
दोस्तों, 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है. इस विशेष दिवस पर हम अच्छीखबर के सभी पाठकों के साथ योग अभ्यास के कुछ पहलुओं को आपके सामने रखना चाहते हैं जिससे आप सब भी योग अपनाएं और स्वस्थ व सुखी जीवन जीयें।
योग क्या है?
योग का अर्थ है जोड़ना. जीवात्मा का परमात्मा से मिल जाना, पूरी तरह से एक हो जाना ही योग है। योगाचार्य महर्षि पतंजली ने सम्पूर्ण योग के रहस्य को अपने योगदर्शन में सूत्रों के रूप में प्रस्तुत किया है.
उनके अनुसार, “चित्त को एक जगह स्थापित करना योग है।
अष्टांग योग क्या है?
हमारे ऋषि मुनियों ने योग के द्वारा शरीर मन और प्राण की शुद्धि तथा परमात्मा की प्राप्ति के लिए आठ प्रकार के साधन बताएँ हैं, जिसे अष्टांग योग कहते हैं..
ये निम्न हैं-
- यम
- नियम
- आसन
- प्राणायाम
- प्रात्याहार
- धारणा
- ध्यान
- समाधि
इस पोस्ट में हम कुछ आसान और प्राणायाम के बारे में बात करेंगे जिसे आप घर पर बैठकर आसानी से कर सकते हैं और अपने जीवन को निरोगी बना सकते हैं।
आसान से क्या तात्पर्य है और उसके प्रकार कौन से हैं?
आसान से तात्पर्य शरीर की वह स्थिति है जिसमें आप अपने शरीर और मन को शांत स्थिर और सुख से रख सकें.
स्थिरसुखमासनम्: सुखपूर्वक बिना कष्ट के एक ही स्थिति में अधिक से अधिक समय तक बैठने की क्षमता को आसन कहते हैं।
योग शास्त्रों के परम्परानुसार चौरासी लाख आसन हैं और ये सभी जीव जंतुओं के नाम पर आधारित हैं। इन आसनों के बारे में कोई नहीं जानता इसलिए चौरासी आसनों को ही प्रमुख माना गया है. और वर्तमान में बत्तीस आसन ही प्रसिद्ध हैं।
आसनों को अभ्यास शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से स्वास्थ्य लाभ एवं उपचार के लिए किया जाता है।
आसनों को दो समूहों में बांटा गया है:-
- गतिशील आसान
- स्थिर आसान
गतिशील आसन- वे आसन जिनमे शरीर शक्ति के साथ गतिशील रहता है.
स्थिर आसन- वे आसन जिनमे अभ्यास को शरीर में बहुत ही कम या बिना गति के किया जाता है.
आइये अपने शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए इन आसनों के बारे में जानते हैं / Major Types of Yogasana in Hindi
स्वस्तिकासन / Swastikasana
स्थिति:- स्वच्छ कम्बल या कपडे पर पैर फैलाकर बैठें।
विधि:- बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाहिने जंघा और पिंडली (calf, घुटने के नीचे का हिस्सा) और के बीच इस प्रकार स्थापित करें की बाएं पैर का तल छिप जाये उसके बाद दाहिने पैर के पंजे और तल को बाएं पैर के नीचे से जांघ और पिंडली के मध्य स्थापित करने से स्वस्तिकासन बन जाता है। ध्यान मुद्रा में बैठें तथा रीढ़ (spine) सीधी कर श्वास खींचकर यथाशक्ति रोकें।इसी प्रक्रिया को पैर बदलकर भी करें।
लाभ:-
- पैरों का दर्द, पसीना आना दूर होता है।
- पैरों का गर्म या ठंडापन दूर होता है.. ध्यान हेतु बढ़िया आसन है।
गोमुखासन /Gomukhasana
विधि:-
- दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें। बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितम्ब (buttocks) के पास रखें।
- दायें पैर को मोड़कर बाएं पैर के ऊपर इस प्रकार रखें की दोनों घुटने एक दूसरे के ऊपर हो जाएँ।
- दायें हाथ को ऊपर उठाकर पीठ की ओर मुडिए तथा बाएं हाथ को पीठ के पीछे नीचे से लाकर दायें हाथ को पकडिये .. गर्दन और कमर सीधी रहे।
- एक ओ़र से लगभग एक मिनट तक करने के पश्चात दूसरी ओ़र से इसी प्रकार करें।
Tip:- जिस ओ़र का पैर ऊपर रखा जाए उसी ओ़र का (दाए/बाएं) हाथ ऊपर रखें.
लाभ:-
- अंडकोष वृद्धि एवं आंत्र वृद्धि में विशेष लाभप्रद है।
- धातुरोग, बहुमूत्र एवं स्त्री रोगों में लाभकारी है।
- यकृत, गुर्दे एवं वक्ष स्थल को बल देता है। संधिवात, गाठिया को दूर करता है।
गोरक्षासन / Gorakhshasana
विधि:-
- दोनों पैरों की एडी तथा पंजे आपस में मिलाकर सामने रखिये।
- अब सीवनी नाड़ी (गुदा एवं मूत्रेन्द्रिय के मध्य) को एडियों पर रखते हुए उस पर बैठ जाइए। दोनों घुटने भूमि पर टिके हुए हों।
- हाथों को ज्ञान मुद्रा की स्थिति में घुटनों पर रखें।
लाभ:-
- मांसपेशियो में रक्त संचार ठीक रूप से होकर वे स्वस्थ होती है.
- मूलबंध को स्वाभाविक रूप से लगाने और ब्रम्हचर्य कायम रखने में यह आसन सहायक है।
- इन्द्रियों की चंचलता समाप्त कर मन में शांति प्रदान करता है. इसीलिए इसका नाम गोरक्षासन है।
अर्द्धमत्स्येन्द्रासन /Ardha Matsyendrasana
विधि:-
- दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें. बाएं पैर को मोड़कर एडी को नितम्ब के पास लगाएं।
- बाएं पैर को दायें पैर के घुटने के पास बाहर की ओ़र भूमि पर रखें।
- बाएं हाथ को दायें घुटने के समीप बाहर की ओ़र सीधा रखते हुए दायें पैर के पंजे को पकडें।
- दायें हाथ को पीठ के पीछे से घुमाकर पीछे की ओ़र देखें।
- इसी प्रकार दूसरी ओ़र से इस आसन को करें।
लाभ:-
- मधुमेह (diabetes) एवं कमरदर्द में लाभकारी। Related Post: कैसे करें डायबिटीज कण्ट्रोल?
- पृष्ठ देश की सभी नस नाड़ियों में (जो मेरुदंड (Vertebra) के इर्द-गिर्द फैली हुई है.) रक्त संचार को सुचारू रूप से चलाता है।
- उदर (पेट) विकारों को दूर कर आँखों को बल प्रदान करता है।
योगमुद्रासन / Yoga Mudrasana
स्थिति- भूमि पर पैर सामने फैलाकर बैठ जाइए.
- विधि-
- बाएं पैर को उठाकर दायीं जांघ पर इस प्रकार लगाइए की बाएं पैर की एडी नाभि केनीचे आये।
- दायें पैर को उठाकर इस तरह लाइए की बाएं पैर की एडी के साथ नाभि के नीचे मिल जाए।
- दोनों हाथ पीछे ले जाकर बाएं हाथ की कलाई को दाहिने हाथ से पकडें. फिर श्वास छोड़ते हुए।
- सामने की ओ़र झुकते हुए नाक को जमीन से लगाने का प्रयास करें. हाथ बदलकर क्रिया करें।
- पुनः पैर बदलकर पुनरावृत्ति करें।
लाभ- चेहरा सुन्दर, स्वभाव विनम्र व मन एकाग्र होता है.
उदाराकर्षण या शंखासन
स्थिति:- काग आसन में बैठ जाइए।
विधि:-
- हाथों को घुटनों पर रखते हुए पंजों के बल उकड़ू (कागासन) बैठ जाइए। पैरों में लगभग एक सवा फूट का अंतर होना चाहिए।
- श्वास अंदर भरते हुए दायें घुटने को बाएं पैर के पंजे के पास टिकाइए तथा बाएं घुटने को दायीं तरफ झुकाइए।
- गर्दन को बाईं ओ़र से पीछे की ओ़र घुमाइए व पीछे देखिये।
- थोड़े समय रुकने के पश्चात श्वास छोड़ते हुए बीच में आ जाइये. इसी प्रकार दूसरी ओ़र से करें।
लाभ:-
- यह शंखप्रक्षालन की एक क्रिया है।
- सभी प्रकार के उदर रोग तथा कब्ज मंदागिनी, गैस, अम्ल पित्त, खट्टी-खट्टी डकारों का आना एवं बवासीर आदि निश्चित रूप से दूर होते हैं।
- आँत, गुर्दे, अग्नाशय तथा तिल्ली सम्बन्धी सभी रोगों में लाभप्रद है।
सर्वांगासन
स्थिति:- दरी या कम्बल बिछाकर पीठ के बल लेट जाइए.
विधि:-
- दोनों पैरों को धीरे –धीरे उठाकर 90 अंश तक लाएं. बाहों और कोहनियों की सहायता से शरीर के निचले भाग को इतना ऊपर ले जाएँ की वह कन्धों पर सीधा खड़ा हो जाए।
- पीठ को हाथों का सहारा दें .. हाथों के सहारे से पीठ को दबाएँ . कंठ से ठुड्ठी लगाकर यथाशक्ति करें।
- फिर धीरे-धीरे पूर्व अवस्था में पहले पीठ को जमीन से टिकाएं फिर पैरों को भी धीरे-धीरे सीधा करें।
लाभ:-
- थायराइड को सक्रिय एवं स्वस्थ बनाता है।
- मोटापा, दुर्बलता, कद वृद्धि की कमी एवं थकान आदि विकार दूर होते हैं। Related: मोटापा कम करने के आयुर्वेदिक उपाय
- एड्रिनल, शुक्र ग्रंथि एवं डिम्ब ग्रंथियों को सबल बनाता है।
पढ़ें: मोटापा कम करने के 7 योगासन
प्राणायाम / Pranayam
प्राण का अर्थ, ऊर्जा अथवा जीवनी शक्ति है तथा आयाम का तात्पर्य ऊर्जा को नियंत्रित करनाहै। इस नाडीशोधन प्राणायाम के अर्थ में प्राणायाम का तात्पर्य एक ऐसी क्रिया से है जिसके द्वारा प्राण का प्रसार विस्तार किया जाता है तथा उसे नियंत्रण में भी रखा जाता है.
यहाँ 3 प्रमुख प्राणायाम के बारे में चर्चा की जा रही है:-
अनुलोम-विलोम प्राणायाम / Anulom Vilom Pranayam
विधि:-
- ध्यान के आसान में बैठें।
- बायीं नासिका से श्वास धीरे-धीरे भीतर खींचे।
- श्वास यथाशक्ति रोकने (कुम्भक) के पश्चात दायें स्वर से श्वास छोड़ दें।
- पुनः दायीं नाशिका से श्वास खीचें।
- यथाशक्ति श्वास रूकने (कुम्भक) के बाद स्वर से श्वास धीरे-धीरे निकाल दें।
- जिस स्वर से श्वास छोड़ें उसी स्वर से पुनः श्वास लें और यथाशक्ति भीतर रोककर रखें… क्रिया सावधानी पूर्वक करें, जल्दबाजी ने करें।
लाभ:-
- शरीर की सम्पूर्ण नस नाडियाँ शुद्ध होती हैं।
- शरीर तेजस्वी एवं फुर्तीला बनता है।
- भूख बढती है।
- रक्त शुद्ध होता है।
सावधानी:-
- नाक पर उँगलियों को रखते समय उसे इतना न दबाएँ की नाक कि स्थिति टेढ़ी हो जाए।
- श्वास की गति सहज ही रहे।
- कुम्भक को अधिक समय तक न करें।
कपालभाति प्राणायाम / Kapalbhati Pranayam
विधि:-
- कपालभाति प्राणायाम का शाब्दिक अर्थ है, मष्तिष्क की आभा को बढाने वाली क्रिया।
- इस प्राणायाम की स्थिति ठीक भस्त्रिका के ही सामान होती है परन्तु इस प्राणायाम में रेचक अर्थात श्वास की शक्ति पूर्वक बाहर छोड़ने में जोड़ दिया जाता है।
- श्वास लेने में जोर ने देकर छोड़ने में ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- कपालभाति प्राणायाम में पेट के पिचकाने और फुलाने की क्रिया पर जोर दिया जाता है।
- इस प्राणायाम को यथाशक्ति अधिक से अधिक करें।
लाभ:-
- हृदय, फेफड़े एवं मष्तिष्क के रोग दूर होते हैं।
- कफ, दमा, श्वास रोगों में लाभदायक है।
- मोटापा, मधुमेह, कब्ज एवं अम्ल पित्त के रोग दूर होते हैं।
- मस्तिष्क एवं मुख मंडल का ओज बढ़ता है।
भ्रामरी प्राणायाम / Bhramri Panayam
स्थिति:- किसी ध्यान के आसान में बैठें.
विधि:-
- आसन में बैठकर रीढ़ को सीधा कर हाथों को घुटनों पर रखें . तर्जनी को कान के अंदर डालें।
- दोनों नाक के नथुनों से श्वास को धीरे-धीरे ओम शब्द का उच्चारण करने के पश्चात मधुर आवाज में कंठ से भौंरे के समान गुंजन करें।
- नाक से श्वास को धीरे-धीरे बाहर छोड़ दे।
- पूरा श्वास निकाल देने के पश्चात भ्रमर की मधुर आवाज अपने आप बंद होगी।
- इस प्राणायाम को तीन से पांच बार करें।
लाभ:-
- वाणी तथा स्वर में मधुरता आती है।
- ह्रदय रोग के लिए फायदेमंद है।
- मन की चंचलता दूर होती है एवं मन एकाग्र होता है।
- पेट के विकारों का शमन करती है।
- उच्च रक्त चाप पर नियंत्रण करता है।
धन्यवाद !
किरण साहू
रायगढ़ (छ.ग.)
Blog: www.hamarisafalta.com
Email: hamarisafalta@gmail.com
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We are grateful to Mr. Kiran Sahu for contributing another very informative article on the major types of yogasana in Hindi.
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Main daily pranayam karta hai, iska mujhe bahut benefit mila hai.
thanks.mai pichale 2varsho se yoga karke mujhe bahut labh hua hai.mai subha 5am astha tv dekhakar yogguru parampujiy swami ramdev ke satha yog karake jivan jine ki kala sikha liya.thanks mai bhi yog ko aghe badhane me apana jivan samrpit karana chahata hun please mujhase samparak kare 6266932869
Namaskar🙏
I practice yoga/ pranayam daily till my childhood. It is very necessary to practice yoga everybody. Yoga is not only good for our health but calm mind also. I love ❤ yoga very much and it is part of my daily routine.
Thanks to telling me some names of Aasanas.
Nice information very good
Really very productive information of all .Thanks n regards
Amit sri
Thank You for This helpful article on Yoga and Yoga Asana. Very briefly explained with their health benefits.
बहुत ही सुन्दर ढंग से समझाया गया है । धन्यवाद ।
योग से जुड़े विभिन्न पहलुओं को साझा करने के लिए धन्यवाद।
I anoop saxena doing yoga from the last 14 years , I feel for better life yoga is must and yoga is activate our body to do more work. If you do yoga regularly your body is so energitic and feel young.
सभी प्रमुख योग आसनों को संक्षेप में बहुत ही अच्छी तरह समझाया हैं|