बहुत समय पहले की बात है रामपुर गाँव में ननकू नाम का एक मोची रहता था. पैसा कम होने के कारण उसके संगी-साथी यह काम छोड़ चुके थे पर ननकू बड़ी तसल्ली से लोगों के जूते-चप्पलों की मरम्मत करता था.

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आस-पास के कई गाँव में एक मात्र मोची होने के कारण उसके पास काम की कोई कमी नहीं रहती, दूर-दूर से लोग अपने फटे-चीथड़े जूते-चप्पल बनवाने पहुँचते. ननकू भी बड़ी लगन से अपने ग्राहकों को समय देता और उनका काम पूरा कर देता. पर इन सबके बीच वह अपने ही पुराने हो रहे जूतों की ओर ध्यान नहीं देता.
समय बीतता गया… ननकू दुनिया भर के जूतों को चमकाता रहा और उसके अपने जूते ही घिसते-घिसते खराब होते रहे.
कुछ लोग उसे जूतों के लिए टोकते भी पर वो हर बार यही कह के टाल देता कि –
पहले ग्राहकों के जूते तो बना लूँ फिर अपने भी बना लूँगा.
करते-करते जूते इतने खराब हो गए कि अब वे उसके के पैरों को तकलीफ देने लगे…. ध्यान ना देने के कारण ननकू के पैरों में घाव भी बन गया.
जब लोग उसे इसके लिए कुछ बोलते तो वह कहता-
अरे बस हलकी सी चोट है… ठीक हो जायेगी आप चिंता ना करें.
लापरवाही के कारण कुछ महीनों बाद ननकू के पैर इतने घराब हो गए कि वह लंगड़ा-लंगड़ा कर चलने लगा… असहनीय पीड़ा होने पर लोग उसे शहर के हस्पताल ले गए.
पता चला कि ननकू महीनों पहले शुरू हुआ एक छोटा सा घाव अब नासूर बन चुका है.
डॉक्टर्स के पास कोई विकल्प नहीं था, उन्हें ननकू का एक पैर घुटने के नीचे से काटना पड़ा.
इस घटना से पहुंचे आघात के कारण ननकू कभी भी अपने काम पर नहीं लौटा और आज उसकी वजह से पूरा गाँव ही फटे-पुराने जूते-चप्पल पहनने को मजबूर था.
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दोस्तों, क्या आप इस character ननकू को identify कर पा रहे हैं? क्या आपकी लाइफ में भी कोई है जो ननकू की तरह behave कर रहा है…या कहीं आप खुद ही ननकू तो?
क्या आप अपने परिवार, अपने बिजनेस या किसी और चीज का ध्यान रखने में इतने बिजी हैं कि खुद का ख्याल ही नहीं रखते?
मैंने देखा है कि अक्सर माएं ऐसा करती हैं, वे अपने बच्चों… अपने परिवार की खूब care करती हैं पर खुद के खान-पान और सेहत पर ध्यान ही नहीं देतीं…वे घर के हर एक मेम्बर के लिए गरमागरम दूध लेकर पहुँच जाती हैं पर खुद दूध नहीं पीतीं.
ऐसा करना एक पल के लिए आपको अच्छा एहसास दे सकता है कि आप selfless होकर अपने अपनों के लिए त्याग कर रहे हैं… but in the long run…ये ना आपके लिए सही है ना आपके loved ones के लिए और ना ही आपके business के लिए, in case you have one.
आप ठीक रहंगे तभी और सब भी ठीक रहेगा इसलिए खुद को neglect करने की इस tendency को छोड़िये और खुद पर ध्यान देना शुरू करिए… ननकू की तरह सबकी तकलीफ का कारण मत बनिए बल्कि वो शक्ति बनिए जो अपनी पूरी लाइफ सबकी तकलीफ दूर कर सके.
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thank you, sir for sharing this wonderful story.
आज काल के भागदौड़ भरी जिन्दगी में ख़ुद पर ध्यान ही नहीं देते सभी लोग पैसा कमाने के पीछे पड़े हुए हैं. लेकिन इसके पीछे हम ये भूलते जा रहे हैं की “health is wealth”
Really awesome story sir maja aagya padh kar 😊
Bilkul shi baat likha apne, aksar aisa hota hai aj ki life mein
Story aachi h sir
Ager nanku ke pass sab kuch tha to usne dusre shoes kyun nahi liye
Hamari life bhi kuch isi terah h
Jab koi aacha nahi hota tab usko time per chod dena chayea
Nahi to baad me pta nahi kya hoga jiske bare me socha bhi nahi hoga
bahut acha article hai gopal sir main roj aapka blog open karta hu taki kuch naya sikh mil sake sach me ham apne family ki khatir apna khyal nahi rakh pate halnki asli hero to vahi hote hai par jab bat jimmedari ki ho to apna khyal rakhna bahut jaruri hota hai kyoki agar ham thik rahenge tabhi to family ko support milega kya pata kal ho na ho
बहुत ही अच्छा लेख ।अपने आप को हम लोग दूसरों को खुश करने के लिए नज़रअंदाज़ कर देते है
Right
बहुत ही बेहतरीन लेख ….. सादर धन्यवाद व आभार। 🙂 🙂
very nice story sir … i realy impressed.
very inspiring story
गोपाल जी, बिल्कुल सत्य कहा आपने… माता पिता बिना खुद की देखभाल किये जीवनभर बच्चों की देखभाल करते हैं| जिम्मेदारी है ये ठीक है लेकिन खुद के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना भी समझदारी नहीं है|
और देखिये.. ऑफिस में काम करने वाले लोगों का भी तो यही हाल है| एक प्रकार से वो अपने जीवन का बड़ा महत्वपूर्ण हिस्सा अपनी कम्पनी को देते हैं.. घर आकर भी काम करते हैं लेकिन अपने प्रति हमेशा लापरवाह ही रहते हैं| काफी दिलचस्प कहानी है ये.. धन्यवाद
धन्यवाद पवन जी