प्रिय मित्रों,
स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर मैं आपके साथ अभिषेक सिंह जी द्वारा रचित एक बेहद मर्मस्पर्शी व भावुक कविता साझा कर रहा हूँ. यदि आपको यह कविता पसंद आये तो कृपया कमेन्ट के माध्यम से हमारा उत्साहवर्धन ज़रूर करें.
15 August Independence Day Poem in Hindi
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर कविता

‘अश्रु’
चेतना से शून्य मन गहरी मेरी संवेदना।
आ रहा माँ का दुलारा तिरंगे में लपेट कर।
खुशबुएँ हैं बस हकीकत कुछ भी ना अवशेष है।
फूल पत्ती तितलियाँ भी द्वार आके रो गयीं।
कन्धों पे जाना था जिसके लाश उसकी उठा रहा।
उठ जा भाई करलें सारी बालपन की हर सुलह।
बहन डेहरी पे खड़ी राखी के धागे तोड़ कर।
बुत बनीं पागल सी पूछें क्या यहाँ पे हो रहा।
दुधमुही बेटी न होती हम भी चल देते जी साजन।
बिन तेरे मेरे पिया बस मैं तो ज़िन्दा लाश हूँ।
देश के चरणों में अपनें रक्त से वन्दन किया।

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Note: This Independence Day Poem in Hindi / स्वतन्त्रता दिवस पर कविता may be used by students of class 5, 6, 7, 8, 9, 10, etc to recite on Independence Day or Republic Day.
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Nice blog thank you for sharing
good agricultural practices
Dil ko chhune lene woli hai ye poem .
Thank You.
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
Thanks Gopal ji for Poem Sharing