Shyamlal Rajwade Story in Hindi
इस दुनिया में धुन के पक्के ऐसे लोगों की कमी नहीं जो असंभव को संभव कर दिखलाते हैं। जो लोग कहते हैं कि, “अकेला चाना भाड़ नहीं फोड़ सकता”, वे उन्हें ग़लत साबित कर देते हैं फिर चाहे इसके लिए उन्हें अपना पूरा जीवन ही क्यों न लगाना पड़े।
बिहार के गया ज़िले के गहलौर गाँव के दशरथ माँझी जिन्होंने अकेले दम पर पूरा पहाड़ काटकर सड़क बना डाली थी, को तो हम सब जानते हैं। लेकिन अभी हाल में ही छत्तीसगढ़ के भी एक ऐसे ही शख्स का पता चला है जिसने अकेले के दम पर एक ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसपर यकीन करना मुश्किल है।
आइये आज हम जानते हैं-
छत्तीसगढ़ के “दशरथ माँझी” श्यामलाल राजवाड़े की कहानी
छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के चिरमिरी क्षेत्र में एक गाँव है जिसका नाम है साजा पहाड़। यहाँ के लोग सालों से पानी की समस्या से बुरी तरह से जूझ रहे थे। गाँव में पानी के स्रोत के रूप में केवल कुछ पुराने कुएँ ही थे जिनका पानी गाँव वालों के लिए पूरा नहीं पड़ता था। उन लोगों के सामने मवेशियों को पानी पिलाने की भी बड़ी समस्या थी, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। सरकार की तरफ से भी गाँव वालों को कोई मदद नहीं मिली। आज भी गाँव की हालत ये है कि न तो वहां पहुँचने के लिए कोई सड़क है और न ही आज तक वहां बिजली पहुंची है।
ऐसी स्थिति में एक आम इंसान हार मान लेता है और सबकुछ किस्मत पर छोड़ कर बैठ जाता है। लेकिन 15 साल का श्यामलाल तो अलग ही मिटटी से बना था। उसने मन ही मन एक बहुत बड़ा फैसला किया, और वो फैसला था कि –
पानी की किल्लत दूर करने के लिए वह खुद एक तालाब खोदेगा।
अब हर रोज जब वह जंगल में मवेशियों को चराने जाता तो अपना कुदाल भी साथ ले जाता और घंटों जमीन पर प्रहार करता रहता।
शुरू-शुरू में लोगों ने उसकी इस हरकत को नज़रंदाज़ किया, पर जब हफ़्तों और महीनों तक उसे ये करते देखा तो सब उसे “पगला” कहने लगे। लेकिन श्यामलाल ने इन सबकी परवाह नहीं की…शायद जो जुनूनी होते हैं…अपने लक्ष्य को लेकर पागल होते हैं…वे ऐसे ही होते हैं… उन्हें दुनिया की परवाह नहीं होती, वे तो बस एक ही चीज जानते हैं…लक्ष्य को भेदना!
और श्यामलाल भी उन्ही जुनूनी लोगों की तरह था।
तालाब बन जाने के बाद गाँव के लोग भी बहुत ख़ुश हैं, इससे उनका जीवन ही बदल गया है। अब उन्हें पानी के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता। लोग जब श्यामलाल के इस काम की प्रशंसा करते हैं तो उसे बड़ी ख़ुशी होती है लेकिन उसका कहना है कि –
तालाब खोदने में मुझे कभी किसी की कोई मदद नहीं मिली, लेकिन मैं ये काम अपनी आखिरी सांस तक करता रहूँगा.
अब श्यामलाल 42 साल का हो चुका है और अपने इस काम के लिए पूरे इलाके में प्रसिद्ध हो चुका है। उसका यही कहना है कि उसने समाजसेवा के लिए यह तालाब खोदा है और लोगों को ख़ुश देखकर वह भी बहुत ख़ुश है।
सचमुच ऐसी दृढ इच्छाशक्ति वाले लोग हमारे लिए प्रेरणा का महान स्रोत हैं…वे सिखाते हैं कि असम्भव कुछ भी नहीं! यदि आप ठान लें तो पहाड़ भी हिला सकते हैं और धरती का सीना चीर कर पानी भी बहा सकते हैं। चलिए हम श्यामलाल जी से सीख लें और प्रण करें कि हम तब तक नहीं थमेंगे जब तक अपनी मंजिल को नहीं पा लेते!
धन्यवाद
सीताराम गुप्ता
ए डी-106- सी, पीतम पुरा,
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सीता राम गुप्त जी एक प्रतिष्ठित लेखक हैं. आपको अपने कविता संग्रह ‘‘मेटामॉफ़ोसिस” तथा पुस्तक ‘‘मन द्वारा उपचार” के लिए जाना जाता है. आपकी रचनाएं देश भर के प्रसिद्द अख़बारों व पत्रिकाओं में निरंतर प्रकशित होती रही हैं.
We are grateful to Sitaram Gupta Ji for sharing Shyamlal Rajwade Story in Hindi.
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आपकी इस पोस्ट में हम यह कहानी को पढ़कर जान पाए दशरथ माँझी के बारे में इतना कुछ हमें पहेले से नहीं पता था
आपकी इस पोस्ट में हम यह कहानी को पढ़कर जान पाए दशरथ माँझी के बारे में इतना कुछ हमें पहेले से नहीं पता था
nice thanxs sir for inforamation
Gopal Ji,
हमने बिहार के दशरथ मांझी के बारे में सुना था लेकिन छत्तीसगढ़ के दशरथ मांझी के बारे में बताकर हमे Motivate करने के लिए धन्यवाद !!