आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने के 5 नियम
अपनी बात को शुरू करने से पहले मैं श्रीमद्भगवत गीता के 17 वें अध्याय के 8वें, 9वें और 10वें श्लोक को कहना चाहूँगा जो आयुर्वेद के सार को निरूपित करते हैं।
आयुः,सत्त्वबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धनाः।
रस्याः स्निग्धाःस्थिरा हृद्याआहाराः सात्त्विकप्रियाः।।8।।
अर्थ: जो भोजन सात्त्विक व्यक्तियों को प्रिय होता है, वह आयु बढ़ाने वाला, जीवन को शुद्ध करने वाला तथा बल स्वास्थ्य,सुख तथा तृप्ति प्रदान करने वाला होता है। ऐसा भोजन रसमय,स्निग्ध,स्वास्थ्यप्रद तथा हृदय को भाने वाला होता है।
कट्वम्लवणात्युष्णतीक्ष्णरूक्षविदाहिनः।
आहारा राजसस्येष्टा दुःखशोकामयप्रदाः।। 9।।
अर्थ: अत्यधिक तिक्त, खट्टे, नमकीन, गरम, चटपटे, शुष्क तथा जलन उत्पन्न करने वाले भोजन रजो गुणी व्यक्तियों को प्रिय होते हैं। ऐसे भोजन दुःख, शोक तथा रोग उत्पन्न करने वाले हैं।
यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं च यत्।
उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम्।। 10।।
अर्थ: खाने से तीन घण्टे पूर्व पकाया गया, स्वादहीन, वियोजित एवं सड़ा, जूठा तथा अस्पृस्य वस्तुओं से युक्त भोजन उन लोगों को प्रिय होता है, जो तामसी होते हैं।
अब बात करते है आयुर्वेद के उन 5 नियमों की जिनका हमें भोजन के विषय में पालन करना चाहिये।
नियम 1: चबा चबा कर भोजन करना
हमें भोजन चबा चबा कर करना चाहिये। एक कहावत है – खाओ कम चबाओं ज्यादा
आयुर्वेद के अनुसार हमें एक कौर भोजन को 32 बार चबाना चाहिये। और यदि 32 बार न चबा सकें तो कम से कम 20 बार तो अवश्य चबाना चाहिये। अब इसका मतलब यह नहीं है, कि हम गिनती करना शुरू कर दें। हमें भोजन को इतना चबाना चाहिये ताकि उसे आराम से निगला जा सके। ऐसा करने से भोजन आसानी से पच सकेगा और आपको उससे होने वाला लाभ भी पूरा-पूरा मिल सकेगा\
नियम 2: भोजन जल और वायु में सन्तुलन
आयुर्वेद के अनुसार हमें अपने पेट का 50% भाग भोजन से और 25% भाग जल से भरना चाहिये और बचा हुआ 25% भाग वायु के लिये खाली छोड़ देना चाहिये।
नियम 3: सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं
आयुर्वेद के अनुसार सूर्यास्त के बाद आहार नहीं लेना चाहिए क्यों कि सूर्यास्त के बाद हमारे पेट की अग्नि मन्द पड़ जाती है, और हमारे भोजन पचाने की क्षमता कम हो जाती है। इसीलिये दोपहर का भोजन भारी किया जाता है क्यों कि उस समय सूर्य प्रखर होता है।
परन्तु वर्तमान समय की जीवन शैली को देखते हुए यदि ऐसा करना सम्भव न हो तो आप कम-से-कम सोने से 4 घण्टे पहले भोजन जरूर कर लें। आप अपनी दिनचर्या के अनुसार समय तय कर लें। यदि आप रात 12 बजे सोते हैं तो आप 8 बजे तक खाना खा ले और यदि आप रात 1 बजे तक सोते हैं तो आप 9 बजे तक खाना खा सकते है।
रात का भोजन दोपहर के भोजन से हल्का होना चाहिये। और दोपहर के भोजन से कम भी।
नियम 4: प्राकृतिक भोजन करें
आयुर्वेद के अनुसार हम जो भोजन करें उसमें कृत्रिमता न हो। अर्थात फल सब्जियाँ और अनाज इनको इनके मूल रूप में खाये बिना पका कर। और पैकेज्ड किया हुआ भोजन, जिस भोजन में preservative मिला हो और फ्रिज में अधिक दिन तक स्टोर किया हुआ भोजन हमें नहीं करना चाहिये।
अपने भोजन में दिन में एक समय कच्ची सब्जियाँ, फल और सलाद का सेवन जरूर करें। यदि सम्भव हो तो सुबह अंकुरित अन्न का नाश्ता करें।
नियम 5: भोजन करने का सही क्रम
आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने का एक क्रम होता है, जिसका हमे पालन करना चाहिये। हमारे आहार में षठरस ( 6-Tastes )होते हैं। जिनका क्रम से हमें अपने भोजन में उपयोग करना होता है। हमें अपने खाने की शुरूआत मीठे से करनी चाहिये। परन्तु वर्तमान समय में हम इसको सबसे बाद में खाते हैं। यह गलत है।
मीठे (Sweet) के बाद हमें खट्टा (Sour) खाना चाहिये। और खट्टे के बाद नमकीन (Salty) और उसके बाद तीखा (Pungent) और उसके बाद कड़वा (Bitter) और भोजन के अन्त में हमें कसैला (Astringent) पदार्थ खाना चाहिये। यानी कर्म कुछ इस प्रकार होना चाहिए :
- मीठा
- खट्टा
- नमकीन
- तीखा
- कड़वा
- कसैला
यदि आप स्वस्थ्य हैं तो अपने भोजन में इन 6 रसों का उपयोग कीजिये। और यदि आप अस्वस्थ्य हैं तो अपनी प्रकृति ( वात, पित्त, कफ ) के अनुसार भोजन में इन रसों का उपयोग कीजिये।
इन 5 नियमों का यदि हम पालन करते हैं तो पेट में भारीपन, गैस, कब्ज, पेचिस जैसी तमाम बीमारियों से स्वयम को बचा सकते हैं।
धन्यवाद
सुधांशुलानन्द
इंजिनियर
BSES Rajdhani Power Ltd.
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सुधांशुलानन्द जी पेशे से एक Electrical Engineer हैं। आपकी गहरी रुची योग, ध्यान, आध्यात्म और दर्शन में है। आपको संगीत, साहित्य, और कला का शौक है। आप कविता, कहानी, भजन, पद्य, दोहे, अपनी खुशी से लिखते हैं और अपने लेखन से आप इस संसार के प्रत्येक व्यक्ति को आध्यात्म और वास्तविक धर्म के करीब लाने में प्रयत्नशील हैं।
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शुगर कम होने के लक्षण says
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Alishba Malik says
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AlishbaMalik says
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Education Today says
अत्यंत उपयोगी पोस्ट. हम भारतीय संस्कृति और उसके आदर्शों को भूलते जा रहे हैं इसलिए अब अनेकों बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. जबकि हमारे प्राचीन ग्रंथों में अच्छे स्वास्थ्य के लिए दिनचर्या के विषय में बताया गया है. आज की पोस्ट बहुत ही काम की है. हार्दिक आभार.
margdarsan says
Bahut Sunder Post,
Aapne barikeon se bhojan karne ki tarike bataye.
Dhanyabad aapka
Mukesh says
bahut hi achchi post hai … Thanks for posting !!
S Kalra says
Atiuttam lekh, ayurveda ke anusar bhojan karne ke paanch treeke padh kar gyan vardhan hua, bahut hi sunder treeke se varnan kia gaya he,
Dhanyavad ।
Dr jith tho says
Great article thanks for sharing this informative and interesting piece of content
Anand Sharma says
Bhut hi badhiya samjhaya hai aapne anshul ji..koti koti dhanyawad.