शोभित एक मेधावी छात्र था। उसने हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में पूरे जिले में टॉप किया था। पर इस सफलता के बावजूद उसके माता-पिता उसे खुश नहीं थे। कारण था पढाई को लेकर उसका घमंड ओर अपने बड़ों से तमीज से बात न करना। वह अक्सर ही लोगों से ऊंची आवाज़ मे बात किया करता और अकारण ही उनका मजाक उड़ा देता। खैर दिन बीतते गए और देखते-देखते शोभित स्नातक भी हो गया।
स्नातक होने के बाद सोभित नौकरी की खोज में निकला| प्रतियोगी परीक्षा पास करने के बावजूद उसका इंटरव्यू में चयन नहीं हो पाता था| शोभित को लगा था कि अच्छे अंक के दम पर उसे आसानी से नौकरी मिल जायेगी पर ऐसा हो न सका| काफी प्रयास के बाद भी वो सफल ना हो सका| हर बार उसका घमंड, बात करने का तरीका इंटरव्यू लेने वाले को अखर जाता और वो उसे ना लेते| निरंतर मिल रही असफलता से शोभित हताश हो चुका था , पर अभी भी उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे अपना व्यवहार बदलने की आवश्यता है।
एक दिन रस्ते में शोभित की मुलाकात अपने स्कूल के प्रिय अध्यापक से हो गयी| वह उन्हें बहुत मानता था ओर अध्यापक भी उससे बहुत स्नेह करते थे | सोभित ने अध्यापक को सारी बात बताई| चूँकि अध्यापक सोभित के वयवहार से परिचित थे, तो उन्होने कहा की कल तुम मेरे घर आना तब मैं तुम्हे इसका उपाय बताऊंगा|
शोभित अगले दिन मास्टर साहब के घर गया| मास्टर साहब घर पर चावल पका रहे थे| दोनों आपस में बात ही कर रहे थे की मास्टर साहब ने शोभित से कहा जाके देख के आओ की चावल पके की नहीं| शोभित अन्दर गया उसने अन्दर से ही कहा की सर चावल पक गए हैं, मैं गैस बंद कर देता हूँ| मास्टर साहब ने भी ऐसा ही करने को कहा|
अब सोभित और मास्टर साहब आमने सामने बैठे थे| मास्टर साहब शोभित की तरफ मुस्कुराते हर बोले –शोभित तुमने कैसे पता लगया की चावल पक गए हैं?
शोभित बोला ये तो बहुत आसान था| मैंने चावल का एक दाना उठाया और उसे चेक किया कि वो पका है कि नहीं ,वो पक चुका था तो मतलब चावल पक चुके हैं|
मास्टर जी गंभीर होते हुए बोले यही तुम्हारे असफल होने का कारण है|
शोभित उत्सुकता वश मास्टर जी की और देखने लगा|
मास्टर साहब समझाते हुए बोले की एक चावल के दाने ने पूरे चावल का हाल बयां कर दिया| सिर्फ एक चावल का दाना काफी है ये बताने को की अन्य चावल पके या नहीं| हो सकता है कुछ चावल न पके हों पर तुम उन्हें नहीं खोज सकते वो तो सिर्फ खाते वक्त ही अपना स्वाभाव बताएँगे|
इसी प्रकार मनुष्य कई गुणों से बना होता है, पढाई-लिखाई में अच्छा होना उन्ही गुणोँ में से एक है , पर इसके आलावा, अच्छा व्यवहार, बड़ों के प्रति सम्मान , छोटों की प्रति प्रेम , सकारात्मक दृष्टिकोण , ये भी मनुष्य के आवश्यक गुण हैं, और सिर्फ पढाई-लिखाई में अच्छा होना से कहीं ज्यादा ज़रुरी हैं।
तुमने अपना एक गुण तो पका लिया पर बाकियो की तऱफ ध्यान ही नहीं दिया। इसीलिए जब कोई इंटरव्यूवर तुम्हारा इंटरव्यू लेता है तो तुम उसे कहीं से पके और कहीं से कच्चे लगते हो , और अधपके चावलों की तरह ही कोई इस तरह के कैंडिडेट्स भी पसंद नही करता।
शोभित को अपनी गलती का अहसास हो चुका था| वो अब मास्टर जी के यहाँ से नयी एनर्जी ले के जा रहा था|
तो दोस्तों हमारे जीवन में भी कोई न कोई बुराई होती है, जो हो सकता है हमें खुद नज़र न आती हो पर सामने वाला बुराई तुरंत भाप लेता है| अतः हमें निरंतर यह प्रयास करना चाहिए कि हमारे गुणों से बना चावल का एक-एक दाना अच्छी तरह से पका हो, ताकि कोई हमें कहीं से चखे उसे हमारे अन्दर पका हुआ दाना ही मिले।
धर्मेन्द्र प्रसाद
आगरा(उ०प्र०)
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jaswinder pal says
soch main badlav lane ke liye bahut achhi kahani hai yeh
Ketan Chavda says
Hi Gopalji,
Aapne post kiyahuva article “चावल का एक दाना ” mujebahut aachha laga.
Pahale me bhi shobhit ki tarahi tha.
Ye article post karke aapne bahutsare logoko shahi bat batayi hai jo wo apne bareme nahi jante.
Thank you & Dharmeji.
khemeshwar prasad dhiwar says
very nice story
Mukesh Tiwari says
Thank You!
Rajinder kumar says
if one person go down no body help him.Only god knows what happened.
Neha Sharma says
हमेशा की तरह बहुत ही बढ़िया और motivational story, मुझे next story का इंतज़ार रहेगा
shilpi says
this story inspired me a lot..thanks for sharing….
Prachi Dandekar+ says
Very Nice & Inspiring Story.
Thanks for sharing this.
akanksha says
Nice story.
Anil Balan says
बहुत ही अच्छी story share की सर जी आपने. पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा.