Hindi Story on Forgetting Your Sad Past
अपना दुखद कल भुलाने की सीख देती हिंदी कहानी
एक कालेज स्टूडेंट था जिसका नाम था रवि। वह बहुत चुपचाप सा रहता था। किसी से ज्यादा बात नहीं करता था इसलिए उसका कोई दोस्त भी नहीं था। वह हमेशा कुछ परेशान सा रहता था। पर लोग उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे।
एक दिन वह क्लास में पढ़ रहा था। उसे गुमसुम बैठे देख कर सर उसके पास आये और क्लास के बाद मिलने को कहा।
क्लास खत्म होते ही रवि सर के रूम में पहुंचा।
“रवि मैं देखता हूँ कि तुम अक्सर बड़े गुमसुम और शांत बैठे रहते हो , ना किसी से बात करते हो और ना ही किसी चीज में रूचि दिखाते हो ! इसका क्या कारण है ? , सर ने पुछा।
रवि बोला , ” सर , मेरा पास्ट बहुत ही खराब रहा है, मेरी लाइफ में कुछ बड़ी ही दुखदायी घटनाएं हुई हैं , मैं उन्ही के बारे में सोच कर परेशान रहता हूँ…..”
सर ने ध्यान से रवि की बातें सुनी और उसे संडे को घर पे बुलाया।
रवि नियत समय पर सर के घर पहुँच गया।
” रवि क्या तुम शिकंजी पीना पसंद करोगे ,?” सर ने पुछा।
“जी। ” रवि ने कहा।
सर ने शिकंजी बनाते वक्त जानबूझ कर नमक अधिक डाल दिया और चीनी की मात्रा कम ही रखी।
शिकंजी का एक घूँट पीते ही रवि ने अजीब सा मुंह बना लिया।
सर ने पुछा , ” क्या हुआ , तुम्हे ये पसंद नहीं आया क्या ?”
” जी, वो इसमे नमक थोड़ा अधिक पड़ गया है….” रवि अपनी बात कह ही रहा था की सर ने उसे बीच में ही रोकते हुए कहा , ” ओफ़-ओ , कोई बात नहीं मैं इसे फेंक देता हूँ , अब ये किसी काम की नहीं …”
ऐसा कह कर सर गिलास उठा ही रहे थे कि रवि ने उन्हें रोकते हुए कहा , ” सर नमक थोड़ा सा अधिक हो गया है तो क्या , हम इसमें थोड़ी और चीनी मिला दें तो ये बिलकुल ठीक हो जाएगा।”
बिलकुल ठीक रवि यही तो मैं तुमसे सुनना चाहता था….अब इस स्थिति को तुम अपनी लाइफ से कम्पेयर करो , शिकंजी में नमक का ज्यादा होना लाइफ में हमारे साथ हुए बैड एक्सपेरिएन्सेस की तरह है…. और अब इस बात को समझो , शिकंजी का स्वाद ठीक करने के लिए हम उसमे में से नमक नहीं निकाल सकते, इसी तरह हम अपने साथ हो चुकी दुखद घटनाओं को अपने जीवन से अलग नहीं कर सकते , पर जिस तरह हम चीनी डाल कर शिकंजी का स्वाद ठीक कर सकते हैं उसी तरह पुरानी कड़वाहट मिटाने के लिए लाइफ में भी अच्छे अनुभवों की मिठास घोलनी पड़ती है।
यदि तुम अपने भूत का ही रोना रोते रहोगे तो ना तुम्हारा वर्तमान सही होगा और ना ही भविष्य उज्जवल हो पायेगा। “, सर ने अपनी बात पूरी की.
रवि को अब अपनी गलती का एहसास हो चुका था , उसने मन ही मन एक बार फिर अपने जीवन को सही दिशा देने का प्रण लिया।
Pritam Kant
Bilaspur , Chhattisgarh ,
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We are grateful to Mr. Pritam Kant for sharing this Prernadayak Kahani with AKC.
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जीवन कुमार says
ya kahani prarana dayi ha ! Is kahani se hame life me khush rahna sikhata ha
Deepak Das says
really very very inspirational story….