अब्राहम लिंकन का स्कूल हेडमास्टर को पत्र
अब्राहम लिंकन का स्कूल हेडमास्टर को पत्र
जब वो 31 साल का था, तब वो business में fail हो गया.
32 वें साल में वो state legislator का चुनाव हार गया.
33 वें साल में उसने एक नया business try किया और फिर fail हो गया.
35 वें साल में उसकी मंगेतर का निधन हो गया.
36 वें साल में उसका nervous break-down हो गया.
43 वें साल में उसने कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ा पर हार गया.
48 वें साल में उसने फिर कोशिश की पर हार गया.
55 वें साल में उसने Senate के लिए चुनाव लड़ा पर हार गया.
56 वें साल में उसने Vice President के लिए चुनाव लड़ा पर फिर हार गया.
59 वें साल में उसने फिर से Senate के लिए चुनाव लड़ा और एक बार फिर उसे हार का मुंह देखना पड़ा.
लेकिन 1860 में वो आदमी जो A. Lincoln sign करता था अमेरिका का 16 वाँ राष्ट्रपति बना.
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं अब्राहम लिंकन की, जिन्होंने तमाम failures देखने के बाद भी अपना संघर्ष जारी रखा और एक दिन अमेरिका के राष्ट्रपति बने. जाहिर सी बात है अगर इतने अनुभव वाला कोई व्यक्ति अगर हमें कुछ बता रहा है, तो उस बात मे दम तो होगा ही. इसीलिए आज हम इस विडियो में आपके साथ अब्राहम लिंकन का लिखा एक letter share कर रहे हैं जो उन्होंने अपने बेटे के स्कूल हेडमास्टर को लिखा था.
दोस्तों, इस पत्र में जो सलाह दी गई है वह सिर्फ स्कूल टीचर्स के लिए ही नहीं बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रासंगिक है जो अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देना चाहता है, या खुद अपना personal-development करना चाहता है. तो आइये हम इस पत्र को देखते हैं:
Abraham Lincoln’s Letter To His Son’s School Headmaster in Hindi
शिक्षकों के लिए एक शब्द
मेरा बेटा आज स्कूलिंग शुरू कर रहा है. कुछ समय के लिए उसके लिए ये सब थोड़ा अजीब और नया होने वाला है और मैं उम्मीद करता हूँ आप उसके साथ नम्रतापूर्वक व्यवहार करेंगे. ये एक ऐसा काम है जो शायद उसे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लेकर जाएगा. इस जीवन को जीने के लिए विश्वास, प्रेम और साहस की ज़रुरत होती है.
इसलिए, माय डिअर टीचर, प्लीज़, क्या आप उसका हाथ थाम कर, उसे वो चीजें सिखा सकते हैं जो उसे जाननी ही होंगी, नम्रतापूर्वक… आहिस्ता-आहिस्ता.
उसे सिखाइए कि हर एक दुश्मन के बदले एक दोस्त होता है. उसे जानना होगा कि सभी लोग अच्छे नहीं होते, सभी लोग सच्चे नहीं होते. लेकिन उसे ये भी बताइये कि हर एक विलेन के लिए एक हीरो होता है, हर एक भ्रष्टाचारी पॉलिटिशियन के बदले एक समर्पित लीडर होता है.
इस पत्र को YouTube पर देखें
उसे सिखाइए कि शान से हारा कैसे जाता है और जब वो जीते तो ख़ुशी कैसे मनाई जाती है.
उसे अच्छे लोगों के साथ विनम्र रहना और बुरे लोगों के साथ सख्त रहना सिखाइए. अगर हो सके तो उसे जलन से दूर ले जाइए और उसे अपने में खुश रहने का रहस्य समझाइये.
उसे किताबों के चमत्कार के बारे में ज़रूर बताइये, लेकिन उसे आकश में उड़ते पक्षियों, फूलों पर मडराती मधुमक्खियों, और हरी पहाड़ी पर गिरती सूरज की किरणों के परम रहस्य के बारे में सोचने का मौका ज़रूर दीजिये. उसे अपने आइडियाज में यकीन करना सिखाइए, तब भी जब हर कोई उसे गलत कह रहा हो.
जब हर कोई भेड़ चाल का हिस्सा बनना चाहता हो तब आप मेरे बेटे को भीड़ से अलग चलने की ताकत देने का प्रयास करिए.
आप उसे सभी लोगों की बात सुनना सिखाइए, लेकिन उसे ये भी सिखाइए कि वह जो भी सुने उसे सत्य के परदे से छान ले और केवल जो सही है उसे ग्रहण करे. यदि वो सही है तो उसे गरजती हुई भीड़ का कान बन्द करके सामना करना सिखाइए.
उसे सिखाइए कि भले वो अपना टैलेंट और दिमाग सबसे अच्छी बोली लगाने वाले को बेचे पर अपने दिल और आत्मा की कभी कोई बोली ना लगाये.
उसमे इम्पेशेंट होने का साहस जगाइए और बहादुर बनने के लिए पेशेंट रहना सिखाइए. उसे खुद पर भरोसा करना सिखाइए, क्योंकि तब उसे हमेशा मानवता पर और ईश्वर पर भरोसा रहेगा.
टीचर, यही बातें मैं अपने बच्चे को सिखाना चाहता हूँ, लेकिन देखिये आप बेस्ट क्या कर सकते हैं. वो इतना छोटा सा, प्यारा सा बच्चा है, और वो मेरा बेटा है.
– अब्राहम लिंकन
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धन्यवाद
सुधांशुलानन्द
इंजिनियर , BSES Rajdhani Power Ltd
Email: [email protected], Mb: 9456251005
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इटावा, उत्तर प्रदेश के रहने वाले सुधांशुलानन्द जी पेशे से एक Electrical Engineer हैं. आपकी गहरी रुची योग, ध्यान, आध्यात्म और दर्शन में है। आपको संगीत , साहित्य, कला का भी शौक है। अपनी ख़ुशी के लिए आप कविता, कहानी, भजन, पद्य, दोहे व प्रेरणादायक लेख लिखते हैं और सभी को आध्यात्म और वास्तविक धर्म के करीब लाने का प्रयत्न करते हैं।
We are grateful to Sudhanshulanand Ji for sharing this very inspirational Abraham Lincoln’s Letter To His Son’s School Headmaster in Hindi.
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Aniruddh Pakhare says
Very nice and inspiring 😊😊
Manoj Dwivedi says
बहुत ही ज्यादा इंस्पायर्ड करने वाली शिक्षाप्रद कहानी है ,कैसे एक बालक को फेल होने में ख़ुशी होना चाहिए न कि नकल करके अच्छे नंबर लाकर पास होने में ,कैसे एक बच्चे को जो अभी स्कूल में जाकर दुनिया दारी जानेगा वहीं पर ख़ुद को नैतिक नियमों से इस तरह बांध सके कि पूरे जीवन न सिर्फ अनुशासित रहे बल्कि नैतिक मूल्यों को कम भी न होने दे।