Hindi Story on Courage
साहस पर कहानी
हर साल गर्मी की छुट्टियों में नितिन अपने दोस्तों के साथ किसी पहाड़ी इलाके में माउंटेनियरिंग के लिए जाता था. इस साल भी वे इसी मकसद से ऋषिकेश पहुंचे.
गाइड उन्हें एक फेमस माउंटेनियरिंग स्पॉट पर ले गया. नितिन और उसके दोस्तों ने सोचा नहीं था कि यहाँ इतनी भीड़ होगी. हर तरफ लोग ही लोग नज़र आ रहे थे.
एक दोस्त बोला, ” यार यहाँ तो शहर जैसी भीड़ है…यहाँ चढ़ाई करने में क्या मजा??”
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“क्या कर सकते हैं… अब आ ही गए हैं तो अफ़सोस करने से क्या फायदा…चलो इसी का मजा उठाते हैं…”, नितिन ने जवाब दिया.
सभी दोस्त पर्वतारोहण करने लगे और कुछ ही समय में पहाड़ी की चोटी पर पहुँच गए.
वहां पर पहले से ही लोगों का तांता लगा हुआ था. दोस्तों ने सोचा चलो अब इसी भीड़ में दो-चार घंटे कैम्पिंग करते हैं और फिर वापस चलते हैं. तभी नितिन ने सामने की एक चोटी की तरफ इशारा करते हुए कहा, “रुको-रुको… ज़रा उस चोटी की तरफ भी तो देखो… वहां तो बस मुट्ठी भर लोग ही दिख रहे हैं… कितना मजा आ रहा होगा… क्यों न हम वहां चलें.”
“वहां!”, एक दोस्त बोला, “अरे वहां जाना सबके बस की बात नहीं है… उस पहाड़ी के बारे में मैंने सुना है, वहां का रास्ता बड़ा मुश्किल है और कुछ लकी लोग ही वहां तक पहुँच पाते हैं.”
बगल में खड़े कुछ लोगों ने भी नितिन का मजाक उड़ाते हुए कहा,” भाई अगर वहां जाना इतना ही आसान होता तो हम सब यहाँ झक नहीं मार रहे होते!”
लेकिन नितिन ने किसी की बात नहीं सुनी और अकेला ही चोटी की तरफ बढ़ चला. और तीन घंटे बाद वह उस पहाड़ी के शिखर पर था.
वहां पहुँचने पर पहले से मौजूद लोगों ने उसका स्वागत किया और उसे एंकरेज किया.
नितिन भी वहां पहुँच कर बहुत खुश था अब वह शांति से प्रकृति की ख़ूबसूरती का आनंद ले सकता था.
जाते-जाते नितिन ने बाकी लोगों से पूछा,”एक बात बताइये… यहाँ पहुंचना इतना मुश्किल तो नहीं था, मेरे ख़याल से तो जो उस भीड़-भाड़ वाली चोटी तक पहुँच सकता है वह अगर थोड़ी सी और मेहनत करे तो इस चोटी को भी छू सकता है…फिर ऐसा क्यों है कि वहां सैकड़ों लोगों की भीड़ है और यहाँ बस मुट्ठी भर लोग?”
वहां मौजूद एक वेटरन माउंटेनियर बोला, “क्योंकि ज्यादातर लोग बस उसी में खुश हो जाते हैं जो उन्हें आसानी से मिल जाता…वे सोचते ही नहीं कि उनके अन्दर इससे कहीं ज्यादा पाने का पोटेंशियल है… और जो थोड़ा पाकर खुश नहीं भी होते वे कुछ अधिक पाने के लिए रिस्क नहीं उठाना चाहते… वे डरते हैं कि कहीं ज्यादा के चक्कर में जो हाथ में है वो भी ना चला जाए… जबकि हकीकत ये है कि अगली चोटी या अगली मंजिल पाने के लिए बस जरा से और एफर्ट की ज़रुरत पड़ती है! पर साहस ना दिखा पाने के कारण अधिकतर लोग पूरी लाइफ बस भीड़ का हिस्सा ही बन कर रह जाते हैं… और साहस दिखाने वाली उन मुट्ठी भर लोगों को लकी बता कर खुद को तसल्ली देते रहते हैं.”
Friends, अगर आप आज तक वो अगला साहसी कदम उठाने से खुद को रोके हुए हैं तो ऐसा मत करिए क्योंकि-
अगली चोटी या अगली मंजिल पाने के लिए बस जरा से और एफर्ट की ज़रुरत पड़ती है!
खुद को उस effort को करने से रोकिये मत … थोडा सा साहस… थोड़ी सी हिम्मत आपको भीड़ से निकाल कर उन मुट्ठी भर लोगों में शामिल कर सकती है जिन्हें दुनिया lucky कहती है.
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Note: This story is inspired from Mediocre Beach – A Story About the Exceptional Few
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Praveen Kumar says
hello sir main ek book likh rha hun wahan main aapki ye waali kahani dal sakta hun??
Gopal Mishra says
Yes, please give credit also.
Ketan Chavda says
Its really encouraging post.It will bring me on next destination.
Thank for this post.
ranjit kumar says
Best post sir aapka sab post ek se badkar ek hai.
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