। यदि हम दूसरो के बारे मे गलत भाव रखेँगे तो वो वापस हमे ही मिलेगा। अत: आप जैसा भी व्यवहार करे याद रखिये कि वो लौटकर आपको ही मिलने वाला है।
5) छोटे पौधो के अपेक्षा विशाल पेड़ को तैयार होने मे ज्यादा समय लगता है:
जिस तरह विशाल पेड़ को तैयार होने मे ज्यादा समय लगता है उसी तरह हमारे महान लक्ष्य को भी पूरा होने मे समय लगता है। लेकिन कुछ लोग धैर्य नही रख पाते और अपना काम बीच मे ही छोड़ देते है। ऐसा करने वाले को बाद मे पछतावा ही मिलता है। So, बड़े लक्ष्य मे सफलता के लिये कड़ी मेहनत के अलावा धैर्य की भी आवश्यकता होती है।
दोस्तों , आइये हम भी प्रकृति से मिली इन सीखों को अपनी लाइफ में follow करें और एक बेहतर दुनिया का निर्माण करें.
All the best.
Pritam Kant
Student of BE 1st year.
Bilaspur , Chhattisgarh
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I am grateful to Mr. Pritam Kant for sharing this inspirational Hindi article on Nature with AKC.
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Parth Raut says
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