कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम क्या है और अपनी आँखों को इस बीमारी से कैसे बचाएं?
Computer Vision Syndrome in Hindi
स्मार्टफोन और कंप्यूटर का उपयोग हमारी जिंदगी में बढ़ता जा रहा है। एक तरफ नौकरी करने वाले लोगों को ऑफिस में घंटों कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठना पड़ता है, तो वहीं दूसरी तरफ छात्रों को शिक्षा में इंटरनेट की मदद लेनी पड़ती है।
खाली समय में बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी मनोरंजन के लिए स्मार्टफोन या लैपटाप का सहारा लेने लगे हैं। किन्तु अत्यधिक समय तक स्क्रीन पर फोकस करने के कारण हमारी आँखों के ऊपर अत्यधिक दबाव पड़ता है। यह समस्या अब कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम का रूप लेती जा रही है जो अपने आप में आंखों की समस्याओं का समूह है। आइए जानते हैं कि कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम क्या है और इससे अपनी आँखों को कैसे बचाया जा सकता है।
कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम क्या है और यह कैसे होता है?
पहले यह जान लेते हैं कि कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम ( CVS) होता क्या है। कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम, जिसे डिजिटल आई स्ट्रेन के रूप में भी जाना जाता है, लंबे समय तक कंप्यूटर, टैबलेट, ई-रीडर और स्मार्टफोन इत्यादि के उपयोग के परिणामस्वरूप होने वाली आंखों और दृष्टि संबंधी समस्याओं को कहते हैं।
यह एक विशिष्ट समस्या नहीं है, बल्कि आंखों के तनाव और दर्द से संबन्धित कई समस्याओं का समूह है। रिसर्च से पता चलता है कि फिलहाल यह समस्या कंप्यूटर स्क्रीन पर काम करने वाले 50-90 प्रतिशत लोगों को हो रही है। कंप्यूटर पर तीन घंटे या उससे अधिक समय तक काम करने वाले लोगों को इसका खतरा अधिक है।
यह समस्या नौकरी करने वाले व्यक्तियों तक ही सीमित नहीं है बल्कि छोटे-छोटे बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। यह समस्या तब और बढ़ जाती है जब कंप्यूटर या स्मार्टफोन का उपयोग कम रोशनी वाले स्थान में किया जाता है। लोगों द्वारा डिजिटल स्क्रीन के उपयोग का समय बढ़ता जा रहा है जिसके कारण यह समस्या और खतरनाक रूप लेती जा रही है।
कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम के लक्षण
- कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम (CVS) या डिजिटल आई स्ट्रेन से जुड़े लक्षण समान्यतः ये हैं:
- आँखों में तनाव
- सिर दर्द
- धुंधली दृष्टि
- आँखों का सूखापन
- गर्दन, पीठ और कंधे में दर्द
- दूर और पास के बीच बारबार फ़ोकस बदलने में कठिनाई
- आँखों में जलनलाल आँखें और आँखों की थकान
- कांटैक्ट लेंस की असुविधा
- कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम के कारक
कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम होने के पीछे कई कारणों में से प्रमुख कारण ये हैं:
- निकट कार्य करने में में नेत्र समन्वय में कठिनाई
- कंप्यूटर स्क्रीन के सामने उचित दूरी पर नहीं बैठना
- कार्यशैली के कारण आंख की मांसपेशियों पर तनाव
- आँख की पलकों का कम गिरना और आंसुओं का सही से न बनना
- स्क्रीन से होने वाला ग्लेयर प्रभाव
- अत्यधिक तनाव
- विटामिन ए और अन्य पौष्टिक आहार का पर्याप्त उपयोग न करनाकम रोशनी वाले स्थान में स्क्रीन पर काम करना
डिजिटल आई स्ट्रेन (Digital Eye Strain) का प्रभाव या असर आँखों पर कितना होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि डिजिटल स्क्रीन को देखने में खर्च होने वाला समय कितना है। यह समय जितना ज्यादा होगा उतनी ही अधिक यह समस्या होगी।
डिजिटल आई स्ट्रेन से होने वाली समस्या और लक्षण अधिकतर मामलों में केवल अस्थायी हैं और कंप्यूटर के काम या डिजिटल डिवाइस के उपयोग को रोकने के बाद ये अपने आप खत्म हो जाते हैं। किन्तु कुछ व्यक्ति इस समस्या को डिजिटल स्क्रीन के इस्तेमाल को बंद करने के बाद भी अनुभव कर सकते हैं और उन्हे धुंधला दिखाई देना या सरदर्द जैसी समस्याएँ बनी रह सकती हैं। ऐसे में उन्हे तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम का इलाज और बचाव कैसे करें
डिजिटल आई स्ट्रेन से बचाव का सबसे पहला तरीका है उन स्थितियों और कारणों की पहचान करना जिसके कारण कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम की समस्या का प्रभाव हो रहा है। इस स्थिति का जितनी जल्दी पता लगा लिया जाएगा उतनी ही आसानी से डिजिटल आई स्ट्रेन से होने वाली समस्या से बचा जा सकता है। इस समस्या की पहचान में देरी का मतलब है कि इसके लक्षण और गहरे होते जाएंगे और उपचार में ज्यादा दिक्कत होगी।
इस समस्या के उपाय और रोकथाम के लिए निम्न बातों पर ध्यान दें:
- कंप्यूटर स्क्रीन पर एंटी ग्लेयर चश्मे का इस्तेमाल करें
- कंप्यूटर स्क्रीन को आँखों के लेवल से 15-20 डिग्री नीचे रखें
- मनोरंजन के लिए डिजिटल स्क्रीन पर अधिक न देखें
- सही पोजीशन में बैठ कर काम करें
- 20-20-20 नियम का पालन करें; हर 20 मिनट के बाद 20 फीट दूर कुछ देखने के लिए कम से कम 20 सेकंड
का ब्रेक लें - दो घंटे लगातार स्क्रीन पर देखने के बाद कम से कम 15 मिनट नेत्रों को आराम दें
- बार-बार आँखों की पलक झपकाने का प्रयास करें। पलक झपकने से आपकी आँख की सतह नम रहती हैं
- कंप्यूटर की स्क्रीन चेहरे से 20-25 इंच दूर रखें। यह सबसे उचित दूरी मानी जाती है।
- नियमित रूप से आँखों की जांच और स्क्रीन पर देखने की सही आदतों को अपनाने से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है
- यदि दृष्टि में धुंधलापन होने लगे और जलन या आँखों में तनाव बना रहे तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
धन्यवाद
Neelesh Patel
Website: www.findforgk.com(Find For GK)
नीलेश पटेल जी “Find For GK” नाम का एक ब्लॉग रन करते हैं. इनका उद्देश्य इस ब्लॉग के माध्यम से सभी प्रकार की जनरल नॉलेज से अवगत कराना है. Competitive Exams की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स के लिए इनका ब्लॉग काफी हेल्पफुल है.
We are grateful to Mr. Neelesh Patel for sharing this very informative article on Computer Vision Syndrome. Thanks a lot.
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Shayarione says
This is a piece of very good information or a wonderful article.
Thanks for sharing it.
Ranjeeta Patel says
Very helpful post
Thank you so much
Neelesh
Baijnath kumar sharma says
बहुत सुंदर
Nikhil Kumar says
very nice information sir
Nandini says
bahut achi post hai mai din mai 4-4 ghante computer pe bita deti hu jisse meri ankho mei problem hone lagi hai ab mai dhyan dungi is chij ka ki jyada na use kru computer ko btw thanks for sharing this artical
Vijay chandora says
Nyc information bhai
👌👌👌
kumar says
गोपाल जी मेरी फील्ड डिजिटल मार्केटिंग की है और मुझे हर रोज कम से कम 10 से 12 घंटे कंप्यूट laptop और मोबाइल पर काम करना होता है. आज मुझे 7-8 साल हो गए बावजूद इसके मेरी आँखे अभी तक ठीक है. इसकी वजह है त्राटक और ध्यान का अभ्यास ये ना सिर्फ computer की रौशनी के प्रभाव को रोकता है बल्कि तनाव को भी दूर करता है.
हम इन चीजो से दूर नहीं हो सकते है लेकिन अगर ध्यान और त्राटक किया जाए तो इसके प्रभाव को कम या रोक सकते है.
अंत में हमेशा की तरह आपकी ये गेस्ट पोस्ट भी लाजवाब है आभार इस तरह की पोस्ट शेयर करने के लिए