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ColourWheel |
हर रंग कुछ कहता है.
जितनी खूबसूरत हमारी यह रंगीन दुनिया है, उतनी हीविलक्षण इन रंगो की दुनिया है.बचपन मॅ हमॅ सिर्फ उन सात रंगॉ के नाम सिखाये जाते हैजो हम इन्द्रधनुष मॅ देख सकते है.परंतु,सच तो यह है कि हम रंगो को किसी संख्या यागणना मॅ सीमित नहीं कर सकते.रंगो कि कोइ गिनती नही होती क्योकि इस दुनिया मॅअसंख्य रंग है.इसका कारण यह है कि किन्ही भी दो रंगो को मिला कर हम एक तीसरा रंगबना सकते है,और उन दो रंगॉ की मात्रा मॅ फेर-बदल कर के हम अनेक रंग बना सकते है.इसतरह हम अलग-अलग combinations से असंख्य रंग बना सकते है.
इसी बात को हम थोडा विस्तार मॅ देखते है.रंगो को हममूलतः तीन वर्गो मॅ बाँट सकते है. ये है – Primary,Secondary, और Tertiary Colours
(1)Primary Colours:- Primary colours वे रंग हैजिन्हॅ हम दूसरे रंगो की मदद से नही बना सकते है. ये रंग है – लाल,पीला,और नीला .येतीन रंग बेस या foundation रंग है जोकि किसी भी रंग को मिला कर नहीं बनाये जा सकतेहै. परंतु,इन तीन रंगो के माध्यम से हम नाना प्रकार के रंग बना सकतेहै.
ये primary colours यानि कि लाल,पीले,और नीले रंग एकसाथ इस्तेमाल करने पर विविध और आकर्षक लगते है .ये रंग तीव्रता,रफ्तार,और आपातकालयानि कि emergency को सूचित करते है.
(2)Secondary Colours:-किसी भी दो primary colours को समान मात्रा मॅ मिलाने से जो नया तीसरा रंग बनता है उसे secondary colour कहतेहै.तीन primary colours को समान मात्रा मॅ मिलाने से तीन combinations होते है जिनसे तीन नये secondary colour बनते है.:-
लाल + पीला = नारंगी.
पीला + नीला = हरा
लाल + नीला = बैंगनी.
colour wheel मॅ secondary colours उन दो primary colours के बीच मॅ होतॅ है जिनके मेल से secondary colour बनते है.
(3) Tertiary Colours:- tertiary colours “in-between” रंग होते है.ये रंग एक primary colour और उस के समीप वालेएक् secondary colour के मेल से बनते है.primary या secondary रंग के मात्रा या proportion मॅ फेर-बदल कर के हम अनेकानेक tertiary colour बना सकतेहै. reddish-orange,yellowish- orange,yellowish-green,bluish- green,reddish-violet,bluish- violet – मूल tertiary colours होते है.
ये रंग न केवल आप्के जीवन मे अपनी छटा बिखेर कर उसे खूबसूरत बनाते हैं,बल्कि यही रंग आपके मन,मस्तिष्क ,भावनाओ और स्वभाव पर भी अपना असर दिखाते हैं.आपके पसन्दीदा रंग आपके व्यक्तित्व को भी दर्शाते हैं.इसी वजह से मनोविज्ञान मे रंगो का अपना एक अलग महत्व है.रंगो से मनुष्य की भावनाओ पर होने वाले प्रभावो के अनुसार रंगो को दो भागो मे विभाजित किया जा सकता है:-
(1) Warm Colours:-ये रंग गर्माहट और उष्णता का आभास कराते हैं.ऐसे रंग उत्साह,और सुरक्षित होने की भावना के साथ – साथ गुस्सा और उत्तेजना भी बढा सकते हैं.लाल,पीले,नारंगी,और भूरे रंगो को हम warm colours कह सकते हैं.ऐसे रंगो को हम सूरज,रौशनी दोपहर,और सांझ से जोड सकते हैं.warm colours ही सबसे पहले हमारा ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं.
(2) Cool Colours:-ये रंग इन्द्रियो को शान्त करने वाले,स्वास्थ्यवर्द्धक ,निश्चल,स्थिर,आरामदायक,और ठंडक प्रदान करने वाले होते हैं.इन रंगो को हम पानी,वायु,प्रकृति और पेड-पौधो के सन्दर्भ मे देख सकते हैं.अतः नीले,हरे,और बैंगनी रंग इस वर्ग के अंतर्गत आते हैं.कुछ लोग ग्रे या स्लेटी रंग को भी इसी श्रेणी मे रखते हैं.
इस वर्गीकरण को हम विस्तार से प्रत्येक रंग के सन्दर्भ मे देखते हैं. हर रंग अपने अन्दर कुछ विशेष्ताओँ को समेट कर रखता है जिनका सीधा असर मनुष्य पर पडता है.यह असर सकरात्मक और नकरात्मक दोनो प्रकार से हो सकता है.इसी वजह से product packaging,logo designing और interior designing के क्षेत्र मे इस्तेमाल किये गये रंगो पर खास ध्यान दिया जाता है.
(1) लाल रंग:- लाल रंग physical reactions से जुडा है.यह रंग खतरा ,तीव्रता,और उत्तेजना का सूचक है.जहाँ एक ओर यह रंग साहस,शक्ति,और उत्साह बढाता है ,वही दूसरी ओर यह defiance और rebellion यानि आज्ञा का उल्लंघन करने की प्रवृति को भी बढाता है.अन्य रंगो की तुलना मे यह रंग सबसे पहले अपनी ओर ध्यान केन्द्रित करवाता है.इसी कारणवश लाल रंग विश्व स्तर पर traffic lights मे इस्तेमाल किया जाता है.
(2) नीला रंग:- नीले रंग का असर मस्तिष्क पर पडता है.यह रंग आरामदायक, soothing और relaxing है.यह रंग बुरे सपनो और ख्यालो को दूर करता है और आपस मे परस्पर विश्वास,त्याग,और समर्पण की भावना को बढाता है.इसके साथ-साथ यह रंग बौद्धिक क्षमता और ध्यान एकाग्र करने की क्षमता को भी बढाता है.
(3)पीला रंग:- यह रंग हमारी भावनाओ से सीधा जुडा हुआ है.मनोविज्ञान मे इसे सबसे ताकतवर और tricky रंग माना जाता है.जहाँ पीले रंग का सही शेड सकरात्मकता,रचनात्मकता, confidence,स्वाभिमान,और मित्रता की भावना को बढाता है,वही इसी रंग का गलत शेड डर,अवसाद,और रोग-व्याधि का परिचायक होता है.
(4)हरा रंग:- यह रंग शारीरीक संतुलन और सामंजस्य का प्रतीक है.यह रंग शांति,प्यार,एकता बढाता है.माना जाता है कि इस रंग मे rejuvenating and healing qualities हैं जोकि आँखो को सुकून पहुँचाती है औत ताज़गी का अहसास दिलाती है.
(5)बैंगनी रंग:- इस रंग के मत मे एक striking contrast देखा जाता है.यह रंग शाही और जादुई माना जाता है जोकि सांसारिक सम्पन्नता ,धन,ऐश्वर्य,और विलासिता को सूचित करता है.परंतु इसके विपरित ,यह रंग पार्लौकिक ,धार्मिक,और आध्यात्मिक जागरूकता को बढाता है और इनसे सम्बन्धित विचारो और द्रष्टिकोण को मुखर करता है.
Colour Wheel मे पाये जाने वाले अनेक रंगो के अलावा भी कुछ रंग होते है. ये रंग हैं:- काला.सफेद और ग्रे या स्लेटी रंग.
(1) काला रंग:- यह रंग हर रंग को सोख लेता है,और कोइ भी रंग reflect नही करता.इसीलिये यह रंग हमें काला दिखता है.यह रंग sophisticated और glamorous
माना जाता है.परंतु यही रंग मुसीबत,खतरा,अवसाद,डर,और भावनाओ के अभाव को भी दर्शाता है.
(2) सफेद रंग:- यह रंग हर रंग को reflect करता है इसीलिये सभी रंग एकज़ुट हो कर सफेद दिखाई पडते हैं.यह रंग साफ,स्वच्छ,निर्मल,शुद्धता और शांति का प्रतीक है.
(3) ग्रे/स्लेटी रंग:- यह रंग energy और confidence के अभाव,डर और अवसाद को सूचित करता है.
Author –विचित्रा अग्रवाल (भज्जनका)
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Very nice
Nice sir this is wrote in very easy language but very important for art students .thanx
Bhut acha likha apne esehi ache articles likhte rehna.
Red rose and blue glass mixing karne par kaun sa colour banega
Red rose and green glass mixing karne par kaun colour banega
Very good article