Guru Purnima Speech in Hindi / गुरु पूर्णिमा पर भाषण
अज्ञानरूपी अंधकार को दूर कर ज्ञान रुपी प्रकाश से जीवन को सफलता के उजाले की ओर ले जाने का कार्य गुरु के आशीर्वाद से ही संभव होता है। गुरु शब्द ही अपने आप में ज्ञान रूपी प्रकाश का पर्याय है क्योंकि संस्कृत में ‘गु’ का अर्थ होता है अंधकार (अज्ञान) एवं ‘रु’ का अर्थ होता है प्रकाश(ज्ञान)। गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं।
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इतिहास गवाह है कि अवतारी महापुरूषों को भी गुरु के मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। भगवान श्री राम भी महर्षी वशिष्ठ एवं विश्वामित्र जैसे गुरुओं के सानिध्य में ही अपना सर्वांगीण विकास करने में सफल हुए।
श्रीकृष्ण को कृष्णं वंदे जगतगुरुम् कहा जाता है फिर भी कृष्ण का जीवन गर्ग ऋषि एवं संदीपन ऋषि के मार्गदर्शन ने ही आलोकित किया है। कहने का आशय ये है कि, प्रत्येक मनुष्य को सम्पूर्ण विकास हेतु एवं आध्यात्मिक प्रकाश के लिये गुरु का सानिध्य अति महत्वपूर्ण है।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में कई जगह गुरू महिमा का बहुत ही , सटीक सुंदर और महत्वपूर्ण वर्णन किया है।
रामचरितमानस के प्रारंभ में ही तुलसीदास जी लिखते हैं-
बंदऊ गुरुपद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि।
महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर।।
अर्थात- मैं सदगुरू के चरण कमलों की वंदना करता हूँ, प्रणाम करता हूँ; जो कृपा के समुन्द्र और नररूप अर्थात मानव देव में साक्षात हरि
ही हैं। उनके उपदेश अज्ञानरूपी अंधकार को नाश करने के लिये ज्ञान रूपी सूर्य के किरणों के समान हैं।
तुलसीदास जी ने अरण्यकांड में कहा है कि-
गुरु पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान।
अर्थात- गुरू की श्रद्धापूर्ण सेवा उनकी आज्ञा का पालन करना यह विशिष्ट भक्ति है। तुलसीदास जी गुरू की महिमा को आगे बढाते हुए कहते हैं कि-
गुरू बिनु भव निधि तरई न कोई। जो बिरंचि संकर सम होई।।
अर्थात- गुरू के बिना अज्ञान के भवसागर से ब्रह्मा, शंकर सदृश देव भी पार नही हो सकते हैं।
गुरू की महिमा में संत कबीर ने कहा है कि-
शीश दिये जो गुरू मिले, तो भी सस्ता जान ।।
मित्रों, वास्तिवकता तो यही है कि जीवन के हर क्षेत्र में गुरू का मार्गदर्शन हर किसी को आवश्यक है। परंतु जब मनुष्य आध्यात्म के क्षेत्र में प्रवेश करता है तो गुरू की अत्यधिक आवश्यकता होती है। ऊँचाइयों तक पहुंचने में गुरू का मार्गदर्शन सूर्य के प्रकाश के समान है। गुरू कभी भी हमारा अहित नही करते बल्की मुश्किल की घड़ी में सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
रास्ता कोई भी हो, कैसा भी हो उसे सरल और सुगम बनाने में गुरू की शिक्षाएं रेगिस्तान में पानी के समान होती हैं। मोक्ष का द्वार हो या आध्यात्म का मार्ग हर मार्ग की सफलता गुरू के आशीर्वाद से अपने लक्ष्य को प्राप्त करती है। ईश्वर भी गुरू के बिना नही मिलता तभी तो गुरू का दर्जा ईश्वर से भी श्रेष्ठ है।
अतः मित्रों, गुरू पूर्णिमा के इस पावन पर्व पर अपने-अपने गुरू का वंदन करे अभिनंदन करें:
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म, तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
अनिता शर्मा
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I am grateful to Anita Ji for sharing Guru Purnima Speech in Hindi / गुरु पूर्णिमा पर भाषण with AKC. Thanks a lot.
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बहुत अच्छी लेख है।
आप जो जानकारी प्रदान कर रहे है वो अतुलनीय है. मेरा आपसे निवेदन है इसी प्रकार हमारे मार्गदर्शन करे.
Jai Gurudev
गुरु पूर्णिमा अच्छा लेख
Guru hi hmra margdarshakh hota hai happy guruprma
Bahut hi achi post.dhanyavaad.
Thank you for this informative article.
bohot hi achhi post hai , guru purnima pr yeh jaankaari bohot hi achhi hai