रास्ते की दूरियों को पलक झपकते दूर करती चमचमाती मोटरगाङियाँ, आज स्टेटस सिम्बल ही नही हैं बल्कि तेज रफ्तार जिंदगी की आवश्यकता है। भागती-दौङती जिंदगी को कारों के माध्यम हैनरी फोर्ड ने कुछ आसान बना दिया। कार को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने का श्रेय हैनरी फोर्ड को ही जाता है।
इस युग को नया औद्योगिक आयाम देने वाले हैनरी फोर्ड का जन्म अमेरीका के मिशिगन राज्य में डियर बोर्ध नामक स्थान पर 30 जुलाई, 1863 को हुआ था। हेनरी को आर्थिक उत्थान के आवश्यक सभी गुंण, अपनी माता मेरीलिटोगोट से विरासत में मिले थे। हैनरी के पिता विलयम फोर्ड एक साधारण किसान थे।
पाँच वर्ष की आयु में हैनरी का दाखिला पास ही के कस्बे के स्कूल में कराया गया था। पाँचवी पास करने के बाद आगे की पढाई के लिए हैनरी को घर से ढाई किलोमीटर पैदल जाना पङता था। पिता की यही इच्छा थी कि हैनरी एक अच्छा किसान बने किन्तु हैनरी का दिमाग दूसरी दिशा में व्यस्त रहता था। 11 वर्ष की उम्र में हैनरी के खिलौने आम बच्चों से अलग हट कर थे। चाय की केतली, खाङी हल तथा छोटे-छोटे पुर्जे उनके खिलौने हुआ करते थे। बहुत कम उम्र में ही वे पड़ोसीयों की घङियाँ सुधारने लगे थे। ये बात पिता को अच्छी नही लगती थी और वे उन्हे ठठेरा कहा करते थे।
हेनरी जब मिशिगन राज्य में पढाई कर रहे थे, तब उन्होने खाङी में बाधँ बना दिया था जिसके कारण एक किसान के खेत मे पानी भर गया था और वे अध्यापक महोदय से शिकायत करने स्कूल पहुँच गया। अध्यापक महोदय को हैनरी की बुद्धिमता पर आश्चर्य भी हुआ किन्तु किसान का नुकसान हुआ था, इसलिए उन्होने हैनरी को बाँध तोङने की आज्ञां दी तथा किसान को संतुष्ट करने के लिए हैनरी को डांट भी लगाई।
शुरूवाती दौर में घङी सुधारने वाले हैनरी फोर्ड ने मोटरकार के आविष्कार तथा उसमें आधुनिक सुधार के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पिता की इच्छा के विरुद्ध हैनरी डेट्राइट चले आए और एक कारखाने में काम करने लगे किन्तु वहाँ से प्राप्त आमदनी से कार बनाने के सपने को साकार नही सकते थे। अतः एक सुनार के यहाँ पार्टटाइम काम करने लगे और शाम को घङियाँ भी सुधारते। डेट्राइट में रहते हुए कुछ ही समय हुआ था कि पिताजी की तबियत खराब होने का संदेश आया और वे घर वापस चले गये। खेत की पूरी जिम्मेदारी अब हैनरी के कंधो पर आ गई थी।
हैनर साल भर तक खेतों काम करते रहे। इस काम के दैरान हैनरी को लगा कि इस काम में काफी समय लगता है, अतः उन्होने विचार किया कि कृषि कार्यो में विज्ञान का प्रयोग करना चाहिए। उन दिनों ट्रैक्टर और फोडेशन का कहीं नामो निशान भी नही था। हैनरी ने खेती में काम आने वाले भाप के इंजनो में सुधार किया। आस-पास के किसानो के इंजन को सुधारने काम करने लगे। हैनरी के प्रयास से ऐसी विधियों का विकास हुआ जिससे एक वर्ष की फसल में केवल एक महीने ही काम करने की आवश्यकता होती थी। इसी बीच उनकी मुलाकात एक इंजन निर्माण कंपनी के प्रतिनिधि से हुई, उसने हैनरी को पूरे क्षेत्र का इंजन सुधारने का अनुबंध दिया।
हैनरी ने ट्रैक्टर की कल्पना की और घर पर ही एक बेलन बना दिया। बेलन में एक बेकार पङे घास काटने की मशीन के पहिए लगाए तथा परिक्षण के लिए गाङी को चलाया । गाङी चालिस फुट तक चलकर रुक गई। सामान्य लोगों की नजर में ये प्रयोग सफल नही था, परंतु हैनरी का मानना था कि यदि गाङी आज 40 फुट चली है तो कल ज्यादा दूर भी चलेगी। हैनरी का मोटर कार का सपना साकार होने लगा था। वे 1891 में वापस डेट्राइट आए और रात में एलिस लाइटिंग कंपनी में काम करने लगे तथा दिन में लगों की टिप्पणियों से बेखबर मोटर कार पर प्रयोग करते रहे। उनकी बनाई कार लगभग दो वर्षों में बनकर तैयार हुई।
अप्रैल का महिना था, थोङी बूंदा-बाँदी हो रही थी। हैनरी अपनी पत्नी क्लारा के साथ बिना घोङे वाली गाङी को परखने के लिए निकल पङे। इस गाङी में टायर ओर गद्दी को छोङकर सभी भाग हैनरी के आविष्कार का ही परिणाम था। गाङी तेज आवाज करती हुई धुंआ छोङती हुई गली तक पहुँची। लोग आवाज सुनकर घरों से बाहर आ गये। सभी ने पहली बार बिना घोङे वाली गाङी देखी थी। इस सफलता ने फोर्ड के आत्मविश्वास को हौसला दिया। उस गाङी में उस समय बैक गेयर का प्रवधान नही था, अतः गाङी को वापस पिछे धक्का देकर पुनः स्टार्ट किया गया। ये गाङी भले ही आज जैसी गाङी नही थी, परंतु सभी गाङियों की जननी इसे कहा जा सकता है।
इसके बाद हैनरी फोर्ड ने गाङियों में अनेक सुधार किये। कार बनाने के लिए एक कारखाना भी खोले। सम्पन्न घरों के लोग उनकी गाङियों को खरीदने लगे। हैनरी फोर्ड की कल्पना हक़ीक़त में साकार हो गई थी। उनका कहना था कि उन्होने कभी सपने में भी नही सोचा था कि इस प्रयोग से वे धन कमाएंगे। लेकिन जीवन के अंतिम दिनो में वे विश्व के सबसे धनि व्यक्ति थे।
फोर्ड कंपनी का कारखाना लगभग 200 एकङ जमीन पर फैला हुआ है। जिसमें पाँच सौ विभाग तथा हजारों लोग काम करते हैं। औद्योगिक को नया आयाम देने वाले फोर्ड मानविय करुणा की आवाज को भी सुनते थे। वैज्ञानिक एडिसन जैसे कई बुद्धिजीवी लोग उनके मित्र थे। मशीनों के बीच रहते हुए भी उनका मन मानव सेवा के लिए तत्पर रहता था। हैनरी फोर्ड अपनी आमदनी का एक अंश मानव कल्याण की सेवा में भी लगाते थे।
83 वर्ष की उम्र में 7 अप्रैल 1947 में हैनरी फोर्ड इहलोक छोङकर परलोक सिधार गये। आज भी दुनिया उनके आविष्कार से लाभान्वित हो रही है। घङियाँ सुधारने वाले हैनरी फोर्ड ने दुनिया को कार बनाना सिखा दिया। हैनरी फोर्ड ने ये सिद्ध कर दिया कि, मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है।
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अनिता शर्मा
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We are very grateful to Anita Ji for sharing this inspirational Hindi essay on the life of Henry Ford. We really appreciate her selfless contribution and wish her a great success.
अजय पंछी says
बहुत ही प्रेरणादायक कहानी है ,अनिता जी बहुत बहुत धन्यवाद् | आपने बहुत अच्छी प्रेरक जीवनी बताई है |
ASHWANI RAI says
aakarshan ka sidhant jo chaho wo milta hai
bhale hi der kyu na ho
kuldeep rathi says
gd post by ms anita thanx 4 this post
KAILASH CHANDER SUKHRALIA says
respected ms anita ji.
i appreciate to yours collection story of honorable hennery ford , i also salute to you because
soul of hennary ford inspired whole wlorld those want to achieve their goal of life.
thanks & regards
kailash chander sukhralia.