बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती सारी दुनिया में बौद्धों का सबसे बड़ा त्योहार है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और यही उनकी ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण ( मृत्यु ) का भी दिन है। यह पर्व वैशाख माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। आइये हम भगवान बुद्ध के अनमोल जीवन और उनकी शिक्षाओं के बारे में जानते हैं।
भगवान बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. में कपिलवस्तु के पास लुम्बिनी नामक स्थान पे हुआ था। बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। उनके पिता का नाम शुद्धोधन एवं माताजी के नाम मायादेवी था। उनके बारे में प्रचलित है कि एक दिन बुद्ध घर से बाहर निकले तो उन्होंने एक अत्यंत बीमार व्यक्ति को देखा, जब थोड़ा आगे गए तो एक बूढ़े आदमी को देखा तथा अंत में एक मृत व्यक्ति को देखा। इन सब दृश्यों को देखकर उनके मन में एक प्रश्न उठा कि क्या मैं भी बीमार पडूंगा, वृद्ध हो जाऊंगा, और मर जाऊंगा! इन प्रश्नों ने उन्हें बहुत ज्यादा परेशान कर दिया था। तभी उन्होंने एक सन्यासी को देखा और उसी समय ही उन्होंने मन ही मन सन्यास ग्रहण करने की ठान ली।
29 वर्ष की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया और सन्यास ग्रहण कर वे सन्यासी बन गए। महात्मा बुद्ध ने एक पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान की खोज में छः वर्षों तक कठोर तपस्या की जहाँ उन्हें सत्य का ज्ञान हुआ जिसे “सम्बोधि” कहा गया। उस पीपल के पेड़ को तभी से बोधि वृक्ष कहा जाता है। महात्मा बुद्ध को जिस स्थान पर बोध या ज्ञान की प्राप्ति हुई उस स्थान को बोधगया कहा जाता है। महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था एवं उन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की। 483 ई.पू. में कुशीनगर में बैशाख पूणिर्मा के दिन अमृत आत्मा मानव शरीर को छोङ ब्रहमाण्ड में लीन हो गई। इस घटना को ‘महापरिनिर्वाण’ कहा जाता है।
बुद्ध ने चार आर्य सत्यों का उपदेश दिया है और बौद्ध धर्म के अनुसार चार मुख्य सच्चाइयों (चार आर्य सत्य) को हमेशा याद रखना चाहिए। ये सच्चाइयां ही बौद्ध धर्म के आधार हैं जो निम्नलिखित हैं:-
१. संसार में दुःख है।
२. दुःख का प्रमुख कारण तृष्णा (तीव्र ईच्छा) है।
३. दुखों का समुदाय है।
४. दुखों से बचने का उपाय है।
दुःख की समाप्ति के लिए मनुष्य को सदमार्ग से परिचित होना चाहिए जिसे महात्मा बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग कहा है जिसमें उन्होंने आठ बातों को सम्मिलित किया है:-
१. सम्यकदृष्टि, २. सम्यकसंकल्प, ३. सम्यकवाक, ४. सम्यककर्म, ५. सम्यकआजीव, ६. सम्यकव्यायाम. ७. सम्यकस्मृति ८. सम्यकसमाधि
भगवान बुद्ध के अनुसार पवित्र जीवन बिताने के लिए मनुष्य को दोनों प्रकार की अति से बचना चाहिए। न तो उग्र तप करना चाहिए और न ही सांसारिक सुखों में लगे रहना चाहिए, उन्होंने मध्यम मार्ग के महत्व पर बल दिया है। बुद्ध ने ईश्वर और आत्मा दोनों को नहीं माना, वे हमेशा अपने शिष्यों से कहा करते थे कि उन्होंने किसी नये धर्म की स्थापना नहीं की है तथा यह धर्म हमेशा से चला आ रहा है धर्म ही है। उन्होंने अपने विचार लोगों को अपनी ही भाषा (प्राकृत) में समझाया। महात्मा बुद्ध ने बौद्ध संघों की स्थापना की जिसमे सभी जातियों के पुरूष एवं महिलाओं को प्रवेश दिया गया। बौद्ध संघ बहुत ही अनुशासनबद्ध और जनतांत्रिक संगठन थे।। बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को तीन ग्रंथों में एकत्र किया गया है जिन्हें “त्रिपिटक” कहते हैं। बुद्ध ने जात-पाँत, ऊंच-नीच के भेदभाव तथा धार्मिक जटिलता को गलत बताया है।
आइये बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर हम भगवान बुद्ध का स्मरण कर उनके दिखाए मार्ग पर चलने का प्रयास करें ।
अच्छीखबर के सभी पाठकों को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ !
धन्यवाद !
किरण साहू
रायगढ़ (छ.ग.)
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- तीन गांठें – प्रेरक प्रसंग
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We are thankful to Mr. Kiran Sahu for sharing this Hindi article on the life and teachings of Lord Bdhha on the occasion of Buddha Jayanti / Buddha Purnima .
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Dev Prakash says
budh ki partima par koi bhi dudh nahi chadhata ye aap ne kahan dekha hai, ye to andhshrdha ko dur karne ka marg dikhata hai yadi kahin aapne dudh ka chadhawa dekha hai to turant iska virodh ki jiye
.
archana says
Buddha teachings are relevant in today life.
Dr. Zakir Ali Rajnish says
आज के युग में बुद्ध कहीं ज्यादा प्रासंगिक हो उठे हैं।
viki banait says
its a stunning information mam
Anonymous says
किरणजी कहानीयाँ बहोत ही अच्छी है..। मुझे भगवान बुद्ध प्रतिमा के उपर चढाए जाने वाले बहोत सारे दूध के पीछे लोगोकी श्रद्धा है कि अँधश्रद्धा ? कया ईतने सारे दूध के पीछे भगवान बुद्ध का कोई मेसज है ?
..धर्मैश गोहिल
बडौडा
Ashish sharma says
hi
bhudham sharnam gchami….
budha na mara givan par bhut parbhav dala ha.
ma budha god ka givan ka bara ma janna ka liya bhut utsuk hu .
unke her choti bdi bat ko bda dhayn lga ka sunta hu .vo mugha her prakar sa accha lgata ha .
sushma says
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drsushma gupta
P Giri Rao says
Kiran ji apki kahaniyon ki bhasa kafhi saral hai. Mere mitron ne bhi apke blog ki kafhi sarahna ki hai. Carry on Kiran ji.
gyandarshanam.blogspot.com
gyanipandit says
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Anonymous says
There is wrong myth about Buddha as he saw the dead man & many other thing but reality shows in Babasahab book ‘ The Buddha & his Dhamma’ so kindly read this book if not don’t post or kindly merge the true story about buddha.