भगवान ने हमे कुछ ऐसा बनाया है कि जब हम अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर सच्चे मन से किसी की मदद करते हैं तो हमे अन्दर से ख़ुशी मिलती है। In fact, हममें से ज्यादातर लोग इस तरह के काम करना चाहते हैं पर कर नहीं पाते और इसके लिए हमारे पास हमेशा एक excuse होता है- टाइम नहीं है , पैसे नहीं हैं , बाद में करेंगे, etc. पर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो excuse देने में नहीं बल्कि अपनी सोच को execute करने में believe करते हैं। और ऐसी ही एक महिला हैं श्रीमती अनीता शर्मा।
AchhiKhabar.Com के बहुत से पाठक उनके लेख पढ़ते आ रहे हैं और पहले से उन्हें जानते हैं, पर आज मैं उनके बारे में डिटेल में यहाँ बताना चाहूँगा।
अनीता जी की कहानी
सन 1964 में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी अनीता जी को बचपन से ही एक शैक्षणिक माहौल मिला। माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य अकसर ही किसी न किसी सामाजिक कार्य में लगे रहते, अतः लोगों की सेवा करने का बीज प्रारम्भ से ही उनके अन्दर था। और इस बीज को एक वृक्ष में विकसित करने में स्वामी विवेकानंद के साहित्य ने खाद-पानी का काम किया। सौभाग्य से शादी के बाद भी उन्हें पति का सहयोग मिलता रहा और वह अपने सामाजिक कार्यों को जारी रख पायीं, वो जिस शहर में भी रहीं वहां के अनाथ व वृद्धाश्रमों में जाती रहीं और लोगों को शिक्षित करने की दिशा में कार्य किया।
कुछ ऐसा ही काम वो 2011 में इंदौर शहर में कर रही थीं, तभी उनकी मुलाक़ात एक म्यूजिक टीचर से हुई। टीचर ने उनसे कुछ ब्लाइंड लड़कियों को पढ़ाने की रिक्वेस्ट की।
अगले ही दिन अनीता जी महेश दृष्टीहीन संघ पहुँच गयीं, वहाँ ब्लाइंड लड़कियों को पढ़ाना उन्हें इतना अच्छा लगा कि हर दुसरे दिन वहां जाने लगीं।
अनीता जी ने महसूस किया जहाँ एक तरफ ये लड़कियां जी-जान से मेहनत कर अपनी ज़िदगी में कुछ करना चाहती हैं वहीं दूसरी ओर समाज ऐसे लोगों के प्रति बिलकुल उदासीन है। उनका कोमल हृदय द्रवित हो उठा और तभी उन्होंने निश्चय कर लिया कि अपना जीवन दृष्टिबाधित लोगों की सेवा में अर्पित कर देंगी।
अनीता जी ने दृष्टीबाधित बालिकाओं को रेगुलरली पढ़ाना शुरू कर दिया और फिर धीरे-धीरे वह उनकी पाठ्य सामग्री को अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड भी करने लगीं। रिकॉर्डिंग से ब्लाइंड बच्चों को शिक्षा में काफी मदद मिलने लगी और वर्ड ऑफ़ माउथ से बहुत से बच्चे इस बारे में जान गए। जिसका परिणाम ये हुआ कि न सिर्फ इंदौर और आस-पास के क्षेत्रों से बल्कि पूरे भारत से द्दृष्टिहीन बच्चे उनसे कांटेक्ट करने लगे और अपने-अपने पाठ्यक्रम रिकॉर्ड कराने लगे।
अनीता जी चाहती तो रिकॉर्डिंग करने और पढ़ाने के लिए पैसे ले सकती थीं पर ये सब कुछ करने के लिए उन्होंने कभी भी पैसे नहीं लिए बल्कि अपने पैसे लगाकर लोगों की मदद की। यहाँ तक की उनके पास रेडियो जॉकी बनने और मूवीज में डबिंग करने का भी lucrative career option था लेकिन उन्होंने अपनी आवाज़ जिंदगियां रौशन करने में लगाना उचित समझा और बिना किसी आर्थिक लाभ के बच्चों के लिए रिकॉर्डिंग करती रहीं।
जब आप निश्छल मन से लगातार जन सेवा में लगे होते हैं तो समाज का ध्यान आपकी ओर ज़रुर जाता है।
भारत के पहले दृष्टीबाधित कमिशनर, श्री पी के पिंचा अनीता जी के काम से इतने प्रभावित हुए कि खुद उन्होंने पर्सनली कॉल कर के एप्रिशिएट किया।
दिल्ली की एक संस्था आई वे का भी ध्यान उनके काम पर गया और संस्था ने उनका इंटरव्यु “रौशनी का कारवां” नामक प्रोग्राम के माध्यम से विविध भारती पर प्रसारित किया जिसे भारत के विभिन्न राज्यों के 35 शहरों में सुना गया।
इसी प्रकार इन्टरनेट रेडियो, “ रडियो उड़ान” पर भी अनीता जी का इंटरव्यू प्रसारित किया गया। इन कार्यक्रमों के बाद और भी कई बच्चे उन्हें जान गए और उनसे विभिन्न विषयों और प्रतियोगी परिक्षाओं के लिये रिकॉर्डिंग कराने लगे।
अनीता जी चाहती हैं कि अधिक से अधिक लोग अधिक से अधिक जगहों पर दृष्टिबाधित लोगों की मदद करें इसलिए 2012 में उन्होंने अपना एक YouTube Channel launch किया जिसपर वो अपनी आवाज़ में अलग-अलग विषयों के स्टडी मटेरियल रिकॉर्ड करके अपलोड करती हैं।
इसके आलावा उन्होंने इसी साल 12 जनवरी 2015 को स्वामी विवेकानंद की जयंती के शुभ अवसर पर वॉइस फॉर ब्लाइंड क्लब की स्थापना की जिसका उद्देश्य दृष्टीबाधित लोगों को शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना है। आज इस क्लब में विभिन्न शहरों से 100 से अधिक सदस्य हैं जो दृष्टिबाधित लोगों की सेवा में तत्पर हैं।
क्लब के बारे में और अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
इस क्लब का सदस्य बननें के लिए यहाँ क्लिक करें।
अनीता जी आज कई तरह से दृष्टिबाधित लोगों ( primarily blind students) की मदद करती हैं :
- वो नेत्रहीन बच्चों द्वारा भेजी गयी किताबों व अन्य पाठ्य सामग्रियों जैसे बैंक, आई ए एस, पी सी एस, रेल , यूजीसी नेट सम्बंधित कोर्स मटेरियल को अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड करती हैं और उसकी CD बना कर उन्हें भेजती हैं।
- पिछले 5 सालों में उनके इस काम से हजारों बच्चे लाभान्वित हो चुके हैं। इस काम में अब उनकी मदद वौइस् फॉर ब्लाइंड क्लब के सदस्य भी कर रहे हैं जो भारत के विभिन्न शहरों से belong करते हैं। इस महत्त्वपूर्ण कार्य में उन्हें IIT, Chennai के volunteer से भी मदद मिल रही है।
- अपने YouTube channel पर सामान्य ज्ञान, इतिहास, भूगोल, प्रतियोगी परीक्षाओं और अन्य विषयों की रिकॉर्डिंग शेयर करती हैं। इससे ना सिर्फ दृष्टिहीन बल्कि सामान्य विद्यार्थी भी लाभान्वित होते हैं। आज उनके चैनल पर 10,000 से अधिक subscribers हैं और उनके वीडियोज को 14 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है।
- अनीता जी, Voice For Blind Club के सदस्यों की मदद से दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को परीक्षा में scribe (वो व्यक्ति जो दृष्टिबाधित विद्यार्थी के साथ परीक्षा में बैठ कर उसके बताये उत्तर लिखता है) उपलब्ध कराने में मदद कर रही हैं। उनकी इस मुहीम से इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, गुणगाँव आदि शहरों में विद्यार्थी लाभान्वित हो चुके हैं। उनके इस कार्य के प्रति लोगों को जागरूक बनाने के लिए बड़े-बड़े अखबारों और वेबसाइट्स पर भी इसकी चर्चा की जा चुकी है।
- अनीता जी अपने लेखों द्वारा लोगों को जागरूक बनाने का भी कार्य कर रही हैं। अनीता जी ये काम अपने ब्लॉग रौशन सवेरा, अच्छीखबर.कॉम तथा दबंग दुनिया, पत्रिका जैसे समाचार पत्रों में अपने लेख प्रकाशित कर के करती हैं। AchhiKhabar.Com पर हिंदी में प्रकाशित उनके निबंधों को भी लाखों बार पढ़ा जा चुका है।
- वो रोज आने वाले समाचारों को अखबार में पढ़ती हैं और कुछ ज़रूरी ख़बरों की रिकॉर्डिंग करके WhatsApp पर शेयर करती हैं। उनके group का नाम है- “Voice for blind” . हाल ही में शुरू की गयी इस activity से हज़ारों लोगों को लाभ पहुँच रहा है। चाहें तो आप भी इस ग्रुप को ज्वाइन कर सकते हैं।
अनीता जी के प्रयासों से हज़ारों दृष्टिहीन बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं, उनके मार्गदर्शन में सफल हुए कुछ दृष्टिबाधित बच्चों के नाम उल्लेखनीय हैं :
- अजय, आई ए एस में चयनित
- रश्मी चौरे, यूनियन बैंक, इंदौर में चयनित
- गीतेश गहलोत, स्टेट बैंक, इंदौर में क्लर्क
- इंदु, स्टेट बैंक, जबलपुर में पी ओ
- रजनी शर्मा, ओरियंटल बैंक, भोपाल में चयनित
- सुरेश, राजस्थान में टीचर
- अनुराधा, छत्तिगढ में लेक्चरर ,
- प्रकाश, छत्तिसगढ में अध्यापक ,
- विकास पारिख, टाटा कंपनी, मुंबई में कार्यरत
- इत्यादि
सचमुच, उनके द्वारा किया जा रहा कार्य बेहद सराहनीय है और समाज के सामने एक example set करता है कि एक अकेला दीपक लाखों दीपकों को प्रज्ज्वलित कर सकता है।
अनीता जी की लाइफ से हमे ना सिर्फ selfless service करने की प्रेरणा मिलती है बल्कि दो और महत्त्वपूर्ण बातें सीखने को मिलती हैं।
पहली, अनीता जी ने 47 साल की की उम्र में focussed होकर दृष्टिबाधित बच्चों के लिए काम करना शुरू किया और पांच साल के अन्दर वो हज़ारों blind students की मदद कर चुकी हैं। यानि हम लाइफ में कभी लेट नहीं होते, हम कोई भी शुरुआत कभी भी कर सकते हैं, बस उसे लेकर हमारा attitude positive होना चाहिए और efforts dedicated.
दूसरी, अनीता जी आर्ट्स ग्रेजुएट हैं और टेक्निकल चीजों से उनका कोई वास्ता नहीं रहा है, लेकिन आज वो दृष्टिबाधित बच्चों की मदद करने के लिए नयी-नयी टेक्नोलॉजी और तरीके सीखने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। यानि अगर हमें अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए ऐसी चीजें भी सीखनी पड़ें जिसमे हम comfortable ना हों तो हमें सीखना चाहिए और वक्त के साथ खुद को बदलने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
मित्रों, हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम भी समाज के उत्थान में अपना योगदान दें और अनीता जी जैसे लोगों के noble cause को promote और support करें। आइये हम मिलकर उन्हें धन्यवाद दें और ईश्वर से प्रार्थना करें कि वो अपने प्रयासों से अधिक से अधिक दृष्टिबाधित लोगों को आत्मनिर्भर बना सकें।
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Note: अनीता जी से contact करने के लिए [email protected] पर ईमेल कर सकते हैं।
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Ankit dhangar says
भगवान करे आपके बच्छे भी आपके जाने के बाद आपका कार्य करते रहे जय हिन्द दीदी
Dhananhay says
Thank you man, I am very impress.you are great, so tank.
R K Bharilya says
Madam’ Namaste! Ji apke vishes drashi bacchon ke prati kiye ja rahe saikshanik kary- e.g. “curriculum by speech” ke liye mera bahut-2 pranaam!
Mere suggestions that sometimes- fortnightly some arrangement may be made-
(1) To bring them to probably best teacher ever the earth- Lord Mahavir Jinalay(Temple)where he sits in restful posture, focussing inward the superblessed eyesight.
(2) Bring to a natural place to share various other feels like breeze of hills, 1st Mansoon etc.