दो दिन पहले मैं YouTube पर ISCON के Gaur Gopal Das जी का एक विडियो देख रहा था। इसी में मुझे कछुए और खरगोश वाली कहानी का एक नया वर्जन देखने को मिला जो मुझे काफी interesting लगा। आज मैं उसी Hare and Tortoise Story को Hindi में share कर रहा हूँ।
Hare / Rabbit and Tortoise Story in Hindi
कछुए और खरगोश की कहानी
दोस्तों आपने कछुए और खरगोश की कहानी ज़रूर सुनी होगी, just to remind you; short में यहाँ बता देता हूँ:
एक बार खरगोश को अपनी तेज चाल पर घमंड हो गया और वो जो मिलता उसे रेस लगाने के लिए challenge करता रहता।
कछुए ने उसकी चुनौती स्वीकार कर ली।
रेस हुई। खरगोश तेजी से भागा और काफी आगे जाने पर पीछे मुड़ कर देखा, कछुआ कहीं आता नज़र नहीं आया, उसने मन ही मन सोचा कछुए को तो यहाँ तक आने में बहुत समय लगेगा, चलो थोड़ी देर आराम कर लेते हैं, और वह एक पेड़ के नीचे लेट गया। लेटे-लेटे कब उसकी आँख लग गयी पता ही नहीं चला।
उधर कछुआ धीरे-धीरे मगर लगातार चलता रहा। बहुत देर बाद जब खरगोश की आँख खुली तो कछुआ फिनिशिंग लाइन तक पहुँचने वाला था। खरगोश तेजी से भागा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और कछुआ रेस जीत गया।
Moral of the story: Slow and steady wins the race. धीमा और लगातार चलने वाला रेस जीतता है।
ये कहानी तो हम सब जानते हैं, अब आगे की कहानी देखते हैं:
रेस हारने के बाद खरगोश निराश हो जाता है, वो अपनी हार पर चिंतन करता है और उसे समझ आता है कि वो over-confident होने के कारण ये रेस हार गया…उसे अपनी मंजिल तक पहुँच कर ही रुकना चाहिए था।
अगले दिन वो फिर से कछुए को दौड़ की चुनौती देता है। कछुआ पहली रेस जीत कर आत्मविश्वाश से भरा होता है और तुरंत मान जाता है।
रेस होती है, इस बार खरगोश बिना रुके अंत तक दौड़ता जाता है, और कछुए को एक बहुत बड़े अंतर से हराता है।
Moral of the story: Fast and consistent will always beat the slow and steady. / तेज और लगातार चलने वाला धीमे और लगातार चलने वाले से हमेशा जीत जाता है।
यानि slow and steady होना अच्छा है लेकिन fast and consistent होना और भी अच्छा है।
For example, अगर किसी ऑफिस में इन दो टाइप्स के लोग हैं तो वे ज्यादा तेजी से आगे बढ़ते हैं जो fast भी हैं और अपने फील्ड में consistent भी हैं।
कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त…. 🙂
इस बार कछुआ कुछ सोच-विचार करता है और उसे ये बात समझ आती है कि जिस तरह से अभी रेस हो रही है वो कभी-भी इसे जीत नहीं सकता।
वो एक बार फिर खरगोश को एक नयी रेस के लिए चैलेंज करता है, पर इस बार वो रेस का रूट अपने मुताबिक रखने को कहता है। खरगोश तैयार हो जाता है।
रेस शुरू होती है। खरगोश तेजी से तय स्थान की और भागता है, पर उस रास्ते में एक तेज धार नदी बह रही होती है, बेचारे खरगोश को वहीँ रुकना पड़ता है। कछुआ धीरे-धीरे चलता हुआ वहां पहुँचता है, आराम से नदी पार करता है और लक्ष्य तक पहुँच कर रेस जीत जाता है।
Moral of the story: Know your core competencies and work accordingly to succeed. / पहले अपनी strengths को जानो और उसके मुताबिक काम करो जीत ज़रुर मिलेगी.
For Ex: अगर आप एक अच्छे वक्ता हैं तो आपको आगे बढ़कर ऐसे अवसरों को लेना चाहिए जहाँ public speaking का मौका मिले। ऐसा करके आप अपनी organization में तेजी से ग्रो कर सकते हैं।
कहानी अभी भी बाकी है मेरे दोस्त ….. 🙂
इतनी रेस करने के बाद अब कछुआ और खरगोश अच्छे दोस्त बन गए थे और एक दुसरे की ताकत और कमजोरी समझने लगे थे। दोनों ने मिलकर विचार किया कि अगर हम एक दुसरे का साथ दें तो कोई भी रेस आसानी से जीत सकते हैं।
इसलिए दोनों ने आखिरी रेस एक बार फिर से मिलकर दौड़ने का फैसला किया, पर इस बार as a competitor नहीं बल्कि as a team काम करने का निश्चय लिया।
दोनों स्टार्टिंग लाइन पे खड़े हो गए….get set go…. और तुरंत ही खरगोश ने कछुए को ऊपर उठा लिया और तेजी से दौड़ने लगा। दोनों जल्द ही नदी के किनारे पहुँच गए। अब कछुए की बारी थी, कछुए ने खरगोश को अपनी पीठ बैठाया और दोनों आराम से नदी पार कर गए। अब एक बार फिर खरगोश कछुए को उठा फिनिशिंग लाइन की ओर दौड़ पड़ा और दोनों ने साथ मिलकर रिकॉर्ड टाइम में रेस पूरी कर ली। दोनों बहुत ही खुश और संतुष्ट थे, आज से पहले कोई रेस जीत कर उन्हें इतनी ख़ुशी नहीं मिली थी।
Moral of the story: Team Work is always better than individual performance. / टीम वर्क हमेशा व्यक्तिगत प्रदर्शन से बेहतर होता है।
Individually चाहे आप जितने बड़े performer हों लेकिन अकेले दम पर हर मैच नहीं जीता सकते।
अगर लगातार जीतना है तो आपको टीम में काम करना सीखना होगा, आपको अपनी काबिलियत के आलावा दूसरों की ताकत को भी समझना होगा। और जब जैसी situation हो, उसके हिसाब से टीम की strengths को use करना होगा।
यहाँ एक बात और ध्यान देने वाली है। खरगोश और कछुआ दोनों ही अपनी हार के बाद निराश हो कर बैठ नहीं गए, बल्कि उन्होंने स्थिति को समझने की कोशिश की और अपने आप को नयी चुनौती के लिए तैयार किया। जहाँ खरगोश ने अपनी हार के बाद और अधिक मेहनत की वहीँ कछुए ने अपनी हार को जीत में बदलने के लिए अपनी strategy में बदलाव किया।
जब कभी आप फेल हों तो या तो अधिक मेहनत करें या अपनी रणनीति में बदलाव लाएं या दोनों ही करें, पर कभी भी हार को आखिरी मान कर निराश न हों…बड़ी से बड़ी हार के बाद भी जीत हासिल की जा सकती है!
कछुआ और करागोश की कहानी YouTube पर देखें
इन पोस्ट्स को भी ज़रूर पढ़ें :
- दौड़ Hindi Story on Dealing With Problems
- पछतावा
- सफलता का पाठ
- दिल की सुनने में आने वाले 7 challenges !
- Motivated हों या Demotivated काम होना चाहिए !
प्रेरणादायक कहानियों का विशाल संग्रह पढने के लिए यहाँ क्लिक करें
With inputs from this site.
यदि आपके पास Hindi में कोई article, story, business idea या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है:[email protected].पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!
Chaudhary Pradeep Rana says
Beautiful story
Meghana says
to good 👍💐
Himani Bhardwaj says
Best Example for my team. thank u 🙂