जीवन की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है। कायरों ने इसे परेशानियों से भरा महासागर करार दिया है तो वीरों ने इसे अवसरों का खजाना कहा है, संतों ने इसे मोक्ष का मार्ग कहा है तो सांसारिकों ने इसे भोग का अवसर बताया है, विद्वानों को यह अनुभव की खान मालूम हुयी है तो मूर्खों को मनमानी का स्थान लगा है। पर इनमें से कोई भी जीवन की निश्चित परिभाषा नहीं कही जा सकती है। हर परिस्थिति हर स्थान पर इसकी अलग परिभाषा व्यक्त हुयी है। लेकिन मेरी दृष्टि से देखा जाए तो जीवन उस महान अवसर का नाम है जो एक इंसान को सिर्फ एक बार प्राप्त होता है वो भी निश्चित समयावधि के लिए है। वो चाहे तो ऐसे कर्म कर सकता है कि आने वाली समस्त पीढि़या उसे याद रखे……. या वो यूँही इस अवसर को गँवा सकता है !!!।
अब प्रश्न यह उठता है कि ऐसे कर्म क्या हो सकते है? एडिसन, आंइस्टाइन, रमन, न्यूटन, भाभा आदि वैज्ञानिकों को दुनिया बरसों तक उनके आाविष्कारों के लिए याद करती रहेगी पर महात्मा गांधी, लेनिन, नेल्सन मंडेला, लिंकन ने तो कोई आाविष्कार नहीं किया फिर भी इन्हें दुनिया याद करती है क्यों? वजह है कि उन्होनें इंसान की सोच और उसके जोश को सही दिशा दी। सुकरात, विदुर, चाणक्य, अरस्तु आदि को भी पीढि़या याद करेगी, हरिवंशराय बच्चन, शेक्सपियर, बर्नाड शॅा, रामधारी सिंह दिनकर, वल्लभ भाई पटेल, ध्यानचंद, सचिन तेंदुलकर, पेले आदि भी सराहे जाएंगे। ऊपर वर्णित शख्सियतें किसी एक विशेष क्षेत्र से संबंधित नहीं रही। सभी का कार्यक्षेत्र अलग रहा। इसलिए यह प्रश्न नहीं उठना चाहिए कर्म कैसे हो? इन सबके कर्म अलग रहे पर भावनात्मक रूप से सभी जनमानस की उन्नति के लिए सहायक हुए।
इसलिए सबसे महत्वपूर्ण तथ्य हैं भावना। इस मानव जाति को कुछ सार्थक देने की भावना। जब इंसान के भीतर इस भावना की ज्योति प्रज्जवलित हो जाती है तो वो कुछ ऐसा कर गुजरता है कि संसार उसे सिर आँखों पर बिठा लेता है।
परमाणु बम और अन्य हिंसक हथियारों के आविष्कारकों को कोई याद नहीं करता, कोई उनकी पुण्यतिथि या जन्मतिथि नहीं मनाता। क्यों? कारण स्पष्ट है कि उनकी कार्य भावना ने मानवता को अनगिनत आँसू और यातनाऐ दी।
यह भी एक तथ्य है कि नेक भावनाओं के साथ काम करने वाले किसी को भी आज तक प्रोत्सहान उतना नहीं मिला है जितना मिलना चाहिए। पर इतिहास ने भी उन्हीं शख्सियतों को अपने सुनहरे पन्नों में स्थान दिया है जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी पुण्य भावना के साथ लगे रहे। इसी पुण्य भावना के सफल परिणाम को दुनिया सफलता के नाम से जानती हैं।
इस दुनिया में हर एक इंसान एक विशिष्ट गुण के साथ जन्म लेता है। किसी को नेतृत्त्व का गुण मिलता है तो किसी को रचनात्मकता का, तो औरों को किसी और गन का …। लेकिन कम ही ऐसे इंसान होते है जो इन्हें तराश पाते हैं।बहुत से ऐसे लोग मुझे मिलते है जिनका यह प्रश्न होता है कि मुझमें क्या विशिष्ट गुण है यह मैं पहचान ही नहीं पा रहा हुँ। तब मेरा उससे यही प्रश्न होता है कि तुम्हे किस काम को करने मेे सबसे ज्यादा आनंद आता है? आप भी अपने से यही प्रश्न पूछे। इसका जवाब लेखन, गायन, व्यापार, नृत्य, खाना पकाना आदि कुछ भी हो सकता है और आपके जवाब सुनकर मैं यही कहुंगा कि यही आपका विशिष्ट गुण है।
कोई कहेगा कि खाना पकाने में मुझे रूचि है तो यह कौन सा विशिष्ट गुण हुआ? लेकिन मैं मानता हुँ कि यह विशिष्ट गुण है। मुझे खाना पकाना आता है पर यह मेरी रूचि में नहीं है इसलिए घर पर खाने का इंतजाम नहीं होने पर मैं खाना खुद बनाने के बजाय होटल पर ही खाना ज्यादा पसंद करता हुँ। खाने पकाने में आनंद इस संसार की खरबों की आबादी में लाखों लोगो को आता होगा पर इसे सही दिशा कुछ सौ लोग ही दे पाते हैं।
अब आप अपने खाने पकाने के गुण को कैसे सही दिशा दे सकते है, इसकी कुछ बानगी मैं आपको दिखाना चाहता हुँ। अगर आपको खाना पकाने में आनंद आता है तो आप इसका विधिवत् कोर्स कर एक रेस्टोरेंट खोल सकते है और धीरे धीरे अपने हाथ के स्वाद से सबको मुरीद करते हुए रेस्टोरेंट की एक चेन तक खोल सकते है। यह नहीं किसी एक होटल में सबसें बेहतरीन कुक बनकर उस होटल की जान बन सकते है। खाना पकाने के अपने आनंद के चलते संसार के लिए नई नई रेसिपियाँ और डिशेज का आविष्कार कर सकते है। अथवा खाना पकाने का ज्ञान देने वाले किसी कोचिंग क्लासेज के मालिक बन सकते है या फिर आप Youtube पे अपने कुकिंग वीडियोस डाल कर पूरी दुनिया में मशहूर हो सकते हैं और अच्छे पैसे भी कमा सकते हैं, जैसा कि निशा मधुलिका जी ने किया .
अब देखिऐ खाना पकाना एक क्षेत्र था पर इसमें भी उन्नति के भिन्न मार्ग है इसी क्षेत्र में कार्य करते हुए आप चाहे तो संसार के लिए एक बेहतरीन कुक बन सकते है, एक बेहतरीन व्यापार कर सकते है, एक बेहतरीन आविष्कारक बन सकते है, एक बेहतरीन शिक्षक बन सकते है। ऐसे ही गायन, लेखन, व्यापार, आदि क्षेत्रों में होता है। बस जरूरत होती है एक सही दिशा की जो सिर्फ आप और आप ही तलाश सकते है।
बस जो चाहते है उसमें भावनात्मक रूप से जुड़े रहे फिर देखिए क्या होता है? आप खुद महसूस करेगें कि दुनिया जिसे सफलता का कठिन मार्ग बताती है वो वास्तव में नियमित अभ्यास और लगन के सिवा कुछ नहीं है।
इसलिए कुछ जरूरी कदम जरूर उठाए-
- अपने आनंद के स्रोत को पहचाने।
- उसे तराशे और सही दिशा दे।
- एक ही क्षेत्र में विभिन्न मार्ग होते है, उसमें से किसी एक मार्ग को चुने और लगन से उसमें जुटे रहे।
- अपने काम को आनंद से आप करते जाएंगे और आपको एक पल के लिए भी नहीं लगेगा कि आप काम कर रहे है।
फंडा यह है कि सफलता उसी कार्य में आ सकती है जिसमें उत्साह और सही भावना हो। संसार अवसरों का महासागर है और उन्नति का बेहतरीन सुयोग हैं।
रामचन्द्र लखारा
www.kavy-prerna.blogspot.in
www.vichar-prerna.blogspot.in
रामचन्द्र लखारा जी राजस्थान के सिणधरी कस्बे के रहने वाले हैं और लेखन में रूचि रखते हैं। आप अब तक 40 कविताये, 8 कहानिया, और 6 लेख लिख चुके हैं और फ़िलहाल एक पुस्तक की रचना में व्यस्त हैं।
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SD Meena says
Sir you are great.
pradeep says
Thank you
om pandya says
Thank you for sharing inspiration article.
Anil Balan says
बहुत ही सुन्दर सर जी. जैसा की स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा है “एक विचार आपको महान से महानतम बना सकता है बस उस पर टीके रहने की आवश्यकता है
Shambhu Dayal Meena says
Sir Good noon
Main ek din apne mobile se net par Hindi me inspirational stories dhundh raha tha ki wahan ek link aapki site ka bhi aaya maine aise hi use click kar diya wahan maine kuch kahani toh padh saka par low quality ka mobile hone ki vajah se full site nahin khuli.
Main un chand kahaniyon se itna prerit hua ki maine site padhne ke liye ek naya smart phone kharida he.
Aur is site tak main pahunch paya yeh mere liye soubhagya ki baat hai.
Sir main aapka kaise shukriya ada karu iske liye mere paas sabdh nahin hai.
Maine aaj se hi ek naya jivan suru kiya hai aur yeh taya kiya hai ki main bhi is jivan mein kuch kar ke dikhaunga tatha kabhi haar nahin manunga.
Sorry for long comment nd any mistake.
thanks a lot.