आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये !
भगवान कृष्ण प्रेम के संरक्षक माने जाते है, प्रेम इस समाज और व्यक्ति के आत्मिक विकास के लिए बहुत जरुरी है, वास्तव में मनुष्य का शरीर भोजन से लेकिन उसकी आत्मा प्रेम से विकसित होती है जीवन जीने की कला में प्रेम महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है अगर आप प्रकृति के करीब रहना चाहते है तो आप को प्रेम करना ही पड़ेगा क्योकि जहाँ प्रेम है वहाँ जीवन है, जीवन मूल्य है , अच्छा समाज भी वही है जिसका संचालन प्रेम पूर्वक किया जाये वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रेम की जो व्याख्या की जा रही है उसने प्रेम की एक संकुचित भावना को गढ़ने का काम किया है ; आज का आर्टिकल “मैं प्रेम हूँ !” में प्रेम खुद ही अपने विचारो को साझा कर रहा है.
मैं प्रेम हूँ !
मैं प्रेम ही ईश्वर की श्रेष्ठ रचना, मैं पूर्णतः स्वतंत्र , फिर भी परतंत्रता का जीवन जी रहा हूँ. मैं असीमित हूँ फिर भी सीमा में कैद हो कर रह गया हूँ. कभी मैं कृष्ण की बंसी में था तब मैं उन्माद में था मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था मैं रिश्तो की कसौटी पर जहाँ खड़ा हो जाऊ रिश्ते टूटते नहीं थे आज टूटते हुए मानवी रिश्तो के बीच मैं खुद को असहज महसूस करता हूँ . कभी मैं कृष्ण राधा के रूप में पूजनीय बना तब शायद मुझे पता नहीं था की मैं मंदिरो की मूर्ति बनकर रह जाऊगा.
मैंने मनुष्य को धर्म दिया जिसका आधार मैं स्वयं था लेकिन लोगो ने मुझे भूलना शुरू कर दिया धर्म में आई कठोरता का कारण मुझे भुलाना ही है . कभी मैं जातीय बंधनो से मुक्त था फिर तुम मनुष्यो ने मुझे जातीय सीमा में बाँध दिया मैं तुम्हरे जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए आया था, पर तुम्हारी घृणा के बीच फंस कर रह गया. कभी मुझे अँधा कहा गया और कभी मुझे मोह की संज्ञा दे दी गई पर मुझे शायद किसी ने पहचानने की कोशिश नहीं की…..मोह बंधन का काम करता है और मैं लोगो को स्वतंत्र बनता हूँ… मोह व्यक्ति को कमजोर बनता है जबकि मैं श्रेष्ठ.
इसलिए हे मनुष्यो मुझे मत भुलाओ. मेरी व्यापकता में ही तुम्हारा कल्याण है मुझमें किसी माँ की ममता छिपी है, किसी का स्नेह और किसी का प्रेम, तो किसी का विश्वास. तुम मुझसे मत खेलो तुम शायद इन्हे तोड़ने के बेहतर खिलाड़ी हो सकते हो पर मुझे खेलना नहीं आता, मुझे आता है तो केवल निर्माण.
मित्रो प्रेम हमारे मन मस्तिस्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है हमें मनुष्यता के लिए प्रेरित करता है और प्रकृति से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए प्रेम के प्रसार से ही मनुष्यता का प्रसार है.
पंकज गौतम
विट्स महाविद्याल
सतना, मध्य प्रदेश
Email: pgautam887@gmail.com
पंकज जी विगत 5 वर्षों से विट्स महाविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग मे अस्सिटेंट प्रोफेसर के पद पे कार्यरत हैं . लेखन और कविताओं मे इनकी विशेष रूचि है। “प्रेम” पर लिखे गए इस सुन्दर लेख के लिए हम इनके आभारी हैं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।
We are grateful to Mr. Pankaj Gautam for sharing this Inspirational article explaining the meaning of Love in Hindi .
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very Nice sir it’s real that Prem ki Paribhasa Ko change Karke rakh diya hai Logo ne,aapne Bahut hi Pyara Likha Hai sooooo nice
very nice sir
Hindi me likhane ki kalaa aapki bahut achhi hai
Very Nyc article sir jiii
बहुत ही अच्छा आपने लिखा है |
बा By- premsight.blogspot.com
in present life i will not say all people but many people do selfish love………….
Very Nice article…
At present time love is very important and krishna is origan of real love
Very well written and touched heart .. “Prem” is the pure and eternal form of Radha Krishna !
Sir very Nice
Sir ji aap is blog pr hindi mai type kaise karte hai Please muje batye
my email sdeepander@gmail.com
Thanks
Deepandeer ji,
Hindi me type karne ke liye Hindi keyboard aata he.
Ydi apko hindi typing sikhni he to ap Hindi typing class ja sakte he.
You may use https://translate.google.co.in/#hi/en to type in Hindi
Sir aap ke bichar bahut accha Hai plz send whatsap no.