Ramayan Mahabharat ki Pauranik Kathayen
पौराणिक कथाएँ
हिन्दू धर्म एक ऐसा महान धर्म है जिसमें कई महाकाव्य और धार्मिक कथाओं का वर्णन है। कई सारे ग्रंथ इस बात की गवाही देते हैं की विभिन्न युगों में दैवी शक्तियों नें अवतार ले कर पृथ्वी को पाप मुक्त किया है। और उन्हीं पौराणिक ग्रंथों में सिद्ध ऋषि मुनियों और दैवी पात्रों के द्वारा, दूसरे कई पात्रों को दिये गए शाप का भी वर्णन किया गया है।
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Pauranik Kathayen #1 : श्रवण कुमार के अंधे माता-पिता और राजा दशरथ का दर्दनाक किस्सा
अपने दृष्टिहीन माता-पिता की प्यास बुझाने के लिए जब श्रवणकुमार नदी पर पानी भरने जाते हैं, तभी पास में अयोध्या नगरी के राजा दशरथ जंगल में शिकार खेल रहे होते हैं। दशरथ के पास शब्द भेदी बाण चला कर शिकार करने की विद्या होती है।
श्रवणकुमार नदी पर पहुंच कर जैसे ही पानी भरने लगते हैं, तभी राजा दशरथ को ऐसा लगता है कि नदी पर कोई हिंसक प्राणी जल पीने आया है। वे उसी वक्त बिना देखे शब्द भेदी बाण छोड़ देते हैं।
बाण सीधा श्रवणकुमार की छाती भेद जाता है और वो जोर से चीख पड़ते हैं। उनकी आवाज सुनकर दशरथ भी नदी की ओर दौड़ पड़ते हैं। वहां श्रवण कुमार अपनी मृत्यु से लड़ रहे होते हैं। दशरथ उनका हाथ पकड़ क्षमा मांगने लगते हैं।
मरने से पहले श्रवणकुमार दशरथ से कहते हैं, “मेरे दृष्टिहीन माता पिता प्यासे हैं उन्हे यह जल पिला देना।”
और इतना कह कर श्रवण कुमार अपना देह त्याग देते हैं।
राजा दशरथ श्रवणकुमार के पिता ऋषि शांतनु और माता देवी ज्ञानवती को सारी हकीकत दुख और शोक के साथ काँपते हुए सुनाते हैं। अपने इकलौते बुढ़ापे के सहारे और जीवन से भी प्रिय पुत्र की मौत की खबर सुन कर देवी ज्ञानवती उसी वक्त परलोक सिधार जाती हैं।
श्रवण कुमार के पिता ऋषि शांतनु करुण रुदन करते हुए, क्रोधाग्नि में जलने लगते हैं। और अपराधी राजा दशरथ को यह शाप देते हैं कि-.
जिस तरह हमारी मौत के समय हमारा इकलौता पुत्र हमारे पास नहीं है, उसी तरह जब तुम देह त्यागोगे तो तुम्हारा कोई भी पुत्र तुम्हारे पास नहीं होगा… और जिस तरह अपने पुत्र के वियोग में हम बूढ़े माँ-बाप मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं, ठीक वैसे ही तुम्हारी मृत्यु भी पुत्र वियोग के प्रगाढ़ दुख में होगी।
यह शाप देने के पश्चात तुरंत ही ऋषि शांतनु भी देह त्याग कर देते हैं।
और जैसा कि हम सब जानते हैं, भविष्य में राजा दशरथ, अपने लाडले पुत्र राम के वनवास के दौरान मृत्यु को प्राप्त होते हैं। उस समय लक्ष्मण भी राम के साथ वन में होते हैं, तथा भरत और शत्रुग्न अपने मामा के वहाँ गए होते हैं। इस प्रकार ऋषि शांतनु का शाप सत्य साबित होता है।
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Pauranik Kahaniyan #2 :
“ सम्राट युद्धिष्ठिर ” द्वारा अपनी माता “देवी कुंती” और समस्त नारी जाती को दिया हुआ शाप
दुर्योधन का आखिरी महान योद्धा अंग राज कर्ण मारा जा चुका था । देवी कुंती अपनी आँखों में आँसू लिए कुरुक्षेत्र रण में आ पहुँचती हैं। जहां रात में अर्जुन, युद्धिष्ठिर, नकुल, सहदेव, और श्री कृष्ण, जीवित सैनिकों से, मृत सैनिकों के शव उठवा रहे होते हैं। तभी देवी कुंती अंग राज कर्ण के मृत देह के पास बैठ कर विलाप करने लगती हैं।
अपनी माता को शत्रु के शव पर विलाप करते देख अर्जुन, युद्धिष्ठिर, नकुल, सहदेव, और भीम देवी कुंती से पूछने लगते हैं कि वह क्यों ऐसा कर रही है। तभी कुंती वर्षों से छुपाया भेद खोल देती हैं कि कर्ण उन्हीं का ज्येष्ठ पुत्र है। यह बात सुन कर सारे भाई अपनी माता से बहुत क्रुद्ध हो जाते हैं। और इतना बड़ा भेद छुपाने के लिए युद्धिष्ठिर अपनी माता देवी कुंती और समस्त नारी जाती को यह शाप देते हैं कि-
आज के पश्चात कोई भी नारी मन में कोई भेद नहीं छुपा पाएगी, भेद छुपाने की नारी जाती की वृति ही नहीं रहेगी।
युद्धिष्ठिर का यह कहना था कि अगर हमे पता होता की कर्ण हमारा ज्येष्ठ भ्राता है, तो हम कदापी उसके प्राण नहीं हरते। और उसी को राजा बना देते। पर कृष्ण ने ऐसा होने नहीं दिया क्योंकि अगर कर्ण को राज्य मिलता तो वह मित्रता का ऋण उतारने के लिए, राज्य दुर्योधन को दे देता और दुर्योधन की विजय यानी अधर्म की धर्म पर विजय। जिसे कभी कृष्ण होने नहीं दे सकते थे।
Pauranik Kathayen Hindi Me #3 :भगवान श्री कृष्ण को देवी गांधारी का दिया हुआ शाप
कुरुक्षेत्र का युद्ध समाप्त हो चुका था। अधर्म का साथ देने वाले गांधारी के निन्यानवे पुत्र, और उनका सौवा पुत्र जो युद्धिष्ठिर, के पक्ष से लड़ा था, वह सारे के सारे मृत्यु को प्राप्त हो चुके थे। विजय के बाद अर्जुन, युद्धिष्ठिर, नकुल, सहदेव, भीम, देवी कुंती तथा श्री कृष्ण हस्तिनापुर आये और ध्रितराष्ट्र तथा देवी गांधारी से भेंट की।
वापस जाते समय श्री कृष्ण देवी गांधारी के कक्ष में आज्ञा लेने जाते हैं। उस समय गांधारी अपने सौ पुत्रों की मृत्यु के शौक में लिप्त होती हैं। वह कृष्ण से कहती हैं कि अगर तुम चाहते तो युद्ध को रोक सकते थे ना ? श्री कृष्ण हाँ में जवाब देते हैं। यह वचन सुन कर गांधारी के क्रोध का बांध टूट जाता है और वह श्री कृष्ण को शाप दे देती है कि-
जैसे हमारे वंश का नाश हुआ और हम उसे रोक ना पाये… वैसे ही तुम्हारे वंश का भी सर्वनाश होगा और तुम भी उसे रोक नहीं पाओगे।
हकीकत में उसके बाद भविष्य में यादवों का वंश नाश हो गया। यादव एक दूजों के साथ ही लड़ मरे थे। और इस तरह देवी गांधारी का शाप सत्य हुआ था।
पौराणिक कहानियां #4: पवन पुत्र केसरी नन्दन हनुमान को बाल्य काल में मिला हुआ शाप
हनुमान बाल्यकाल में काफी नटखट थे। वह हंसी-खेल में ऋषि-मुनियों को खूब सताते थे। एक बार तो उन्होने सूर्य को अपने मुह में समा लिया था। हनुमान के नटखट व्यवहार से क्रुद्ध हो कर उन्हे एक महा तपस्वी ऋषि ने शाप दिया कि…
है उदण्ड नटखट बालक… तुम जिन दिव्य शक्तियों के प्रभाव से उधम मचाते फिर रहे हो उन चमत्कारी दिव्य शक्तियों को अभी के अभी भूल जाओगे।
बाल हनुमान की माता उस ऋषि से अपना शाप वापस लेने को प्राथना करती हैं। पर वह ऋषि ऐसा कहते हैं कि जब भी भविष्य में राम काज के लिए कोई व्यक्ति हनुमान को उनकी शक्तियों, और बाल्य काल की बातों को स्मरण कराएगा तब उसी वक्त हनुमान की शक्तियाँ उनके पास लौट आएंगी।
और आग चल कर यही हुआ। सीता मैया को रावण की कैद से छुडाने के लिए प्रयत्न कर रहे श्री राम की मदद करते समय ही हनुमान जी को अपनी शक्तियों का स्मरण हो पाया था।
धार्मिक कथा #5 : एक ब्राह्मण के द्वारा अंग राज कर्ण को दिया हुआ शाप
एक दिन सूर्य पुत्र कर्ण शिकार खेलने गए थे। झाड़ियों के पीछे किसी हिंसक प्राणी की आशंका होने पर बिना पड़ताल किए ही कर्ण बाण चला देते हैं। दुर्भाग्य वश वह एक गाय होती है। उस गाय का रखवाला ब्राह्मण यह दृश्य देख बहुत क्रुद्ध हो जाता है।
कर्ण उस ब्राह्मण से माफी मांगने लगते है। पर वह ब्राह्मण कहता है कि मैं तुम्हे माफ तो कर दूंगा पर पहले मेरी इस गाय को जीवित कर के दो; इसका भूखा बछड़ा मेरे घर पर बंधा हुआ है, और वह भूख से बिलख रहा होगा…मुझे इस गाय को उसके बछड़े के पास जीवित ले कर जाना है!
कर्ण ऐसा करने के लिए अपनी असमर्थता बताते हैं। तभी वह ब्राह्मण कर्ण को अपनी उस गलती के लिए शाप देता है कि-
जिस तरह तुम रथ पर सवार हो कर, अपनी शक्तियों के मध में खुद को श्रेष्ठ समझने लगे हो, और दूसरों पर बिना सोचे समझे कहर ढा रहे हो, एक दिन जब तुम अपने जीवन की सब से बड़ी लड़ाई लड़ रहे होगे तब तुम्हारे रथ के पहिये जमीन में धंस जाएंगे। और भय का राक्षस तुम्हें चारों ओर से घेर लेगा…
भविष्य में जब कर्ण अपने जीवन की सब से बड़ी लड़ाई अर्जुन से लड़ रहे होते हैं तभी कर्ण के रथ के पहिये रण भूमि में जमीन में धस जाते हैं। और तब कर्ण जमीन में धसा पहिया निकालने नीचे उतरते हैं। इस अवसर का लाभ उठा कर अर्जुन कपट से कर्ण का वध कर देते हैं। इस तरह ब्राह्मण का शाप सत्य हो जाता है।
Pauranik Kathayen in Hindi #6 : राज कुमारी अंबा का भीष्म को दिया हुआ श्राप
काशी राज्य के राजा की तीन पुत्रियाँ अंबा, अंबिका, और अंबालिका का काशी में स्वयंवर हो रहा होता है। तभी वहाँ धनुष बाण लिए क्रोध में गंगा पुत्र भीष्म पहुँच आते हैं। उस सभा में कई महाराजा उपस्थित होते हैं जो भीष्म का मज़ाक उड़ाने लगते हैं कि उनकी ब्रह्मचर्य की प्रातिज्ञा का क्या हुआ? तभी भीष्म एक ही बाण से सारे राजा-महाराजाओं का मुकुट उतार लेते हैं और काशी की राजकुमारियों का हरण कर के हस्तिनापुर ले जाते हैं ताकि उनका विवाह विचित्रवीर्य से किया जा सके। भीष्म ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि सदियों से काशी की राजकुमारीयों का विवाह हस्तिनापुर के राजकुमारों से होता आ रहा होता है। इसलिए काशी की राजकुमारी या इस बार भी हस्तिनापुर राज्य में ही ब्याही जानी चाहिए थी।
हस्तिनापुर आ कर पता चलता है की काशी राजकुमारी अंबा तो पहले ही शालव नरेश को मन ही मन अपना पति मान चुकी है और वह दोनों एक दुसरे से प्रेम करते हैं। फौरन ही भीष्म काशी राजकुमारी अंबा को शाल्व नरेश के पास भेज देते हैं पर शाल्व अंबा को अस्वीकार कर देते हैं।
अंबा अब अपमानित हो कर काशी वापस तो जा नहीं सकती थी। और शाल्व ने भी उसे ठुकरा दिया था। इसलिए वह वापस हस्तिनापुर आती है और हस्तिनापुर नरेश से कहती हैं कि मेरी इस हालत का ज़िम्मेदार भीष्म है। उसे यह आदेश दिया जाये कि वह मुझसे विवाह करे।
पर अपने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत के कारण भीष्म अंबा से विवाह करने से इन्कार कर देते हैं और तभी क्रोध की आग में जलती अंबा यह शाप देती है कि-
हे! कायर भीष्म… मैं अपने इस अपमान का बदला तुम्हारी जान ले कर लूँगी… चाहे मुझे जन्म पर जन्म ही क्यों ना लेने पड़े पर तुम्हारी मौत का कारण मै ही बनूँगी…
कुरुक्षेत्र में जब अर्जुन से भीष्म का सामना हुआ तब अर्जुन के रथ पर शिखंडी नामक योद्धा खड़ा था और वह एक अर्धनारी था। अंबा ने ही शिखंडी के रूप में जन्म लिया था। उसे पता था की भीष्म कभी उस दिशा में बाण नहीं चलाएगा जिस दिशा में एक नारी खड़ी हो। भीष्म ने तुरंत शिखंडी के अंदर छुपी अंबा को पहचान लिया और तुरंत अपने शस्त्र त्याग दिये। निहत्थे भीष्म पर शिखंडी के पीछे छुपे अर्जुन ने बाणों की वर्षा कर दी। और भीष्म बाणों की शय्या पर लेट गए। युद्ध के अंत में महान योद्धा भीष्म मृत्यु को प्राप्त हुए। इस तरह अंबा ने अपना दिया हुआ शाप सच कर दिया और अपने अपमान का बदला लिया।
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Anonymous says
अगर हिन्दू धर्म इतना ही महान था ,तो क्यों इस देश के हालात आज भी इतने खराब है ,क्यों ये देश टुकडों मे बट गया ,हिन्दू धर्म ने 3500वर्ष जो महान काम अपनी नजरो मे किये है वो ।सिर्फ जात पाट भेद भाव उच नीच ,छल कपट ,अपने से छोटी जातियों का दमन ,शोषण ,सिर्फ अपने निजी फायेदे के लिये ,ये तो इस देश कि खुशनसीबी समझिये कि इस देश को भारतीय समविधान मिल गया ,नही तो इन हिंदुयों कि महानता इस देश का और बेड़ागर्क कर देती
sonu mourya says
yahi to durbhag hai tumhe kch pata hi nhi ..bharat hazaro salo se uppar raha hai agar angreg bharat nhi ate yaha hi asli sbhyata ho nhi mitate to tumhe aj alsi bhart dekhno ki mitma ek kam karo youtuve pe rajiv dixit ka videos dekho
Nilesh Verma says
sir yah article bahut hi badhiya hai.and mahabhart ramayn ki kahani padhakar hame bahut hi achha laga and bachhon ke liye khaskar aaj ke yung ke liye yah article bahut hi badhiya hai.
Vijay Rathod says
महाभारत रामायण से जुड़ी इन कहानियों को पढ़कर बहुत अच्चा लगा. काफी कुछ सीखने को मिला जो आज तक पता नहीं था.
chetan halani says
such me bahut mast kahaniya hai
Navjyot Kumar says
बहुत ही बढ़िया कहानिया हैं, हर श्राप के पीछे कुछ न कुछ कारण था. जैसे दशरथ को मिले श्राप की वजह से राम से वन को गये और रावण का अंत किया. एक श्राप और भी था अर्जुन को मिला श्राप जिसे उर्वशी में अर्जुन को नपुंसक बनने का श्राप दिया, और वह श्राप अर्जुन के लिए अज्ञातवास में काम आया. हर श्राप का कुछ न कुछ उद्देश्य जरूर था. धन्यवाद गोपाल जी….
Shamshul Haque Qureshi says
Acchi Khaniyaan Hai
Kafi Koch Janne ko mila.
Moti says
Aapki had nyi post shandar hoti he plz aapse request he ki aap blogging se judi post bhi jyada se jyada dale
http://www.hindimeinternet.com
priyanka pathak says
nice story thanks for sharing…
priyanka pathak
Help To Making says
Sir Ye Story Bahut Hi Achhi Hai .Thanks For Sharing. Muhe in story se bahut kuch new sikhne ko mila.thanks sir
Amul Sharma says
Very nice stories about Hindu Mythology…..thanks for share…..