गांधी जी उन गिने-चुने लोगों में से एक हैं जिनका प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ा है। गाँधी जी से प्रभवित होकर ही नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग जैसी हस्तियों ने अहिंसा का मार्ग चुना और उनके सम्मान में United Nations ने 2007 में 2 October को International Non-violence Day / अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाये जाने का प्रस्ताव पास किया। आइये आज हम इस अवसर पर गाँधी जी के बारे में कुछ शिक्षापूर्ण बातें जानते हैं।
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International Non-violence Day Essay in Hindi
अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर निबंध
समाज की भावनाओं का आदर करते हुए भारत के आदर्श समाज की कल्पना करने वाले समाज सुधारक, राष्ट्रचिंतक एंव दार्शनिक महात्मा गाँधी जी के लिये अहिंसा सबसे बड़ा शस्त्र था। गाँधी जी के अनुसार-
अहिंसा वो मुख्य तत्व है जिसने सम्पूर्ण मानवता को प्रेम और आत्मशुद्धी की सहायता से कठिन से कठिन संकटों में सफलता पाने का संदेश दिया है।
अहिंसा को हिंदु, बौद्ध, व कुछ अन्य धर्मों में मानवीय क्रियाओं का आधार माना गया है। अहिंसा की शिक्षा तो भारतीय संस्कृति की पहचान है। उपनिषदों में भी अहिंसा को विशेष महत्व दिया गया है। जैन धर्म में अहिंसा परमो धर्मः के रूप में एक महान धर्म माना गया है। फिर भी जिस तरह अहिंसा को गाँधी जी ने आगे बढाया और उसे जनमानस के विचारों के माध्यम से सुयश प्रदान किया वो अवस्था पूर्व में दृष्टीगोचर नही थी।
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गाँधी जी ने अहिंसा शब्द को उसकी व्यापकता के आधार पर एक सिद्धान्त के रूप में स्पष्ट किया है। गाँधी जी का सम्पूर्ण दर्शन अहिंसा के स्तंभ पर खड़ा हुआ है। आपकी मानयता थी कि अहिंसा का पाठ किसी दुर्बल व्यक्ति को नही दिया जा सकता। अहिंसा का पालन तो वही कर सकता है जो मन, वचन और कर्म से साहसी तथा शक्तिशाली हो। ये तो वीरों का शांत आभूषण है। गाँधी जी का कहना था कि, अहिंसा भीरू और कायर लोगों का तरीका नही है। यह तो उन वीरों का तरीका है जो हथियार का उपयोग करना जानता है फिर भी शांतीपूर्ण हल तलाशता है तथा मृत्यु से भी नही डरता।
गाँधी जी अहिंसा को सर्वोच्च नैतिक और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक मानते थे। उनके अनुसार तो अहिंसा केवल दर्शन नही है बल्की कार्य करने की पद्धति है, ह्रदय परिवर्तन का साधन है। गाँधी जी ने तो अहिंसा की भावना को सामाजिक, धार्मिक तथा आर्थिक तीनो क्षेत्रों के लिये आवश्यक तत्व माना है। आपके अनुसार समस्त विश्व की अर्थ रचना ऐसी होनी चाहिये कि, सभी को अन्न, वस्त्र जैसी मूलभूत सुविधायें प्राप्त हों। अहिंसा तो एक सामाजिक धर्म है क्योंकि हवा, पानी तथा प्रकृति के सभी उपहार समस्त प्राणी जगत के लिये हैं। उस पर किसी समुदाय या राष्ट्र का एकाधिकार अन्याय है और ये भी एक तरह की हिंसा है।
अहिंसा की व्यापक अवधारणा को स्पष्ट करते हुए सी. एफ. एण्ड्रयूज का कहना है कि-
अहिंसा की अवधारणा में नकारात्मक और सकारात्मक दोनों का ही समावेश है।
गाँधी जी की अहिंसा सम्बन्धी मानयता तो वास्तव में प्रगतिशील थी और कुछ परिस्थितियों में हत्या को वे हिंसा नही मानते थे। उन्होने एक कुआरी लङकी को भी उस व्यक्ति की हत्या की अनुमति देते हैं, जो उसका शीलभंग करना चाहता है। उस व्यक्ति को भी मारने की इजाजत देते हैं जो पागलपन की वजह से बेकसूरों की हत्या करता है। कहने का आशय है कि, गाँधी जी की अहिंसा अकर्मण्य का दर्शन नही है। ये तो कठोरता और गतिशीलता का दर्शन है, अन्याय के लिये चुनौती है।
गाँधी जी कहते थे कि-
सत्य सर्वोच्च कानून है और अहिंसा सर्वोच्च कर्तव्य है।
अहिंसा की शक्ति तो असीम है। साधारण भाषा में यही समझा जाता है कि, अहिंसा का मतलब है किसी को न मारना जबकि ये केवल आंशिक अर्थ है। आपके अनुसार अहिंसा के तीन रूप हैः-
- जागृत अहिंसा
- औचित्य अहिंसा
- भीरूओं की अहिंसा
जागृत अहिंसा व्यक्ति की अंर्तआत्मा की आवाज है जिसमें असंभव को भी संभव में बदलने की अपार शक्ति होती है।
औचित्य अहिंसा दुर्बलों की अहिंसा है लेकिन इसका पालन ईमानदारी से किया जाये तो काफी शक्तिशाली और लाभदायक सिद्ध हो सकती है।
भीरूओं की अहिंसा डरपोक और कायरों की अहिंसा है। पानी और आग की तरह कायरता और अहिंसा एक साथ नही रह सकते। अहिंसा का अर्थ ये कदापी नही है कि बुरे काम करने वालों के सामने घुटने टेक देना। इसका अर्थ तो ये है कि, अत्याचारी के विरुद्ध अपनी समूची आत्मा का बल लगा देना। अहिंसा तो बुराई को अच्छाई से जीतने का सिद्धांत है।
गाँधी जी ने सत्य, ह्रदय की पवित्रता, निर्भीकता, ढृणता, अपरिग्रह, प्रेम, उपवास के द्वारा अहिंसा को अपनाने की बात की है। गाँधी जी का अटूट विश्वास था कि, अन्याय और अत्याचार का मुकाबला हिंसा से नही बल्की प्रेम, दया, करुणा, त्याग और सत्य से किया जा सकता है। अहिंसा सिर्फ एक उपदेश नही है बल्कि जीवन का क्रियात्मक सिद्धांत है। विश्वशांति, सामाजिक व्यवस्था तथा व्यक्तिगत जीवन संघठन के लिये एक ब्रह्मास्त्र है जिसका प्रयोग परिस्थिती जन्य है एवं आज की प्रासंगिता भी है। जागृत अहिंसा का पालन करते हुए हाल ही में हमारी सेना ने कर्मठ अहिंसा का परिचय देकर उन पागल आतताईंयों को सबक सिखाया जो मौत का तांडव करते हैं। अहिंसा का वास्तविक अर्थ ‘कृतार्थ करना’, देश प्रेम को परिलक्षित करता है।
जय हिंद
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bla says
Sahi hai ahinsa
astha diwedi says
very good thoughts for our
Asween says
“Ahinsa prmo dhrm” yh Bhagvan Shree Krishna ne Gita me bhi khaa he or shree Mahatma Gandhi ne usi ke bl par humare desh ko aajadi dilai thi,unhone puri duniyaa ko dikhaya tha ki bina hthiyar uthaye bhi jit hasil ki jaa shakati he,dhny he vah or unke vichar
gyanipandit says
अहिंसा मतलब गांधीजी, हम सब जानते हैं की हिंसा से सिर्फ नुकसान ही होता हैं यह बात हमें गांधीजी ने सिखाई. महात्मा गांधी जी के वहज से आज हम स्वतंत्र हो पाये हैं. वो बहुत महान थे.
ऐसे महान व्यक्ति को कोटि कोटि प्रणाम.
Kabir says
गांधीजी जी को सत सत नमन…
Sandeep Singh panwar says
सत्य सर्वोच्च कानून है और अहिंसा सर्वोच्च कर्तव्य है।
Babita Singh says
Mahatma Gandhi was very great person and had given every moment of his life to our country. We will always remember him.
Anita ji, great article. Thank you
B.DKUKRETI says
Yadi Mahatma Gandhi ji nahi hote to ham aaj bhi gulam rahte aur hindustan nahi hota yeh hamare constitution ki visheshta hai ki currency per mahatma gandhi ki photo hai aur yahi bharatvarsh ki shan hai. enke naam se aaj bhi desh me gandhivad kayam hai
aur rahega.