एक बार छत्रपति शिवाजी महाराज जंगल में शिकार करने जा रहे थे। अभी वे कुछ दूर ही आगे बढे थे कि एक पत्थर आकर उनके सर पे लगा। शिवाजी क्रोधित हो उठे , और इधर-उधर देखने लगे , पर उन्हें कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था , तभी
पेड़ों के पीछे से एक बुढ़िया सामने आई और बोली , ” ये पत्थर मैंने फेंका था !”
“आपने ऐसा क्यों किया ?”, शिवाजी ने पूछा।
“क्षमा कीजियेगा महाराज , मैं तो आम के इस पेड़ से कुछ आम तोड़ना चाहती थी , पर बूढी होने के कारण मैं इस पर चढ़ नहीं सकती इसलिए पत्थर मारकर फल तोड़ रही थी , पर गलती से वो पत्थर आपको जा लगा। “, बुढ़िया बोली।
निश्चित ही कोई साधारण व्यक्ति ऐसी गलती से क्रोधित हो उठता और गलती करने वाले को सजा देता , पर शिवाजी तो महानता के प्रतीक थे , भला वे ऐसा कैसे करते।
उन्होंने सोचा , ” यदि यह साधारण सा एक पेड़ इतना सहनशील और दयालु हो सकता है जो की मारने वाले को भी मीठे फल देता हो तो भला मैं एक राजा हो कर सहनशील और दयालु क्यों नहीं हो सकता ?”
और ऐसा सोचते हुए उन्होंने बुढ़िया को कुछ स्वर्ण मुद्राएं भेंट कर दीं।
मित्रों सहनशीलता और दया कमजोरों नहीं बल्कि वीरों के गुण हैं। आज जबकि छोटी-छोटी बातों पर लोगों का क्रोधित हो जाना और मार-पीट पर उतर आना आम होता जा रहा है ऐसे में शिवाजी के जीवन का यह प्रसंग हमें सिहष्णु और दयालु बनने की सीख देता है।
श्री चैतन्य महाप्रभु ने कहा भी है :
तृणादपि सुनीचेन तरोरिव सहिष्णुना |
अमानिना मानदेन कीर्तनीयो सदा हरिः ||
हमें भगवान का पवित्र नाम विनम्रता के साथ लेना चाहिए , ये सोचते हुए कि हम रास्ते में पड़े तिनके से भी निम्न हैं। हमें पेड़ से भी अधिक सहनशील होना चाहिए; झूठी प्रतिष्ठा की भावना से मुक्त और दूसरों को सम्मान देने के लिए तत्पर होना चाहिए। ऐसी मनोस्थिति में हमें भगवान के नाम का निरंतर जप करना चाहिए।
- छत्रपति शिवाजी के जीवन के तीन प्रेरणादायक प्रसंग
- वीर शिवाजी का प्रेरणादायी जीवन
- छत्रपति शिवाजी महाराज के 26 प्रेरक कथन
- छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़े 21 बेहद रोचक तथ्य
———————–
इन कहानियों को भी पढ़ें:
यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है:[email protected].पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!
santlal vishwakarma says
mahan deshbhakt
Sitaram mahto says
Chhatrapati sivagi hamare desh ke mahan yodha the
guru says
Sir this story is not of shivaji maharaj..this story originally happened with Maharaja Ranjit singh
Santosh Yadav says
Sir, kuchh aisi books ke naam bataeye jo Mai apne dosto,sisters aur any logo ke marriage me gift ke rup me De sakoo.
Sir, nice story. Good morning
Aruna Kumari says
sahi kaha apne admin sir
safalbhariudaan.blogspot.in
ARVIND PANDEY says
पेड के समान सहनशील होना अच्छा है परन्तु बहुत सीधा होना भी अच्छा नहीं है क्योंकि कहा गया है सीधा पेड़ पहले कट जाता है . विनम्र होना अच्छा है पर बुरे का सामना बहादुरी से करना मानव धर्म है
Ashish Singh Negi says
अरविन्द जी आपके विचार से मैं पूरी तरह से सहमत हूँ ।
yogi saraswat says
सुन्दर प्रसंग