
जय श्री कृष्ण
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध
Shree Krishna Janmashtami Essay in Hindi
यशोदा नंदन, देवकी पुत्र भारतीय समाज में कृष्ण के नाम से सदियों से पूजे जा रहे हैं। तार्किकता के धरातल पर कृष्ण एक ऐसा एकांकी नायक हैं, जिसमें जीवन के सभी पक्ष विद्यमान है। कृष्ण वो किताब हैं जिससे हमें ऐसी कई शिक्षाएं मिलती हैं जो विपरीत परिस्थिति में भी सकारात्मक सोच को कायम रखने की सीख देती हैं।
कृष्ण के जन्म से पहले ही उनकी मृत्यु का षड्यंत्र रचा जाना और कारावास जैसे नकारात्मक परिवेश में जन्म होना किसी त्रासदी से कम नही था । परन्तु विपरीत वातावरण के बावजूद नंदलाला , वासुदेव के पुत्र ने जीवन की सभी विधाओं को बहुत ही उत्साह से जिवंत किया है। श्री कृष्ण की संर्पूण जीवन कथा कई रूपों में दिखाई पङती है।
नटवरनागर श्री कृष्ण उस संर्पूणता के परिचायक हैं जिसमें मनुष्य, देवता, योगीराज तथा संत आदि सभी के गुणं समाहित है। समस्त शक्तियों के अधिपति युवा कृष्ण महाभारत में कर्म पर ही विश्वास करते हैं। कृष्ण का मानवीय रूप महाभारत काल में स्पष्ट दिखाई देता है। गोकुल का ग्वाला, बिरज का कान्हा धर्म की रक्षा के लिए रिश्तों के मायाजाल से दूर मोह-माया के बंधनों से अलग है।
कंस हो या कौरव पांडव, दोनो ही निकट के रिश्ते फिर भी कृष्ण ने इस बात का उदाहरण प्रस्तुत किया कि धर्म की रक्षा के लिए रिश्तों की बजाय कर्तव्य को महत्व देना आवश्यक है। ये कहना अतिश्योक्ति न होगी कि कर्म प्रधान गीता के उपदेशों को यदि हम व्यवहार में अपना लें तो हम सब की चेतना भी कृष्ण सम विकसित हो सकती है।
कृष्ण का जीवन दो छोरों में बंधा है। एक ओर बांसुरी है, जिसमें सृजन का संगीत है, आनंद है, अमृत है और रास है। तो दूसरी ओर शंख है, जिसमें युद्ध की वेदना है, गरल है तथा निरसता है। ये विरोधाभास ये समझाते हैं कि सुख है तो दुःख भी है।
यशोदा नंदन की कथा किसी द्वापर की कथा नही है, किसी ईश्वर का आख्यान नही है और ना ही किसी अवतार की लीला। वो तो यमुना के मैदान में बसने वाली भावात्मक रुह की पहचान है। यशोदा का नटखट लाल है तो कहीं द्रोपदी का रक्षक, गोपियों का मनमोहन तो कहीं सुदामा का मित्र। हर रिश्ते में रंगे कृष्ण का जीवन नवरस में समाया हुआ है।
माखन चोर, नंदकिशोर के जन्म दिवस पर मटकी फोङ प्रतियोगिता का आयोजन, खेल-खेल में समझा जाता है कि किस तरह स्वयं को संतुलित रखते हुए लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है; क्योंकि संतुलित और एकाग्रता का अभ्यास ही सुखमय जीवन का आधार है। सृजन के अधिपति, चक्रधारी मधुसूदन का जन्मदिवस उत्सव के रूप में मनाकर हम सभी में उत्साह का संचार होता है और जीवन के प्रति सृजन का नजरिया जीवन को खुशनुमा बना देता है।
“श्रीकृष्ण जिनका नाम है,
गोकुल जिनका धाम है!
ऐसे श्री भगवान को
बारम्बार प्रणाम है।”
जन्माष्टमी की बधाई के साथ कलम को विराम देते हैं।
जय श्री कृष्णा
अनिता शर्मा
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Aap ne yeh chotey se nibandh maye sri krishna ko jis tarah se sanjoya haye woh mujhe GAGAR MAY SAGAR jayese lagta haye.
Aap ka bhut bhut dhanyawad.
Achikhabar website ak bahut achhi website hai padai me muje nibandh me bahut kam me aayi hai
Thanks achikhabar
Prashant,
जय श्री कृष्ण…
श्री कृष्ण के कदम आपके घर आए,
आप खुशियों के दीप जलाएं,
परेशानी आपसे आंख चुराए,
कृष्ण जन्मोत्सव की आपको शुभकामनायें
Happy Janmashatmi, Best Wishes from :- acchitips.com
कृष्ण नाम जितना छोटा है उनका व्यक्तित्व उतना ही विशाल | आपने सही कहा माखन चोर और योगेश्वर वो दोनों ही विरोधाभासों में संतुलन बना लेते हैं , फिर क्यों मन श्री कृष्ण की भक्ति के रंग में रंग जाए | जन्माष्टमी के सुअवसर पर आपके इस भक्ति रस से परिपूर्ण लेख के लिए धन्यवाद |
B’happy makhanchor
Happy birthday kanhiya
Bohot hi badhiya nibandh tha bhai. Shri krishna ji ke chamtkarik leela ko jankar bohot accha lagta hai.