Ramakrishna Paramhansa and Swami Vivekananda Conversation Dialogue in Hindi
राम कृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानन्द का अद्भुत संवाद
गुरु: राम कृष्ण परमहंस
शिष्य: स्वमी विवेकानंद
राम कृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानन्द का अद्भुत संवाद
शिष्य: मुझे खाली समय नहीं मिल रहा है। जीवन अस्त व्यस्त हो गया है।
गुरु: गतिविधि आपको व्यस्त करती है। लेकिन उत्पादकता आपको मुक्त करती है।
शिष्य: जीवन अब जटिल क्यों हो गया है?
गुरु: जीवन का विश्लेषण करना बंद करो, यह इसे जटिल बनाता है। जीवन को जियो।
शिष्य: फिर हम लगातार दुखी क्यों हैं?
गुरु: चिंता करना आपकी आदत बन गई है। इसलिए आप कभी खुश नहीं होते।
शिष्य: अच्छे लोगो को हमेशा कष्ट क्यों मिलते हैं?
गुरु: हीरे को बिना घर्षण के पॉलिश नहीं किया जा सकता है। आग के बिना सोना शुद्ध नहीं किया जा सकता। अच्छे लोग परीक्षण से गुजरते हैं, लेकिन उन्हें कष्ट नहीं मिलते। जिन्हें तुम कष्ट कह रहे हो, वे अनुभव हैं। और इस अनुभव के साथ, उनका जीवन और बेहतर हो जाता है, कष्टदायक या बुरा नहीं।
- ज़रूर पढ़ें: स्वामी विवेकानंद का प्रसिद्द शिकागो भाषण
Master Ram Krishna Paramahamsa & Disciple Swami Vivekananda Talk
शिष्य: आपके कहने का मतलब है कि ऐसा अनुभव उपयोगी है?
गुरु: हाँ। अनुभव एक वास्तविक शिक्षक है। वह पहले परीक्षा लेता है और उसके बाद पाठ सिखाता हैं।
शिष्य: कई समस्याओं के कारण, हम नहीं जानते कि हम कहाँ जा रहे हैं …
गुरु: अगर आप बाहर देखते हैं, तो आप नहीं जान पाएंगे कि आप कहाँ जा रहे हैं। भीतर देखो। आँखें दृष्टि प्रदान करती हैं। दिल रास्ता प्रदान करता है।
शिष्य: क्या सही दिशा में बढ़ने से अधिक असफलता हमें चोट पहुंचाती है?
गुरु: सफलता दूसरों द्वारा तय किया गया एक मानक है। संतुष्टि आपके द्वारा महसूस किया गया एक मानक है।
- ज़रूर पढ़ें: स्वामी विवेकानंद की जीवनी
शिष्य: कठिन समय में, आप लगातार प्रेरित कैसे रहते हैं?
गुरु: हमेशा इस बात पर गौर करें कि आप कितनी दूर आ चुके हैं बजाय इसके कि आपको अभी और कितनी दूर तक जाना हैं। हमेशा आपने आशीर्वादों (blessing) को याद रखें, न कि उसको जिसे आपनें खोया हैं।
शिष्य: लोगों की कौन सी बात आपको आश्चर्यचकित करती है?
गुरु: जब वे कष्ट में होते हैं तो वे पूछते हैं, “मैं ही क्यों?” पर जब वे समृद्ध होते हैं, तो वे कभी नहीं पूछते हैं, कि “मैं ही क्यों?”
शिष्य: मैं सर्वश्रेष्ठ जीवन कैसे प्राप्त कर सकता हूँ?
गुरु: बिना किसी अफसोस के अपने अतीत का सामना करो। अपने वर्तमान को आत्मविश्वास के साथ संभालें। बिना किसी डर के भविष्य की तैयारी करें।
शिष्य: एक आखिरी सवाल। कभी-कभी मुझे लगता है कि मेरी प्रार्थनाओं का उत्तर नहीं दिया गया है।
गुरु: कोई अनुत्तरित प्रार्थना नहीं हैं। विश्वास रखो और डर को अपने मन से निकाल दो।
जीवन सुलझाना एक रहस्य है, हल करने के लिए समस्या नहीं। मुझ पर विश्वास करो। यदि आप जानते हैं कि कैसे जीवन जीना है, तो जीवन अद्भुत है।
दिव्य ज्ञान :
“खुश लोग हमेशा खुश इसलिए नहीं होते हैं, कि उनके जीवन में सब कुछ सही होता है, बल्कि वे खुश हैं क्योंकि हर चीज के प्रति उनका रवैया सही है”
धन्यवाद
Sudhanshulanand (सुधान्शुलानंद)
इटावा, उत्तर प्रदेश
फोन नं: 9456251005
Email: [email protected]
सुधान्शुलानंद जी पेशे से एक Electrical Engineer हैं. इन्हें योग, ध्यान, आध्यात्म और दर्शन में गहन रूचि है. इसके साथ-साथ उन्हें संगीत, साहित्य, कला का भी शौक है | सुधान्शुलानंद जी कविता, कहानी, भजन, पद्य, दोहे, इत्यादि मन की प्रसन्नता के लिए लिखते हैं. इन्होने ध्यान और योग को अपना जीवन माना है और वह प्रत्येक व्यक्ति को आध्यात्म और वास्तविक धर्म के करीब लाने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहते हैं.
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हीरे को बिना घर्षण के पॉलिश नहीं किया जा सकता है। आग के बिना सोना शुद्ध नहीं किया जा सकता। अच्छे लोग परीक्षण से गुजरते हैं, लेकिन उन्हें कष्ट नहीं मिलते। जिन्हें तुम कष्ट कह रहे हो, वे अनुभव हैं। और इस अनुभव के साथ, उनका जीवन और बेहतर हो जाता है, कष्टदायक या बुरा नहीं।
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Anam says
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विकाश गुप्ता says
इन् बातो में अद्भुद सच्चाई है , जिस व्यक्ति में संतुष्टि नहीं वह कभी सुखी नहीं हो सकता है |
Parth says
बहुत सुन्दर