Chyawanprash Recipe in Hindi & its Benefits
च्यवनप्राश बनाने की विधि व इसके फायदे
आयुर्वेद की अनुपम औषधि है च्यवनप्राश
च्यवनप्राश आयुर्वेद की अदभुत औषधि है और आयुर्वेद के सबसे ज्यादा बिकने वाले उत्पादों में से एक है यह शरीर के लिए अत्यंत फायदेमंद टॉनिक है। प्राचीन काल में जब च्यवन ऋषि वृद्धावस्था के कारण अत्यंत कमजोर हो गये थे तब आयुर्वेद के सुप्रसिद्ध वैद्य अश्वनी कुमार ने उनके लिए आयुर्वेद की इस अदभुत औषधि का आविष्कार किया था। जिसका सेवन करके वृद्ध च्यवन ऋषि पुनः युवावस्था को प्राप्त हो गये थे। तभी से च्यवन ऋषि के नाम पर इस अमृत औषधि का नाम च्यवनप्राश पड़ गया।
च्यवनप्राश के घटक द्रव्य / Chyawanprash ingredients list in Hindi
च्यवनप्राश के घटक द्रव्य निम्नानुसार हैं –
मुख्य घटक द्रव्य –
आंवला- च्यवनप्राश का मुख्य घटक द्रव्य आंवला है जिसे आयुर्वेद के साथ साथ आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी शरीर के लिए अत्यंत फायदेमंद मानता है आंवला विटामिन सी का महत्वपूर्ण स्रोत है यह युवावस्था को बरकरार रखता है शरीर की immunity power बढाकर शरीर को रोगों से मुक्त रखता है।
अन्य महत्वपूर्ण घटक द्रव्य –
1. गिलोय – गिलोय सर्दी, खांसी, जुकाम एवं ज्वर नाशक महत्व पूर्ण ओषध है। शरीर की इम्युनिटी पावर बढाकर शरीर को रोग मुक्त रखती है।
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2. इलायची छोटी – छोटी इलायची, खांसी, अस्थमा, एलर्जी, अरुचि में बहुत लाभ दायक है।
3. द्राक्षा – द्राक्षा रुचिवर्धक, पाचक तथा लीवर की कार्य प्रणाली में सुधार करता है। कफ,श्वांस, अग्निमान्ध्य में अति उपयोगी है।
4. पिप्पली – खांसी, जुकाम, श्वास की तकलीफ में अत्यंत फायदेमंद है, पाचन क्षमता बढाती है,जीर्ण ज्वर नाशक है।
5. हरीतकी – हरीतकी यानि हरड को आयुर्वेद में पाचन संस्थान के लिए अत्यंत उपयोगी जड़ी बूटी माना गया है कब्ज, बवासीर, मोटापा और गैस की यह रामबाण औषधि है।
6. दालचीनी – पाचन और श्वसन संस्थान की बीमारियों को ठीक करने में यह अत्यंत उपयोगी है।
7. वासा – वासा यानी अडूसा जो गाँवों के आस पास पहाड़ों में अपने आप उग जाता है। श्वांस, खांसी, रक्तपित्त एवं पुरानी खाँसी में अत्यंत फायदेमंद है।
8. वंशलोचन – दमा, खांसी, कमजोरी एवं प्रदर जैसे स्त्री रोगों में अत्यंत उपयोगी है।
9. शहद – शहद शरीर को स्वस्थ, सुन्दर व सुडोल बनाता है रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है, स्थोल्य नाशक है।
10. पुष्कर मूल – खांसी, दमा, छाती में बलगम जमना जैसी तकलीफों में पुष्कर मूल बहुत फायदेमंद है।
च्यवनप्राश विधि / Chyawanprash Recipe in Hindi-
शास्त्रों में 48 बेहतरीन जड़ी बूटियों से च्यवनप्राश बनाने का उल्लेख मिलता है। लेकिन इनमें से कई जड़ी बूटियां अब लुप्त हो गई हैं उनकी बजाय प्रतिनिधि द्रव्य लिए जाते हैं। यदि आप थोड़ी मेहनत कर सकें तो च्यवनप्राश घर पर भी बना सकते हैं।
सामग्री –
1.मुख्य द्रव्य – ताजे आंवले 6.5 kg
2. क्वाथ द्रव्य – प्रत्येक द्रव्य 48 gm लें।
बिल्व, अग्निमन्थ, श्योनाक, पाटला, गम्भारी, छोटी कटेरी, ,बड़ी कटेरी, गोखरू, वृहती, कंटकारी, पिप्पली, काकड़ा सिंगी, मुनक्का, गिलोय, अडूसा, जीवन्ती, नागर मोथा, कचूर, पुष्करमूल, इलायची, चंदन, मुदगपर्णी, माषपर्णी, भूमिआंवला, मुलहठी, कमल गट्टा,पुनर्नवा, काकोली, क्षीर काकोली, शालपर्णी, प्रस्नपर्णी। आज कल सभी द्रव्य नहीं मिलते हैं उनकी बजाय प्रतिनिधि द्रव्य असगंध, शतावरी, विदारीकन्द, वाराहीकंद लें।
3. यमक सामग्री – ग्रंथो में तिल का तेल 250 gm एवं गाय का घी 250 gm बताया गया है। किन्तु गंध एवं ऊपर तैरने की वजह से आज कल तिल तेल की बजाय घी ही लेते हैं अतः गाय का घी 500 gm लें।
4. संवाहक सामग्री – चीनी 5.5 kg
5. प्रक्षेप सामग्री – पिप्पली 100 gm, दाल चीनी 100 gm, वंशलोचन 150 gm, तेजपत्र 10 gm ,छोटी इलायची 10 gm, नागकेशर 10 gm , शहद 500 gm
च्यवनप्राश बनाने की विधि / How to make Chyawanprash in Hindi –
- सभी क्वाथ द्रवों को दरदरा चूर्ण कर लें और रात को 16 लीटर पानी में भिगो दें। सुबह आंवलो को अच्छी तरह धो कर मिटटी वैगेरह साफ़ करके कपड़े की पोटली में बाँध लें।
- और स्टील के एक बड़े भगोने में रात में भिगोये गये क्वाथ द्रव्य पानी सहित डाल लें। भगोने पर एक डंडा रख कर उस पर आंवले की पोटली लटका दें। पोटली इस प्रकार से लटकाएं की वह तली को न छुये किन्तु पानी में डूबी रहे।
- फिर भगोने को आंच पर रखें। और उबलने दें, जब पानी लगभग आधा रह जाए तब आंवलों को दबा कर देखें जब आंवले दबाने पर दबने लग जायें तब आंवलों को बाहर निकाल लें।
- अब स्टील का अन्य बर्तन लेकर उस पर स्टील की बारीक चालनी रख कर आंवले रगड़ते जाएं इससे आंवले का गूदा बर्तन में इक्ठठा हो जायेगा और रेशे चलनी के उपर रह जायेंगे।
- अब किसी साफ़ बर्तन में घी डालकर गर्म करें उसमे आंवले की पीठी डालकर मंदी आंच पर चलाते रहें। जब आंवले की पीठी सिक कर गुलाबी से रंग की हो जाये और घी छोड़ने लगे तो नीचें उतार लें।
- अब जो क्वांथ वाला पानी बचा हुआ है उसे गैस पर रखें। जब पानी आधा शेष रहे, तब उसमे चीनी डालकर एक तार की चासनी बना लें। अब उसमे आंवले की सिकी हुई पीठी मिला कर चलाते रहें।
- जब यह मिश्रण गाढ़ा हो जाए तो प्रक्षेप द्रव्यों का छाना हुआ पावडर इसमें मिला लें। जब मिश्रण हल्का सा गर्म रहे तब उसमें शहद मिला लें। कुछ समय बाद जब मिश्रण बिलकुल ठंडा हो जाये तो कांच आदि के बर्तन में सुरक्षित रख लें। स्वादिष्ट, गुणकारी च्यवनप्राश खाने के लिए तैयार है।
- च्यवनप्राश को ज्यादा उपयोगी बनाने के लिए आयुर्वेद चिकित्सक इसमें स्वर्ण भष्म, अभ्रक भष्म, बसंत कुसुमाकर रस, मकरध्वज आदि औषधियां जरुरत के अनुसार मिलाते हैं।
च्यवनप्राश का सेवन – 1-2 चम्मच सुबह शाम नाश्ते एवं खाने के बाद। उपर से गर्म दूध पीयें।
च्यवनप्राश के फायदे / Health Benefits of Chyawanprash in Hindi–
च्यवनप्राश दुनिया को आयुर्वेद द्वारा प्रदत्त एक अनमोल तोहफा है प्राचीन काल से ही च्यवनप्राश को आयुर्वेद की अति महत्वपूर्ण रसायन औषधियों में माना गया है और आज भी च्यवनप्राश सबसे ज्यादा बिकने वाले स्वास्थ्य टोनिकों में से एक है।
1. इम्युनिटी बढाता है च्यवनप्राश – च्यवनप्राश का मुख्य घटक आंवला है जो की इम्युनिटी बूस्टर है, उम्र के प्रभाव को कम करता है, स्मरण शक्ति और एकाग्रता को बढ़ाता है एवं विटामिन सी का प्रमुख स्त्रोत है। इसी प्रकार इसमें शामिल अन्य जड़ी बूटियां भी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाती हैं। च्यवनप्राश के सेवन से त्वचा पर चमक आती है, झुर्रियां कम होती हैं।
2. श्वसन संस्थान के लिए अति उपयोगी – च्यवनप्राश श्वसन संस्थान के लिए बहुत ही फायदेमंद है यह नजला ,जुकाम ,खांसी से बचाव करता है, एलर्जीजन्य जुकाम, खाँसी में बहुत ही उपयोगी है।
3. मानसिक शक्तिवर्धक है च्यवनप्राश – च्यवनप्राश एकाग्रता व याददाश्त बढाने में सहायक है। इससे तनाव का स्तर कम होता है, जिससे गहरी नींद आती है, मेमोरी बढती है।
4. पाचन शक्ति को बढाता है च्यवनप्राश – च्यवनप्राश भूख बढाता है, पाचन शक्ति को मजबूत करता है, कब्ज एवं गैस नाशक है जिससे खाया पिया सही से हजम हो जाता है।
5. शरीर में खून की कमी को दूर करके हीमोग्लोबिन बढाता है, थकान दूर करता है, शरीर में चुस्ती फुर्ती लाता है।
6. च्यवनप्राश बच्चों में बार बार होने वाली सर्दी जुकाम में भी बहुत फायदेमंद है इसका स्वाद भी रूचिकर होता है जिससे बच्चे, स्त्री, पुरुष सभी चाव से खाते हैं। डायबिटीज में चिकित्सक की सलाह से या शुगर फ्री च्यवनप्राश खाना चाहिये।
7. च्यवनप्राश किसी भी मौसम में खा सकते है किन्तु सर्दियों में ज्यादा खाया जाता है।
8. सर्दियों में च्यवनप्राश खाने से शरीर में गर्माहट पैदा होती है, मौसमी बीमारियों से बचाव होता है।
9. महिलाओं की माहवारी को नियमित करता है, खून की कमी को दूर करता है, कैल्शियम की पूर्ति करता है, थकान मिटाता है।
च्यवनप्राश विटामिन, खनिज लवण एवं एंटी ओक्सिडेंट तत्वों का भंडार है, भारत के लगभग हर घर में सर्दियों में दादी, माँ आदि के द्वारा ठंड में होने वाली मौसमी बीमारियों से बचाने के लिए च्यवनप्राश का प्रयोग किया जाता है।
How to make Chywanprash at Home – Hindi Video

Dr. Manoj Gupta
Dr.Manoj Gupta
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डॉ० मनोज गुप्ता राज्य स्तरीय आयुर्वेद के सर्वोच्च पुरस्कार धन्वंतरि पुरस्कार से सम्मानित सीनियर आयुर्वेद विशेषज्ञ हैं। आयुर्वेद एवं स्वास्थ्य लेखन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए आपको माननीय स्वास्थ्य मन्त्री तथा अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। आपके लेख राजस्थान पत्रिका, निरोगसुख जैसे प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में पब्लिश होते रहे हैं।
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But almond milk is best
very nice informetion
Great recipe
Thanks for sharing this recipe . Very informative
Great Recipe and details
wah! aapne bahut achchi recipe btai maza hi aa gaya ab bazaar se kyu lana ab to khud hi banayege healthy chyawanprash
heartily Thanks Gopal Mishra sir
Best idea k liy thanks
very helpful information sir
Great Artile Sir