मासूम गुड़िया बिस्तर से उठी और अपना गुल्लक ढूँढने लगी…
अपनी तोतली आवाज़ में उसने माँ से पूछा, “माँ, मेला गुल्लक कहाँ गया?”
माँ ने आलमारी से गुल्लक उतार कर दे दिया और अपने काम में व्यस्त हो गयी.
मौका देखकर गुड़िया चुपके से बाहर निकली और पड़ोस के मंदिर जा पहुंची.
सुबह-सुबह मंदिर में भीड़ अधिक थी…. हाथ में गुल्लक थामे वह किसी तरह से बाल-गोपाल के सामने पहुंची और पंडित जी से कहा, “बाबा, जला कान्हा को बाहल बुलाना!”
“अरे बेटा कान्हा अभी सो रहे हैं… बाद में आना..”,पंडित जी ने मजाक में कहा.
“कान्हा उठो.. जल्दी कलो … बाहल आओ…”, गुड़िया चिल्ला कर बोली.
हर कोई गुड़िया को देखने लगा.
“पंडित जी, प्लीज… प्लीज कान्हा को उठा दीजिये…”
“क्या चाहिए तुमको कान्हा से?”
“मुझे चमत्काल चाहिए… और इसके बदले में मैं कान्हा को अपना ये गुल्लक भी दूँगी… इसमें 100 लूपये हैं …कान्हा इससे अपने लिए माखन खरीद सकता है. प्लीज उठाइए न उसे…इतने देल तक कोई छोता है क्या???”
“ चमत्कार!, किसने कहा कि कान्हा तुम्हे चमत्कार दे सकता है?”
“मम्मा-पापा बात कल लहे थे कि भैया के ऑपरेछन के लिए 10 लाख लूपये चाहिए… पल हम पहले ही अपना गहना… जमीन सब बेच चुके हैं…और नाते-रिश्तेदारों ने भी फ़ोन उठाना छोड़ दिया है…अब कान्हा का कोई चमत्काल ही भैया को बचा सकता है…”
पास ही खड़ा एक व्यक्ति गुड़िया की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था, उसने पूछा, “बेटा क्या हुआ है तुम्हारे भैया को?”
“ भैया को ब्लेन ट्यूमल है…”
“ब्रेन ट्यूमर???”
“जी अंकल, बहुत खतल्नाक बिमाली होती है…”
व्यक्ति मुस्कुराते हुए बाल-गोपाल की मूर्ती निहारने लगा…उसकी आँखों में श्रद्धा के आंसूं बह निकले…रुंधे गले से वह बोला, “अच्छा-अच्छा तो तुम वही लड़की हो… कान्हा ने बताया था कि तुम आज सुबह यहाँ मिलोगी… मेरा नाम ही चम्त्कार है… लाओ ये गुल्लक मुझे दे दो और मुझे अपने घर ले चलो…”
वह व्यक्ति लन्दन का एक प्रसिद्द न्यूरो सर्जन था और अपने माँ-बाप से मिलने भारत आया हुआ था. उसने गुल्लक में पड़े मात्र सौ रुपयों में ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन कर दिया और गुड़िया के भैया को ठीक कर दिया.
सचमुच, अगर आपमें अटूट श्रद्धा हो और आप कोई नेक काम करना चाहते हैं तो कृष्णा किसी न किसी रूप में आपकी मदद ज़रूर करते हैं!
यही है आस्था का चमत्कार!
दोस्तों, भले ये एक काल्पनिक कहानी हो लेकिन कई बार सत्य कल्पना से भी परे होता है और दुनिया में ऐसी हजारों-लाखों घटनाएं हैं जहाँ असंभव सी लगने वाले चीजें भी विश्वास के दम पर संभव बन जाती हैं. इसलिए, ईश्वर में यकीन रखते हुए अपने लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी मेहनत करिए… क्या पता एक दिन आपके लिए कोई चमत्कार हो जाए या आप किसी और के लिए चमत्कार कर दें!
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Thanks to Mr. Harishchandra Sharma for suggesting this story which has been floating on internet in little different form.
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Vijay Patel says
Bhut achchhi or gyanvrdhk story hai hum sab ko bhgwan me astha rkhna bhut raruri hai bhgwan Hmari kahi na kahi jrur madat krte hai hme bhi us bachchhi ke jese kanha ko apna sab dukh drd btana chahiye bhagwa bhi ap ki kisi rup me mdd krege
Manjeet singh says
Bahut achhi kahani hai Sir aisa real me bhi hota hai
Hanish Sharma says
bohot hi achhi lagi kahani
Anil yadav says
Nice
adal warshi says
BOHOT ACHI KAHANI,YE SACH HAI LIFE ME BOHOT KUCH AISA HOTA HAI JISKI AAPKO UMMID BHI NAHI HOTI AUR AAPKO MADAD MIL JATI HAI
Rahul kumar vishwakarma says
हेल्लो गोपाल सर
your article is great
CHANDER PAL says
nice one…
SUMAN SONI says
” आस्था का चमत्कार!”
सचमुच, अगर हमारे अंदर अटूट श्रद्धा और विश्वास हो तो भगवान किसी न किसी रूप में हमारी मदद ज़रूर करते हैं!
Upendra Singh Thakur says
श्रध्दा का चमत्कार लाजवाब कहानी लगी / आपकी किस्से, कहानियों में कहीं न कहीं जीवन का अर्थ छिपा रहता है / दुनियां चमत्कारों से भरी है, हमें अपनी भूमिकाओं को पहचाना होगा कभी कान्हा बन कर तो कभी बच्ची बनकर ! /
Pooja says
Its very lovely and beautiful story really