J.R.D Tata Biography in Hindi
जे. आर. डी. टाटा की जीवनी
क्या आपने
- टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (भारत की सबसे बड़ी IT company),
- टाटा मोटर्स,
- टाइटन इंडस्ट्रीज,
- टाटा टी,
- वोल्टास और
- एयर इंडिया
का नाम सुना है? ज़रूर सुना होगा.
लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि इन सफल कंपनियों की शुरुआत अलग-अलग entrepreneurs ने नहीं बल्कि किसी एक ही उद्यमी ने की थी?
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं हिन्दुस्तान के सफलतम business houses में से एक Tata- Group के चेयरमैन रहे जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा यानी जे. आर. डी. टाटा की।
भारतीय उद्योगजगत की शान माने जाने वाले जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा एक निर्भीक विमान-चालाक और अपने समय से कहीं आगे का सोचने वाले विजनरी थे। आधुनिक भारत की औद्योगिक नीव स्थापित करने वाले प्रमुख उद्योगपतियों में उनका नाम स्वर्णाक्षरों से अंकित है।
मित्रों, किसी भी विकासशील देश को तेज़ी से प्रगति पाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुविधाओं से जुड़े उद्योगों के सफल होने की आवशयकता होती है। जे.आर.डी टाटा ने भारत में होटेल, इंजिनयरिंग, वायु सेना और अन्य महत्वपूर्ण उद्योगों के विकास में अविस्मर्णिय भूमिका अदा की है। उनके इन्हीं अभूतपूर्व योगदान को सम्मानित करते हुए भारत सरकार द्वारा उन्हे वर्ष 1955 में पद्म विभूषण पुरस्कार तथा वर्ष 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा गया था।
संक्षिप्त-परिचय
जन्म – 29 जुलाई, 1904, पेरिस, फ्रांस
मृत्यु – 29 नवम्बर 1993
धर्म- पारसी
माता /पिता – सुज़्ज़ेन ब्रीरे /रतनजी दादा भाई टाटा,
भाई-बहन – बड़ी बहन सिला, छोटी बहन रोडबेह, दो छोटे भाई दरब और जिमी टाटा ( जेआरडी दूसरी संतान थे)
कार्यक्षेत्र – उद्योगपति
प्रमुख सम्मान – पद्म विभूषण, भारत रत्न
बचपन और शिक्षा
जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा का जन्म 29 जुलाई 1904 में पेरिस, फ्रांस में हुआ था। वह एक मशहूर भारतीय पारसी परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता रतनजी दादाभाई टाटा एक सफल उद्योगपति थे और माता श्रीमती सुज़्ज़ेन ब्रीरे एक फ्रेंच महिला थीं।
JRD Tata के बचपन का बड़ा हिस्सा फ़्रांस में बीता इसलिए फ्रेंच उनकी पहली भाषा थी। वे पेरिस के Janson De Sailly School में पढने जाया करते थे। उनकी पढाई फ़्रांस, जापान, और इंग्लैंड में हुई.
1923 में उनके पिताजी ने उन्हे ब्रिटेन भेजा ताकि वह अपना अंग्रेज़ी ज्ञान बढ़ा सकें और ब्रिटिश यूनिवर्सिटी में दाखिला ले सकें। वहां उन्होंने ग्रामर स्कूल में पढ़ाई की और जब यह कोर्स पूरा हुआ तो वह कैम्ब्रिज से इंजीनियरिंग करने की सोचने लगे। लेकिन तभी फ़्रांस में आए एक नये कानून के अनुसार फ्रांस में 20 वर्ष की आयु के ऊपर के हर युवा को सेना में भरती होना अनिवार्य हो गया। अतः वे फ्रेंच आर्मी में शामिल हो गए. वे आगे भी सेना में ही रहना चाहते थे, लेकिन उनके पिता जी इसके लिए तैयार नहीं हुए!
यदि JRD ने पिताजी की बात नहीं मानी होती तो सभवतः उनकी मृत्यु हो जाती. क्योंकि उनके सेना छोड़ने के कुछ दिनों बाद वे जिस रेजिमेंट में थे उसे एक मिशन पर मोरक्को भेजा गया, जिसमे सभी सोल्जर्स मारे गए।
सेना से निकलने के बाद वे अपना कैम्ब्रिज से इंजीनियरिंग करने का सपना पूरा करना चाहते थे, लेकिन उनके पिताजी ने उन्हें भारत बुला लिया।
Tata Group में फर्श से अर्श तक का सफर
JRD दिसंबर 1925 में भारत आ गए और बतौर अप्रेंटिस काम करने लगे, उन्हें इसके लिए कोई पगार भी नहीं मिलती थी। स्कॉटिश मूल के जॉन पीटरसन उनके बिजनेस मेंटर थे।
JRD वर्ष 1922 में पहले ही अपनी माँ को खो चुके थे और 1926 में वे जब लगभग 22 साल के हुए तभी उनके पिताजी की मृत्यु हो गयी। इस वर्ष उन्हें Tata Sons (टाटा ग्रुप की फ्लैगशिप कम्पनी) का बोर्ड मेम्बर चुन लिया गया।
नागरिक उड्डयन के जनक
1929 में उन्होंने अपनी फ्रेंच नागरिकता त्याग दी और भारत की नागरिकता ले ली। इसी वर्ष पायलट का एग्जाम पास करने वाले पहले भारतीय बने। और आगे चल कर 1932 में भारत देश में वाणिज्यिक विमान सेवा (टाटा एयर लाइन्स ) की शुरूआत जे.आर.डी टाटा ने ही की। जो आने वाले भविष्य में रूपांतरित हो कर देश की राष्ट्रीय विमान सेवा “एयर इंडिया” बनी। इसी कारण उन्हें भारत के “नागरिक उड्डयन का जनक ” भी कहा जाता है।
वह अक्सर कहा करते थे-
ज़िन्दगी को कुछ खतरनाक ढंग से जियो.
और सचमुच उन्होंने इस कथन को जिया। TATA Airlines की पहली फ्लाइट उड़ाने का साहसिक काम खुद JRD Tata ने ही किया था। 5 अक्टूबर, 1932 के दिन “द लेपर्ड मॉथ ” एयरक्राफ्ट मुंबई से कराची उड़ा कर आए थे। उस समय यह कारनामा बहुत ही साहसपूर्ण और प्रसंशनीय था। आने वाले समय में एक बार फिर उन्होंने वर्ष 1962 में 58 वर्ष की आयु में, और उसके बाद वर्ष 1982 में उसी तारीख को 78 वर्ष की उम्र में उसी रूट पर वही विमान उड़ाया था।
बने सबसे युवा चेयरमैन
34 साल की उम्र में, सन 1938 में JRD Tata को Tata & Sons का चेयरमैन चुन लिया गया, और इस तरह वे Nowroji Saklatwala को रिप्लेस कर भारत के सबसे बड़े औद्योगिक समूह के सबसे यंग हेड बन गए। इस पद पर वे 50 साल से अधिक तक बने रहे, जो अपने आप में एक बहुत बड़ा कीर्तिमान है।
जब JRD चेयरमैन बने तो टाटा ग्रुप के अन्तरगत 14 उद्यम चलते थे, और अपने रिटायर होते-होते उन्होंने इसकी संख्या 95 तक पहुंचा दी। अपने बेहद सफल टेन्योर के दौरान उन्होंने टाटा ब्रांड को घर-घर तक पहुंचा दिया और केमिकल, ऑटोमोबाइल, चाय, IT, जैसे क्षेत्रों में टाटा को भारत की अग्रणी कंपनियों में शामिल कर दिया।
फॅमिली बिजनेस से प्रोफेशनल बिजनेस की ओर
JRD ने अब तक चली आ रही प्रथा की कम्पनी के प्रमुख पदों पर परिवार के लोग ही नियुक्त होंगे को तोड़ा और business operations run करने के लिए professionals को hire करना शुरू और within company promote करना शुरू किया। इस तरह से उन्होंने भारतीय उद्योगों को सफल होने का सही मार्ग दिखाया और entrepreneurial talent and expertise को बढ़ावा दिया।
एम्प्लाइज वेलफेयर स्कीम्स की शुरुआत
आज एम्प्लोयीज जिन सुविधाओं को for granted लेते हैं उसे कॉर्पोरेट इंडिया का पार्ट बनाने के पीछे भी JRD Tata का हाथ है।
- आठ घंटे का ऑफिस
- मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं
- कर्मचारियों का प्रोविडेंट फण्ड
- एक्सीडेंट कंपनसेशन स्कीम्स, इत्यादि
उन्ही की कल्याणकारी सोच का परिणाम है। बाद में इन welfare provisions को सरकार द्वारा सांविधिक आवश्यकताओं में शामिल कर लिया गया और Workmen Compensation Act में जगह दी गयी।
भारतीय उद्योग के लिजेंड JRD Tata 1991 तक चेयरमैन पद पर बने रहे और इसके बाद उन्होंने अपना कार्यभार रतन टाटा के मजबूत कन्धों पर डाल दिया।
जे.आर.डी टाटा व्यक्ति विषेश
कोई भी देश जब विकास के पथ पर अग्रसर होता है तब वहाँ बड़े-बड़े उद्योगपति और राजनेताओं में साँठगांठ होना, थोड़े बहुत अंश तक भ्रस्टाचार होना या अनीतिपूर्ण आचरण प्रवर्तमान होना आम बात होती है। लेकिन यह महानुभाव इन सब दूषणों से परे थे। इन्होने सदैव नैतिकता और सदाचार का रास्ता अपनाया। यही कारण है कि आज भी टाटा ग्रुप भारत के सबसे विश्वशनीय बिजनेस हाउसेस में से एक है।
पुरस्कार और सम्मान
कर्मयोगी उद्योगपति जे.आर.डी टाटा को भारतीय वायु सेना द्वारा क्रमशः
- ग्रुप कैप्टन,
- एयर कोमोडोर, और
- एयर वाइस मार्शल
की पदवी प्रदान की गयी थी।
- वर्ष 1954 में फ्रांस सरकार ने उन्हे वहाँ का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार “लीजन ऑफ द ऑनर” प्रदान किया
- वर्ष 1955 में भारत सरकार द्वारा उन्हे पद्म विभूषण और उसके बाद
- इसके उपरांत उन्हे मार्च 1971 में टोनी जेनस अवार्ड से गौरवांगीत किया गया।
- वर्ष 1975 में उन्हे फेडरेशन एरोनोटिक इंटेरनेश्नल द्वारा गोल्ड एयर मेडल दिया गया।
- वर्ष 1976 में उन्हे एडवर्ड वार्नर पुरस्कार मिला जो कनाडा स्थित आंतरराष्ट्रीय विमान संगठन द्वारा प्रदान किया गया था।
- फेडरेशन एरोनोटिक इंटरनेशनल की तरफ से उन्हे वर्ष 1985 में गोल्ड एयर मेडल दिया गया था।
- वर्ष 1986 में इंटेरनेशनल सिविल ओर्गेनाइज़ेशन द्वारा उन्हे एडवर्ड वार्नर पदक दे कर सम्मानित किया गया।
- वर्ष 1988 में उन्हे डैनियल गुग्नेइनिम अवार्ड मिला।
- वर्ष 1992 में भारत रत्न अवार्ड मिला।
जे.आर.डी टाटा की उदारता
जहांगीर की एक बहुत बड़ी खासियत थी। जब भी कोई चुनौती या मुश्किल आती थी तो वह एक हिम्मती लीडर की तरह आगे आ कर ज़िम्मेदारी उठाते थे। और जब भी कामयाबी की तारीफ होती तो वह सारा क्रेडिट अपने सहकर्मी और कंपनी के कार्यकर्ता गण को दे देते। वह जब प्रमुखपद से रिटायर हुए तब टाटा ग्रुप का सालाना टर्नओवर दस हज़ार करोड़ रुपयों से भी अधिक तक आ पहुंचा था। इस ज्वलंत सफलता का पूरा श्रेय उन्होंने टाटा-ग्रुप में काम करने कर्मचारियों को दिया।
कार्यशैली
जहांगीर की कार्यपद्धति बेहद सटीक और विस्तृत होती थी। अपने कार्यकाल के दौरान वह हर एक फ्लाइट के पहले खुद छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देते थे और ज़रूरी बातों पर एक लिस्ट तैयार करते थे। एक समूह के साथ काम करना और उस दल का कुशलता से संचालन करना उन्हे अच्छे से आता था। और जैसा की हम जानते हैं की अपनी सफलता का क्रेडिट वह दूसरों को देने से वह कभी चूकते नहीं थे।
JRD Tata का कहना था –
बिना गहरी सोच और कड़ी मेहनत के कुछ भी प्राप्त करने योग्य नहीं मिलता.
अद्भुत लोकप्रियता
कुछ लोग होते हैं जो अपने अच्छे काम के द्वारा अमिट छाप छोड़ जाते हैं। जहांगीर भी कुछ वैसे ही थे। अपने 50 वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने टाटा ग्रुप के एक एक व्यक्ति का इस कदर ख्याल रखा था की, पाँच दशक में एक भी बार कंपनी में हड़ताल नहीं हुई थी। इस बात से पता चलता है की वह कितने कुशल प्रबन्धक थे।
मृत्यु
भारतीय उद्योगजगत शिरोमणि जे.आर.डी टाटा की मृत्यु 29 नवंबर, 1993 के दिन जिनेवा, स्विट्जरलैंड में हुई। उनका जीवनकाल 89 वर्ष का रहा। मृत्यु के बाद उन्हे फ्रांस, पेरिस (उनकी जन्म भूमि) ले जा कर पेरे लेचसे कब्रिस्तान में दफ़नाया गया था। उनकी मृत्यु का शोक प्रकट करते हुए संसद ने अपनी कार्यवाही स्थगित की थी। भारत देश की प्रगति में इस आदरणीय उद्योगपति का योगदान सचमुच प्रशंसनीय है। आज directly – indirectly JRD Tata की वजह से ही हिन्दुस्तान के करोड़ों लोग रोजगार प्राप्त कर पा रहे हैं। निश्चित ही ऐसी महान शख्शियत के हम ऋणी हैं और उन्हें शत-शत नमन करते हैं।
Team AKC
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ADV. Arun M. Lanjulkar says
Blockbuster working of Hon’ble JR.D TATA sir….to our country India..nowdays TATA companies donate the 1500 crore for “Corona PM cares Funds” not a joke. It’s a valuable dedication to India. We all citizens very thank of you to “Tata Group Of companies and trust”. I
Vinod Kumar Modi says
Bahut hi sunder jankari is article se mili. Main Jamshedpur mein 1983 se 1990 tak raha hu aur anubhav kar sakta hu ki kitna bariaya township create kiya.
Jagpal singh says
Vhut vdia jrd Tata ko slam thank-you
Ravi says
बहुत ही अच्छी जानकारी मिली इस पोस्ट से,यह मेरी फेवरेट वेबसाइट है
BABU LAL KANAUJIA says
बहुत बड़िया पोस्ट आपसे प्रेरित होकर मैंने एक वेब साईट शुरू की है पिछले पांच साल से आपकी पोस्ट पड़ रहा हूं
Gopal Mishra says
धन्यवाद बाबू लाल जी
Abhishek kumar says
बहुत अच्छा लेख है
A reader says
JRD TATA IS THE BEST, BETTER BUSINESSMAN AND HONORABLE PERSON IN INDIA AND WORLD
I FEEL PROUD TO BE JRD TATA
Einsty says
aacha hai.. Lekin bhot sari compnaiyo me Ratan Tata ka yogdan bhot bda hai. Ratan tata ne jab kaman sambhala tab tata 10 billion dollar ka company tha or aaj 100 billion dollar ki company hai. Nice read 🙂
Ramesh Modi says
I am very delighted to read this .
rashmi says
I am glad to read this article