ShopClues Founder Radhika Aggarwal Success Story in Hindi
शॉपक्लूज संस्थापक राधिका अग्रवाल के सफलता की कहानी
किसी ने ठीक ही कहा है एक सपना जादू से हकीकत नहीं बन सकता, इसमें पसीना, दृढ संकल्प और कड़ी मेहनत लगती है।
ज़िन्दगी बहुत छोटी है कुछ कर गुजरने के लिए। उससे भी छोटी वो तब हो जाती है जब इस पुरुषवादी समाज में एक महिला ऊँची उड़ान भरने के सपने देखती है और अगर कोई ऐसा कर जाए तो अक्सर उसे मेहनत या लगन नहीं बल्कि अच्छी किस्मत या फिर किसी चमत्कार का नाम दे दिया जाता है।
लेकिन कहते है ना कि हर एक महान सपने की शुरुआत एक स्वप्नद्रष्टा से होती है। अगर हम याद रखें कि हमारे अंदर वो ताकत है, धैर्य है, और जज़्बा है कि हम सितारों को छू सकें और इस दुनिया को बदल दें तो कोई भी समाज या कितनी भी छोटी ज़िन्दगी हमे रोक नहीं सकती। और आज मैं आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रही हूँ जिन्होंने अपने दम पर, अपने जज़्बे के बलबूते एक मिसाल कायम कर दी है।
मैं बात कर रही हूँ ShopClues कंपनी की को-फाउंडर और चीफ मार्केटिंग ऑफिसर राधिका अग्रवाल की। राधिका अपने आप में ही women empowerment और “आज की नारी सब पर भारी” का बहुत बड़ा example हैं।
भारत की सबसे जानी मानी और सफल online shopping websites में से एक Shopclues की शुरुवात इन्होंने 2011 में गुडगाँव में की थी। 10 लोगो से शुरू हुई यह company आज की सबसे सफल e-commerce websites में से एक है। आज ShopClues में 1000 से अधिक employees काम करते हैं और हर महीने यह लगभग 80 करोड़ रुपये का कारोबार करती है। Shopclues की strong foundation की वजह से Venture Capital Funding के अंतर्गत इन्हें $100Mn की फंडिंग भी मिली है।
Radhika Aggarwal का बचपन
राधिका के पिता सेना में थे और माँ एक डायटीशीयन थीं। पिताजी की transferable job होने के कारण राधिका ने भारत के लगभग 10 स्कूलों से पढाई की और बुनियादी जीवन कौशल और सामाजिक कौशल जल्दी सीख लिया। अच्छे शिक्षकों के बीच मध्य मार्ग पर चलने वाली राधिका ने सीख लिया कि किसी भी अवसर का किस तरह से भरपूर फ़ायदा उठाते हैं। उनके social skills और नए दोस्त बनाने की प्रतिभा ने जल्दी ही उनके व्यक्तित्व को ढाला।
राधिका के पिता ने अपनी सेना की नौकरी पूरी होने के बाद खुद को entrepreneurship की ओर मोड़ा। पिता के बिजनेस में आने से राधिका भी छोटी उम्र में ही बिजनेस सम्बन्धी बातों को समझने लगीं।
शिक्षा व नौकरी
राधिका ने Advertising और Public Relation में पोस्ट ग्रेजुएशन की। साल 1997 और 1999 के बीच उन्होंने अपनी खुद की एक विज्ञापन एजेंसी चलायी। उन्होंने कहा कि-
“समस्या को हल करने के लिए या फिर जिस तरह से हम entrepreneurship को आज देखते हैं, उससे इसका कोई तालुक्क नहीं था। यह बस मेरा खुद का मालिक बनने के लिए उठाया कदम था।”
साल 1999 में वे MBA करने The US चली गयीं । फिर उन्होंने Washington University St. Louis से अपनी MBA की पढाई पूरी की साल 2000 में जल्दी ही वे नामी-गिरामी financial firm Goldman Sachs में शामिल हो गयीं, लेकिन अगले साल ही वे Nordstrom में शामिल हो गयी जो Walmart की तरह ही अमेरिका की एक प्रतिष्ठित departmental stores की चेन है।
Nordstrom में उन्होंने काफी कुछ सीखा। सिर्फ strategic planning ही नहीं बल्कि यह भी सीखा कि कैसे इनवर्टेड पिरामिड संरचना एक संगठन में वास्तव में प्रैक्टिस होती है। Nordstrom में ग्राहक Inverted Pyramid के शीर्ष पर और C.E.O उसके तल पर है।
राधिका ने 2006 तक इस कंपनी में काम किया और इसके बाद खुद Fashion Clues नाम की website शुरू की जिसमें उन्होंने South Asia और The US को target किया। इस कंपनी को उन्होंने अकेले ही संभाला।
Shopclues की शुरुआत
Nordstorm के experience और Fashion Clues को रन करने से मिली सीख से लैस होकर राधिका ने 2011 में ShopClues की नीव डाली।
राधिका के हिसाब से भारत में ग्राहकों की मानसिकता काफी अलग है जो की अपने आप में एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है।
वो कहती हैं-
ग्राहकों में विश्वास की कमी है, और इसका valid reason भी है।
उनकी कंपनी काफी customer focused रहती है और अपनी buyer protection policy के अंतर्गत वे ग्राहकों को सामान वापस करने की आसन सहूलियत देती हैं, जिससे customer confidence build up होता है।
राधिका कहती हैं-
ग्राहक अनुभव महत्वपूर्ण है, खासकर जब कोई बात बिगड़ जाए।
Shopclues पर पहली बड़ी चुनौती के बारे में याद करते हुए वे बताती हैं कि हमारे पहले वेलेंटाइन डे के लिए हमें फूलों के 200 बुके चाहिए थे। उस दिन उनके वेंडर ने माल उन्हें सप्लाई करने की बजाये खुद ही सारे फूल बेच डाले।
इसे ठीक करने के लिए, हम बाहर गए और फूलों की जगह हमने soft toys और चॉकलेट भेज दिए और साथ ही customers से माफ़ी भी मांग ली।मतलब, बात बिगड़ जाती है लेकिन ऐसे समय में आप कैसी प्रतिक्रिया देते हैं ये मायने रखता है।
राधिका शॉपक्लूज को अपना तीसरा बच्चा मानती है और पूरी लगन से काम करती हैं। पर इसके साथ-साथ ही वे अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में बैलेंस बना कर चलती है। वे जहाँ भी होती है उस समय उस चीज़ पर एकदम केंद्रित रहती हैं…office में बस office का काम और घर पे सिर्फ परिवार को समय देना।
उन्होंने महिला कर्मचारियों के बारे में बताया कि Women’s Day के दिन staff की सारी महिलाओं को एकत्रित करती हैं और उन्हें मौका देती हैं कि वे उनकी परेशानी और चुनोतियों के बारे में बात करें।
राधिका को एक बार किसी महिला कर्मचारी ने बताया कि उसके परिवार में वो पहली महिला थी जिसने जीन्स पहनी और घर से बहार जाकर नौकरी की और उसने Shopclues इसलिए ज्वाइन किया क्योंकि उसकी co – founder एक महिला थी। तो इस तरह से एक महिला की आगे बढ़ने की चाह कितनी और महिलाओं को हौसला दे सकती है, कईओं की ज़िन्दगी बदल सकती है… इसलिए राधिका अपने काम को बहुत गंभीरता से लेती हैं।
ShopClues को लेकर राधिका के लिए क्या चीज सबसे ज्यादा मैटर करती है?
इस पर उनका कहना है कि-
मैं उन छोटी-छोटी कहानियों को बहुत cherish करती हूँ, जहाँ ShopClues ने merchants, उनके परिवारों और बाकी stakeholders की ज़िन्दगी को छुआ है…मेरी फेवरेट कहानी उस housewife की है जिसने शॉपक्लूज के through बेचना शुरू किया और फिर उसके husband ने अपनी जॉब छोड़ कर उसे ज्वाइन कर लिया।
Success Mantra
राधिका से उनके Success Mantra पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि-
ज़िन्दगी का हर दिन पिछले दिन से बेहतर होना चाहिए… आज कल से बेहतर होना चाहिए और कल आज से। अगर ज़िन्दगी में इस चीज़ को हम लेकर चले तो सिर्फ आगे बढ़ते जाएंगे।
Friends, तो ये थी Shopclues co-founder Radhika Agarwal की success story. चलिए उनसे inspire होते हुए हम भी हेमशा यही प्रयास करें कि हमारा कल हमारे आज से बेहतर हो!
Thanks
Rajni Bharara
Blog: HindPatrika.Com
We are grateful to Ms. Rajni for sharing a great success story of an Indian women entrepreneur. We wish her a great future!
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Gratitude: With inputs from this article.
Narayans says
Bahut badhiya Gopal sir
. I’m your old reader of your blog.
AAP ese hi helpful article and story’ write up karte rahiye.
अमित कुमार says
बहुत मेहनत की जरूरत होती है यह तक आने के लिए हर कोई इस मुकाम तक नही पहुँचने वाला
सुभाष यादव says
आभार रजनी जी, बहुत ही प्रेरक कहानी अनीता जी की जो आज की महिलाओं के लिए मिशाल है।।।