सम्राट अशोक का गौरवपूर्ण इतिहास
Samrat Ashoka Life History in Hindi

Ashoka The Great
आदर्शवादी तथा बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न, मानव सभ्यता का अग्रदूत तथा प्राचीन भारतीय इतिहास का दैदिप्त्यमान सितारा अशोक एक महान सम्राट था। सभी इतिहासकारों की दृष्टी से अशोक का शासनकाल स्वर्णिम काल कहलाता है।
अशोक बिंदुसार का पुत्र था , बौद्ध ग्रन्थ दीपवंश में बिन्दुसार की 16 पत्नियों एवं 101 पुत्रों का जिक्र है। अशोक की माता का नाम शुभदाग्री था। बिंदुसार ने अपने सभी पुत्रों को बेहतरीन शिक्षा देने की व्यवस्था की थी। लेकिन उन सबमें अशोक सबसे श्रेष्ठ और बुद्धिमान था। प्रशासनिक शिक्षा के लिये बिंदुसार ने अशोक को उज्जैन का सुबेदार नियुक्त किया था। अशोक बचपन से अत्यन्त मेघावी था। अशोक की गणना विश्व के महानतम् शासकों में की जाती है।
ज़रूर पढ़ें: सम्राट अशोक के अनमोल विचार
सुशीम बिंदुसार का सबसे बड़ा पुत्र था लेकिन बिंदुसार के शासनकाल में ही तक्षशीला में हुए विद्रोह को दबाने में वह अक्षम रहा। बिंदुसार ने अशोक को तक्षशीला भेजा। अशोक वहाँ शांति स्थापित करने में सफल रहा। अशोक अपने पिता के शासनकाल में ही प्रशासनिक कार्यों में सफल हो गया था। जब 273 ई.पू. में बिंदुसार बीमार हुआ तब अशोक उज्जैन का सुबेदार था।
पिता की बिमारी की खब़र सुनते ही वह पाटलीपुत्र के लिये रवाना हुआ लेकिन रास्ते में ही अशोक को पिता बिंदुसार के मृत्यु की ख़बर मिली। पाटलीपुत्र पहुँचकर उसे उन लोगों का सामना करना पड़ा जो उसे पसंद नही करते थे। युवराज न होने के कारण अशोक उत्तराधिकार से भी बहुत दूर था। लेकिन अशोक की योग्यता इस बात का संकेत करती थी कि अशोक ही बेहतर उत्तराधिकारी था। बहुत से लोग अशोक के पक्ष में भी थे। अतः उनकी मदद से एंव चार साल के कड़े संघर्ष के बाद 269 ई.पू. में अशोक का औपचारिक रूप से राज्यभिषेक हुआ।
अशोक ने प्रशाश्कीय क्षेत्र में जिस त्याग, दानशीलता तथा उदारता का परिचय दिया एवं मानव को नैतिक स्तर उठाने की प्रेरणा दी वो विश्व इतिहास में कहीं और देखने को नही मिलती है। अशोक ने शासन को सुचारू रूप से चलाने के लिये अनेक सुधार किये और अनेक धर्म-महापात्रों की नियुक्ति की। अशोक अपनी जनता को अपनी संतान की तरह मानता था। उसने जनहित के लिये प्रांतीय राजुकों को नियुक्त किया। अशोक के छठे लेख से ये स्पष्ट हो जाता है कि वो कुशल प्रशासक था। उसका संदेश था –
प्रत्येक समय मैं चाहे भोजन कर रहा हूँ या शयनागार में हूँ, प्रतिवेदक प्रजा की स्थिति से मुझे अवगत करें। मैं सर्वत्र कार्य करूंगा प्रजा हित मेरा कर्तव्य है और इसका मूल उद्योग तथा कार्य तत्परता है।
अशोक की योग्यता का ही परिणाम था कि उसने 40 वर्षों तक कुशलता से शासन किया, यही वजह है कि सदियों बाद; आज भी लोग अशोक को एक अच्छे शाशक के रूप में याद करते हैं।
अशोक युद्ध के लिये इतना प्रसिद्ध नही हुआ जितना एक धम्म विजेता के रूप में प्रसिद्ध हुआ। वह न केवल मानव वरन सम्पूर्ण प्राणी जगत के प्रति उदारता का दृष्टीकोण रखता था। इसी कारण उसने पशु पक्षियों के वध पर प्रतिबंध लगा दिया था। अशोक ने लोकहित के लिये छायादार वृक्ष, धर्मशालाएं बनवाई तथा कुएं भी खुदवाये। उसने मनुष्यों व पशुओं के लिये उपयोगी औषधियों एवं औषधालयों की व्यवस्था की थी।
- ज़रूर पढ़ें: शूरवीर महाराणा प्रताप की प्रेरणादायक जीवनी
अपने साम्राज्य की सीमाओं की सुरक्षा तथा दक्षिण भारत से व्यापार की इच्छा हेतु अशोक ने 261 ई.पू. में कलिंग पर आक्रमण किया। युद्ध बहुत भीषण हुआ। इस युद्ध में अशोक को विजय हासिल हुई। जिसका विवरण अशोक के तेरहवें शिलालेख में अंकित है। विजयी होने के बावजूद अशोक इस जीत से खुश नही हुआ क्योंकि इस युद्ध में नरसंहार का ऐसा तांडव हुआ जिसे देखकर अशोक का मन द्रविभूत हो गया।
युद्ध की भीषणता का दिलो-दिमाग पर ऐसा असर हुआ कि अशोक ने युद्ध की नीति का सदैव के लिये त्याग कर दिया। उसने दिग्विजय की जगह धम्म विजय को अपनाया। उसने अपने कर्मचारियों को आदेश दिया कि कलिंग की जनता के साथ पुत्रवत् व्यवहार किया जाये तथा सभी के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार हो। उसने अपने आदेश को शिलालेख पर लिखवाया। ये आदेश धौली व जोगदा शिलालेखों पर अंकित है। कलिंग के युद्ध के बाद सम्राट अशोक के व्यवहार में अद्भुत परिवर्तन हुआ और कलिंग युद्ध उसका अंतिम सैन्य अभियान था। अशोक की इस शान्ति प्रिय निती ने उसे अमर बना दिया।
- पढ़ें: भगवान् बुद्ध की प्रेरणादायी जीवनी व अनमोल विचार
अशोक ने अपने शासन काल में बंदियों की स्थिति में भी सुधार किये। उसने वर्ष में एक बार कैदियों को मुक्त करने की प्रथा का प्रारंभ किया था। अशोक ने राज्य का स्थाई रूप से दौरा करने के लिये व्युष्ट नामक अधिकारी नियुक्त किये थे। कलिंग विजय के पश्चात अशोक का साम्राज्य विस्तार बंगाल की खाड़ी तक हो गया था। नेपाल तथा कश्मीर भी मगध राज्य में थे। दक्षिण में पन्नार नदी तक साम्राज्य विस्तृत था। उत्तर पश्चिम में अफगानिस्तान व बलूचिस्तान भी अशोक के साम्राज्य का हिस्सा था।
अशोक ने धम्म सम्बन्धी अपने सिद्धान्त को अपने अभिलेखों में अभिव्यक्त किया है।
प्रथम शिलालेख मे लिखा है-
“यज्ञ अथवा भोजन के लिये पशुओं की हत्या न करना ही उचित है।”
इसी के साथ अशोक ने माता-पिता, गुरु एवं बड़े बुजुर्गों का आदर सत्कार का संदेश भी शिलालेख पर अंकित करवाया। अशोक के धम्म प्रचार का मुख्य उद्देश्य समाज में शांति और सोहार्द की वृद्धी करना था।
उसने अपने पुत्र महेन्द्र और पुत्री संधमित्रा को श्री लंका में बौद्ध प्रचार के लिये भेजा अशोक द्वारा लिखवाये गये अधिकांश शिला-अभिलेख धम्म प्रचार के साधन थे।
अशोक के अधिकांश संदेश ब्रह्मी लिपि में हैं। कुछ अभिलेखों में खरोष्ठी तथा आरमेइक लिपि का भी प्रयोग हुआ है। सर्व प्रथम 1837 में जेम्स प्रिंसेप नामक विद्वान ने इसे पढने में सफलता हासिल की थी।
अशोक द्वारा लिखवाये अभिलेखों को चार भागों में विभाजित किया गया है, चौदह -शिलालेख, लघु-शिलालेख, स्तम्भ-शिलालेख तथा लघु-स्तम्भ शिलालेख। अशोक ने अपने शासनकाल में अनेक स्तंभ बनवाये थे उसमें से आज लगभग 19 ही प्राप्त हो सकें हैं। इनमें से हमारी संस्कृति की धरोहर अशोक स्तंभ को राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में अंगीकार किया गया है। स्तंभ में स्थित चार शेर शक्ति, शौर्य, गर्व और आत्वविश्वास के प्रतीक हैं। अशोक स्तंभ के ही निचले भाग में बना अशोक चक्र आज राष्ट्रीय ध्वज की शान बढ़ा रहा है।
अशोक में कर्तव्यनिष्ठा का प्रबल भाव था। उसने घोषणां की थी कि,
मैं जो कुछ भी पराक्रम करता हूँ, वह उस ऋण को चुकाने के लिये है, जो सभी प्राणियों का मुझपर है।
सम्राट अशोक की मृत्यु की तिथी एवं कारण को लेकर अनेक भ्रान्तियां हैं। कुछ इतिहासकारों के अनुसार अशोक की मृत्यु 232 ई.पू. में हुई थी।
इतिहासकार डॉ. राधाकुमुद मुखर्जी ने लिखा है कि, “राजाओं के इतिहास में अशोक की तुलना किसी अन्य राजा से नही कि जा सकती है।”
इतिहासकारों के अनुसार, अशोक चन्द्रगुप्त के समान प्रबल, समुन्द्र गुप्त के समान प्रतिभासम्पन्न तथा अकबर के समान निष्पक्ष था। चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा भारत को एक राजनैतिक सूत्र में बाँधने के प्रयत्न को अशोक ने पूर्ण किया था। निःसंदेह अशोक एक महान शासक था। उसका आदर्श विश्व की महत्वपूर्ण आध्यात्मिक पूंजी है।
- पढ़ें: भारत के 10 महान शासक
———–
सम्राट अशोक के बारे में कुछ रोचक तथ्य / Interesting Facts about Samrat Ashoka in Hindi
- अशोक का पूरा नाम “अशोक वर्धन मौर्या” था। अशोक का अर्थ है – बिना शोक का यानि जिसे कोई दुःख न हो कोई पीड़ा न हो।
- अशोक ने बाद में देवनंपिय पियदसी (Devanampiya Piyadasi) यानि “देवताओं का प्रिय और प्रेम से देखने वाला” की पदवी ले ली।
- अपने भाइयों की हत्या, जिसमे सबसे बड़े भाई और बिन्दुसार के उत्तराधिकारी सुशीम की हत्या भी शामिल थी; के कारण अशोक का एक नाम चंड अशोक (Chanda Ashoka) भी पड़ा। जिसका अर्थ है बेरहम या निर्मम अशोक।
- माना जाता है कि अशोक ने अपने सभी भाईयों की हत्या नहीं की और बहुत से भाइयों को जिसमे तिष्य नाम का एक छोटा भाई भी शामिल था, उन्हें मगध साम्राज्य के कई प्रान्तों का बागडोर सँभालने को दे दी।
- 18 साल की उम्र में अशोक को उज्जैन के एक प्रान्त अवंती का वायसराय नियुक्त कर दिया गया था।
- अशोक की पहली पत्नी देवी एक बौद्ध व्यापारी की पुत्री थी। जिससे अशोक को पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा प्राप्त हुए। देवी कभी भी राजधानी पाटलिपुत्र नहीं गयी।
- महेद्र और संघमित्रा को श्रीलंका में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए उत्तरदायी माना जाता है।
- तक्षशिला का विद्रोह दबाने के बाद अशोक की अगला राजा बनने की सम्भावना बढ़ गयी, जिससे परेशान होकर बड़े भाई सुशीम ने राजा बिन्दुसार द्वारा उसे दो साल के देश निकाला दिला दिया।
- इस दौरान अशोल एक मछुआरे की पुत्री करूणावकि से मिला और उससे विवाह कर लिया। इस विवाह से उसे तिवाला नाम का पुत्र हुआ। शिलालेखों में बस इसी रानी का नाम मिलता है।
- अशोक की प्रधान रानी का नाम असंध्मित्रा था जो एक राज-परिवार से थी और अपना पूरा जीवन प्रमुख रानी बन कर रही। हालांकि, इस रानी से अशोक को कोई संतान नहीं थी।
- चक्रवर्ती सम्राट अशोक का शासन 40 वर्ष का था, जबकि उसके पिता का शाशन 25 वर्ष का और मौर्य वंश के पहले सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का शाशन काल 24 वर्ष का था।
- कलिंग के युद्ध में 1 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु ने अशोक को झकझोर दिया और तभी से वह शांति की तलाश में लग गया और धीरे-धीरे बौद्ध धर्म अपना लिया।
- माना जाता है कि बौद्ध धर्म अपनाने से पहले अशोक भगवान् शिव का उपासक था।
- अशोक का मानना था कि बौद्ध धर्म सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि जानवरों और पेड़-पौधों के लिए भी हितकारी है और उसने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने धर्म प्रचारक श्रीलंका, नेपाल, सीरिया, अफ़ग़ानिस्तान, यूनान तथा मिस्र तक भेजे।
- अशोक का साम्राज्य पुरे भारतीय उप महाद्वीप में फैला हुआ था। यह उस समय तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य था जो उत्तर में हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर तक तथा पूर्व में बंगाल से पश्चिम में अफ़गानिस्तान तक पहुँच गया था।
- अशोक के शासन काल में ही कई प्रमुख विश्वविद्यालयों की स्थापना की गयी, जिसमे तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय प्रमुख हैं।
- तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक द्वारा बनाया गया मध्य प्रदेश में साँची का स्तूप आज भी एक प्रसिद्द पर्यटक स्थल है।
- अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य लगभग ५० और वर्षों तक चला। इसके आखिरी शासक का नाम ब्रह्द्रत था जिसे 185 BCE में उसके जनरल पुष्यमित्र संगा ने मार डाला था।
- अशोक स्तम्भ से लिए गए अशोक चक्र को भारत के राष्ट्रीय ध्वज में स्थान दिया गया है तथा चार शेरों वाले चिन्ह को राष्ट्रिय चिन्ह (national emblem) का सम्मान दिया गया है।
Read more about Samrat Ashok in Hindi on Wikipedia
धन्यवाद
अनिता शर्मा
Educational & Inspirational Videos (14.75 lacs+ Views): YouTube videos
Blog: http://roshansavera.blogspot.in/
E-mail Id: voiceforblind@gmail.com
क्या आप blind students की हेल्प करना चाहते हैं ? यहाँ क्लिक करें या इस फॉर्म को भरें
इन रिलेटेड पोस्ट्स को भी ज़रूर पढ़ें :
- शूरवीर महाराणा प्रताप की प्रेरणादायक जीवनी
- खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी
- महान प्रेरणा स्रोत – स्वामी विवेकानंद
- अरस्तु के अनमोल विचार
- चाणक्य के अनमोल विचार
- रानी पद्मावती का इतिहास व कहानी
- पराक्रमी राजा पोरस की जीवन गाथा व इतिहास
सेल्फ इम्प्रूवमेंट के लिए इन पोस्ट्स को पढ़ें:
- 5 चीजें जो आपको नहीं करनी चाहिए और क्यों ?
- करोड़पति बनना है तो नौकरी छोडिये…….
- Pleasant Personality Develop करने के 10 Tips
- कैसे सीखें अंग्रेजी बोलना? 12 Ideas
- सफलता के लिए ज़रूरी है Focus !
- दिल की सुनने में आने वाले 7 challenges !
Complete List of Hindi Essays and Biographies यहाँ देखें
We are grateful to Anita Ji for sharing the inspirational write-up on Samrat Ashoka Life History in Hindi.
Note: अलग-अलग इतिहासकारों ने सम्राट अशोक से सम्बंधित अलग-लग विवरण दिए हैं। अतः संभव है कि इस लेख में बताई गयी सभी बातें पूर्णत सही न हों। Samrat Ashok Life History in Hindi has many versions by different historians. So, the information furnished here may not be 100% accurate.
यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational
WONDER FULL JANKARI THI SAMRAT ASHOK KE BARE ME
Thanks sir for biography of Samrat Ashok…..
Samrat ashoka ki Confirm date of birth kya hei plz tell me..
I am big fan of achhikhabar sir but dont take it otherwise
अशोक की एक विदेशी मुग़ल आक्रान्ता अकबर से तुलना करना अशोक जैसे उच्च कोटि के सम्राट का अपमान होगा| अकबर और जिसके मुग़ल पूर्वजो ने भारत की अध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने में कोई कसर नही छोड़ी उसे निष्पक्ष कहना निष्पक्षता का अपमान होगा| मुग़ल हमारे आदर्श नही है|
Samrat ashok ke jaynti ko aese manao ke diwali se bhi bana tyohar lage,and logon ke del and demag bas jaye,
I am read ashoka story this is realy right
प्रियदर्शी सम्राट अशोक के विषय मे ज्ञानवर्धक जानकारी प्रदान करने हेतु धन्यवाद ।
Thanks for biography of Ashok
I am always eager to read something about great Empire Samrat Ashok.
Ashok ki phli patni korwaki thi