Disclaimer: लेखक के इस लेख का उद्देश्य किसी भी जाति, धर्म, संस्थान या समुदाय को ठेस पहुंचाना नहीं है।
Social Stigma and Superstitions Related to Periods or Menstruation Cycle in Hindi
पीरियड्स या मासिक धर्म से संबंधित सामाजिक कलंक और अंधविश्वास
मैं, रजत अग्रवाल, अपनी मित्र से फ़ोन पर बात कर रहा था तो उसने ज़िक्र किया कि-
मुझे भूख लग रही है लेकिन मम्मी ने बिना स्नान किये रसोई घर में प्रवेश करने से मना किया है।
कारण पूछने पर पता लगा कि ऐसा उसके menstrual cycle ( periods ) यानी मासिक धर्म की वजह से किया गया है। मुझे ये बात बड़ी अटपटी लगे और फिर मैंने इस विषय पर शोध करना शुरू कर दिया। और आज इस लेख में मैं आपसे इसी रिसर्च में सामने आये तथ्यों को शेयर कर रहा हूँ।
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मासिक धर्म और नारी
मासिक धर्म का अनुभव करती हुई महिला का सम्मान करें बजाय उसपर प्रतिबंध लगाने के, जो आज के युग में बड़ा अंधविश्वास बन गया है। वह भगवान की आराध्य शक्ति से धन्य है। मैं इस लेख में महिलाओं के मासिक धर्म के बारे में कुछ रहस्यों और अंधविश्वासों को प्रकट करने का प्रयास कर रहा हूँ। मेरा मानना है कि मासिक धर्म के दौर से गुजर रही महिला, उतनी ही पवित्र है जितनी कोई अन्य महिला।
मासिक धर्म से जुड़े अन्धविश्वास
अगर मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अपवित्र कहा जाता है तो दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति अपवित्र है। क्योंकि जब आपने जन्म लिया, तो आपका शरीर भी उसी रक्त और तरल पदार्थ से लत-पत था। तो क्या अब समाज को यह कहना चाहिए कि आप भी अपवित्र हैं!?
उन लोगों और माताओं के लिए, जो अपनी लड़कियों को छुआ-छूत की बीमारी समझकर उन्हें –
- पूजा करने के लिए या मंदिर में प्रवेश करने से,
- रसोई घर में प्रवेश करने के लिए,
- नए कपड़े या रसोई के बर्तन छूने के लिए,
- अचार छूने या गाय/बकरी को छूने या चराने के लिए,
प्रतिबंधित कर रहे हैं उनसे अनुरोध है की आप भी उसी समस्या से पीड़ित थे या रहते हैं तो क्यों न इसको एक समस्या का नाम न देकर जीवन का एक हिस्सा समझे और इन सभी प्रतिबंधों को हटा दें।
और उन पुरुष लोगों के लिए जो सोचते हैं की यह लड़की के शरीर का एक अशुद्ध हिस्सा है, यदि आपकी मूत्र मार्ग से पाँच दिनों के लिए हर समय रक्त बहता रहे, तो शायद आप महिलाओं के प्रति अपनी सोच और नजरिये को बदलेंगे।
कोई भी वैज्ञानिक शोध साबित नहीं करता कि अचार या भोजन को खराब होने का कारण मासिक धर्म है। आपसे अनुरोध है की कृपया लड़कियों के प्रति अपने मन की संकीर्ण भावना को बदलें। लड़कियों को खड़े होकर नए युग और नई पीढ़ी के लिए अपने मासिक धर्म की पौराणिक कथाओं के खिलाफ आवाज उठानी होगी।
महिलाएं और हिन्दू मंदिर
मैं यहाँ भारत के कुछ हिन्दू मंदिरों से जुड़ी बात करना चाहता हूँ:
- भारत में हिन्दू महिलाओं को उनके मासिक धर्म के दौरान मंदिर में प्रवेश करने से रोकते हैं। जैसे केरला में सबरीमाला मंदिर ने कहा कि दस से पचास साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।
- जबकि आंध्र प्रदेश में देवीपुरम मंदिर में ज्यादातर पुजारी महिलाएं हैं, जो सभी सीमाओं से मुक्त हैं और मंदिर में मासिक धर्म की अवधि के दौरान भी रहती हैं। इस मंदिर में एक कामाख्या पीतम है, जो कि एक योनी के आकार का प्राकृतिक निर्माण है और उपासक यहां पूजा के लिए मासिक धर्म की अवधि के दौरान भी एकत्र होते हैं।
- केरल में भगवती मंदिर और असम में कामाख्या देवी का मंदिर जहां माना जाता है कि देवी भी मासिक धर्म से गुज़रती हैं। और इसी तरह के मासिक धर्म के रीति रिवाज़ों का पालन करती हैं।, तीन दिनों के लिए मंदिर को बंद किया जाता है और फिर अंत में जश्न मनाया जाता है। इन दोनों मंदिरों में, मासिक धर्म का कपड़ा अत्यधिक उपयोगी माना जाता है और भक्तों के बीच वितरित किया जाता है।
- जबकि कर्नाटक राज्य में, तुलू त्योहार जनवरी या फरवरी के महीने में तीन दिनों तक धरती माता के प्रजनन चक्र की शुरुआत के उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसे वें महिला के प्रजनन चक्र के समान मानते है। इन तीन दिनों के दौरान, धरती को आराम दिया जाता है और इस दौरान कोई कटाई या खुदाई नहीं की जाती है।
- मणिपुर में, जब पहली बार कोई लड़की मासिक धर्म से गुजरती है, तो उनकी मां उस कपड़े को संगवाकर रख देती है और लड़की की शादी होने पर उसे उपहार के रूप में देती है। इस कपड़े को इतना शक्तिशाली माना जाता है कि यह लड़की और उसके परिवार को खराब स्वास्थ्य या नकारात्मक शक्ति और अन्य बीमारियों से बचाएगा।
- वहीं दूसरी और झारखंड में नकारात्मक रूप से, जहां लोग मानते हैं कि मासिक धर्म रक्त बहुत शक्तिशाली और काले जादू के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसलिए, महिलाओं को इस कपड़े को उपयोग के बाद सावधानी से नष्ट कर देना चाहिए।
विभिन्न धर्मों के मासिक धर्म को लेकर मत व मान्यताएं
- यहूदी धर्म में मासिक धर्म के दौरान महिला को निदाह कहा जाता है और संभोग करना प्रतिबंधित माना जाता है।
- इस्लामिक धर्म में महिलाओं को नमाज़ अदा करने से रोका जाता है। जबकि कुरान में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि महिलाएं अपने मासिक धर्म के दौरान
उपवास, प्रार्थना या पूजा नहीं कर सकती हैं।
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- हिंदू धर्म में, मासिक धर्म वाली महिलाओं को पारंपरिक रूप से कुछ अन्धविश्वासी नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है। जैसा कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वे मंदिर में प्रवेश न करें, रसोई घर में काम न करें, संभोग न करें, न तो पवित्र चीजों को स्पर्श करें और न ही अचार को या रसोई घर के नए बर्तन।
- जैन धर्म में, महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है ना ही पवित्र वस्तुओं को छूने की ।
वहीं दूसरी ओर-
- अधिकांश ईसाई महिलाओं को चर्च जाने की अनुमति है। वे मासिक धर्म से संबंधित किसी भी नियमों का पालन नहीं करते हैं।
- बौद्ध धर्म में, मासिक धर्म को एक प्राकृतिक शारीरिक उत्सर्जन के रूप में देखा जाता है । उनके अनुसार, पुरुष और महिला सभी स्थितियों में समान हैं।
- सिख धर्म में, पुरुष और महिला हमेशा बराबर होते हैं चाहे महिला अपने मासिक धर्म में है या नही।
- सन 1708 में गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा रचित पवित्र ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पृष्ठ संख्या 472 एवं 473 पर लिखा है, यदि कोई उन दिनों में महिलाओं के अशुद्ध होने की अवधारणा को स्वीकार करता है जब वह जीवन देने वाले चक्र से गुजरती है, तो दुनिया की हर चीज में अशुद्धियाँ हैं।
- सिख धर्म में, एक महिला बिना किसी रोक के गुरुद्वारा में अपने मासिक धर्म के दौरान सभी कर्तव्यों का पालन कर सकती है। अशुद्धता को इस तरह से दूर नहीं किया जा सकता है। यह आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा दूर किया जा सकता है।
मासिक धर्म : एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया
भगवान ने महिलाओं को इस तरह बनाया है कि वह मानव जाति के स्थायीकरण में प्रमुख भूमिका निभाती है। एक महिला का प्राथमिक प्रजनन अंग उसका अंडाशय
हैं। जब एक लड़की का जन्म होता है, तो उसके अंडाशय में पहले से ही लगभग चार लाख अपरिपक्व अंडे होते हैं (जिन्हें ओवा के रूप में जाना जाता है)।
यौवन के समय, अंडे परिपक्व होने लगते हैं। आमतौर पर हर महीने एक अंडा (ओवम)। ओवम की परिपक्वता दो मासिक धर्म चक्रों के बीच लगभग आधी होती है।
परिपक्व होने के बाद, यह अंडाशय से फैलोपियन ट्यूब तक अपना रास्ता ढूंढता है और गर्भ में समाप्त होता है। इस बीच गर्भ (एक निषेचित अंडे के संभावित आगमन की तैयारी करते समय) एक मोटी, नरम, मखमली अस्तर विकसित करता है जो ज्यादातर रक्त वाहिकाओं से बना होता है। गर्भ में इस परत को एंडोमेट्रियम कहा जाता है।
यदि एक अंडे को निषेचित किया जाता है, तो यह एंडोमेट्रियम में एम्बेडेड होगा और इसकी वृद्धि जारी रखेगा। लेकिन अगर कोई अंडा निषेचित नहीं होता है, तो एंडोमेट्रियम (यानी गर्भ का अस्तर) की अब कोई जरूरत नहीं है और उसे बहा दिया जाता है या छोड़ दिया जाता है। एंडोमेट्रियम को त्यागने की इस प्रक्रिया को मासिक धर्म के रूप में जाना जाता है।
इस जैविक व्याख्या से यह स्पष्ट है कि मासिक धर्म न तो महिला पर अभिशाप है और न ही कोई मूल पाप। बल्कि यह एक बहुत ही सामान्य जैविक प्रक्रिया है जो मानव
जाति के स्थायीकरण को सुनिश्चित करती है।
निष्कर्ष
प्राचीन समय में, महिलाओं के पास उचित स्वछता सम्बन्धी उपकरण नहीं थे और रक्त स्त्राव कहीं भी हो जाता था, इसलिए उन्हें रसोई के कर्तव्यों से आराम करने की अनुमति दी गई थी और उन्हें मंदिर जाने के लिए प्रतिबंधित किया गया था। लेकिन आज के दौर में लड़कियां मासिक धर्म के पैड्स का उपयोग कर रही हैं जो सस्ता, टिकाऊ, आरामदायक, गैर-प्रदूषणकारी और स्वास्थ्य के लिए अधिक सुरक्षित है, सिलिकॉन से बना है, जिसकी आपकी त्वचा के साथ कोई प्रतिक्रिया नहीं है।
इसलिए ज़रुरत है लोगों को जागरूक करने की और मासिक धर्म को एक सामान्य प्रक्रिया मान कर महिलओं के साथ इस दौरान भी उचित व्यवहार करने की।
यह सोचना बंद कर दें कि मासिक धर्म के दौरान लड़कियां अशुद्ध होती हैं। वे देवी के समान पवित्र हैं। मेरा मानना है कि भगवान ये देखकर प्रसन्न होंगे की इतने दर्द में भी आपने मंदिर आने का प्रयास किया।
चलिए हम सब मासिक धर्म का अनुभव कर रही महिलाओं को अशुद्ध या गन्दा कहने की जगह उनका सम्मान करें और इस कुरीति को अपने देश से उखाड़ फेंकें.
धन्यवाद!
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Richa mishra says
Ye bhut hi Gambhir visay h aur Mano tto bhut samanay v AJ ki logo Mae aese bhut ghar h jaha ishko lekar log AJ v unpar atachar krte h ..aurat ki paresani tto ajkl aurat khud hi Ni samjhti aur Apne ek mard hokar samjha really it’s mean alot so vry thankful to u keep it up.
shiv prakash mishra says
bahoot hi achhi tarah logo ko jagarook kar rahe
Anjali says
बहुत ही बढ़िया जानकारी देता है यह यह पोस्ट