AchhiKhabar.Com के सभी पाठकों को मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
आज इस अवसर पर हम आपके साथ “माँ” पर लिखी एक कविता शेयर कर रहे हैं, जिसका शीर्षक है-
मेरी मां जादू जानती है…
मां फल-सब्जी जब काटती है,
उंगली पर उस को बांटती है,
चाकू की धार हो तेज़ मगर,
न फ़िक्र उसे, न कोई डर
वह धार के रुख़ पहचानती है।।
मेरी मां जादू जानती है…!
—
ग़म, गुस्सा हो या बीमारी हो,
जैसी भी कोई दुश्वारी हो,
लेकिन वह ज़रा ना घबराए,
हर मसला पल में सुलझाए,
करती है वही, जो ठानती है।।
मेरी मां जादू जानती है…!
—
करती है काम वह खड़ी-खड़ी,
जैसे हो उसे जादू की छड़ी,
आखिर वह क्यों थकती ही नहीं,
कल की राहें तकती ही नहीं,
वह आज की बात को मानती है।।
मेरी मां जादू जानती है…!
—
बस एक ही आंचल है उसको,
वह काम बहुत उससे लेती,
कभी साफ करे, बर्तन पकड़े,
कुछ बांध के गांठ लगा लेती,
कभी पानी,दूध को छानती है।।
मेरी मां जादू जानती है…!
******
ग़ुलाम ग़ौस ‘आसवी’,
हिंदी शिक्षक, इंडियन पब्लिक स्कूल, करकेन्द बाज़ार,धनबाद
झारखंड
मो.― 08051016736
निवास स्थान – मदनाडीह, बांसजोड़ा,धनबाद, 828101
ग़ुलाम ग़ौस जी पेशे से शिक्षक हैं और वह कविताओं और लेख लिखने में रूचि रखते है. उनके कई आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं. साथ ही उन्होंने स्वयम भी दो पुस्तकें प्रकाशित की हैं- सूफ़ी काव्य ‘फैज़ान आसी पिया’ और राष्ट्रीय गीतों का संग्रह ‘जय भारत’।
अपनी रचना को हमारे साथ साझा करने के लिए हम ग़ुलाम ग़ौस जी के आभारी हैं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं.
मदर्स डे पर इन पोस्ट्स को भी पढ़ें:
- माँ पर दिल छू लेने वाली कविता
- माँ :ईश्वर का भेजा फ़रिश्ता
- माँ की ममता – एक भावुक हिंदी कहानी
- “माँ” – मदर्स डे पर कविता
- बुझी मोमबत्ती (Heart touching Story)
रंजीत चौबे says
वाह अति सुदंर कविता।