High Blood Pressure Symptoms Cause Treatment in Hindi
हाई ब्लड प्रेशर : लक्षण कारण व उपचार
बदली हुई लाइफस्टाइल और आज-कल की भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी हमें कुछ और दे पा रही हो या नहीं पर कई lifestyle diseases ज़रूर दे जा रही है. और उन्ही में से एक बेहद खतरनाक बीमारी है उच्च रक्तचाप ( High BP ) जिसे हम Hypertension या High Blood Pressure भी कहते हैं. इस बीमारी को silent killer भी कहा जाता है क्योंकि अधिकतर लोगों को पता ही नहीं होता कि उन्हे High BP की शिकायत है.
इस बीमारी के बारे में detail में बात करने से पहले बता दूँ कि 2017 में भारत के सौ जिलों में यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री द्वारा National Family Health Survey किया गया जिसमे एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया –
हर 8 में से 1 भारतीय हाई ब्लड प्रेशर से ग्रसित है. (read more)
इसलिए बेहतर होगा कि आप भी समय-समय पर अपना BP check करवाते रहे और इस बीमारी से बच कर रहे.
Hypertension / High BP in Hindi
हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन क्या होता है?
ये जानने से पहले इसे समझें कि ये “ब्लड प्रेशर” क्या चीज है और इसकी ज़रुरत क्यों पड़ती है?
हमारे शरीर का mechanism कुछ ऐसा है कि tissues और organs को function करने के लिए oxygenated blood की ज़रुरत पड़ती है. इस ब्लड को पहुंचाने का काम हमारा circulatory system करता है. हृदय इस सिस्टम का एक हिस्सा है. हृदय का धड़कना एक प्रेशर क्रिएट करता है जो खून को हमारे blood vessels जिसमें arteries, veins और cells शामिल हैं में push करता है. इसी प्रेशर को blood pressure या रक्तचाप कहते हैं.
और जब यही रक्तचाप ज़रूरत से अधिक बढ़ जाता है तो हम उसे High Blood Pressure या Hypertension कहते हैं.
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Veins= नसें
Arteries = धमनियां
Cells= कोशिकाएं
Blood vessels=रक्त वाहिकाएं)
Circulatory system =परिसंचरण तन्त्र
Tissues=ऊतक
ब्लड प्रेशर रीडिंग का क्या मतलब होता है?
BP check करने के बाद आपसे दो नंबर्स बोले जाते हैं, और फिर बताया जाता है कि BP normal है, बढ़ा हुआ है या कम है.
For example, doctor कहता है-
- “आपका BP 120/80 है… नॉर्मल है”, या
- “आपका BP 140/90 है…… बढ़ा हुआ है”, या
- “आपका BP 90/60 है…. कम है”
Medical terms में 120/80 ब्लड प्रेशर रीडिंग को “ 120 over 80 Millimeters of Mercury पढ़ते हैं और “120/80 mmHg” लिखते हैं.
Systolic Blood Pressure: पहला या upper number Systolic Blood Pressure बताता है, जिसका मतलब होता है कि heart beat होने पर ब्लड artery walls पर कितना प्रेशर लगा रहा है.
Diastolic Blood Pressure: दूसरा या lower number Diastolic blood pressure बताता है, जिसका मतलब होता है कि दो beats के बीच जब हार्ट रेस्ट करता है तब ब्लड artery walls पर कितना प्रेशर लगा रहा है.
यानी 120/80 mm Hg का अर्थ है कि आपका
- सिस्टोलिक रक्तचाप 120 है.
- डायस्टोलिक रक्तचाप 80 है.
इनमे से कौन सा नंबर अधिक मायने रखता है?
आमतौर पर upper number यानी Systolic Blood Pressure ज्यादा मायने रखता है क्योंकि यही हार्ट अटैक या स्ट्रोक के खतरे का best idea देता है.
BP की वैल्यू कितनी बढ़ जाने पर हम उसे उच्च रक्तचाप की category में रखते हैं?
ये समझने के लिए इस चार्ट को देखें:
Top number (Systolic BP)
|
And/or | Bottom number (Diastolic BP) | Your category |
Below 120 | and | Below 80 | Normal blood pressure |
120-129 | and | Below 80 | Elevated blood pressure |
130-139 | or | 80-89 | Stage 1 high blood pressure |
140 or higher
|
or | 90 or higher | Stage 2 high blood pressure |
Note: यदि BP 90/60 से भी कम हो जाता है तो उसे Low Blood Pressure या Hypotension कहते हैं.
Hypertension / High BP Causes in Hindi
हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन होने के कारण क्या हैं?
90% से अधिक मामलों में हाइपरटेंशन होने का कारण पता नहीं चलता, पर ऐसे कई रिस्क फैक्टर्स हैं जिनके कारण आपको High BP की बीमारी हो सकती है:
1) अधिक उम्र: बढ़ती उम्र के साथ-साथ High BP होने का रिस्क भी बढ़ता जाता है. हालांकि, अब युवाओं में भी ये बीमारी पायी जाने लगी है.
2) फॅमिली हिस्ट्री: यदि आपके परिवार में किसी को हाई बीपी है तो आपको भी ये बीमारी होने के चांसेस बढ़ जाते हैं.
3) तापमान: बहुत से मामलों में पाया गया है कि तापमान अधिक होने पर BP कम रहता है और तापमान कम होने पर BP अधिक हो जाता है. इसलिए अगर आप कम तापमान वाली जगहों पर रहते हैं तो आपका BP अधिक हो सकता है. हालांकि, ऐसा 65 साल की उम्र के बाद होना अधिक common है.
4) जातीय पृष्ठभूमि (Ethnic background): हाइपरटेंशन के मामले में आपका एथनिक बैकग्राउंड भी अहमियत रखता है. पाया गया है कि African और South Asian ancestry के लोगों में High BP होने का रिस्क अधिक होता है. South Asians लोगों, जिसमे भारतीय भी शामिल हैं, को भी इस बीमारी का अधिक खतरा रहता है.
5) मोटापा: मोटापा खुद एक समस्या है और ये अपने साथ अन्य कई बीमारियाँ लेकर आती है, उन्ही में से एक है हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी. नार्मल वेट वाले लोगों की अपेक्षा overweight या obese लोगों को उच्च रक्तचाप होने का खतरा अधिक होता है.
6) जेंडर ( पुरुष / महिला ): आमतौर पर महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को हाई बीपी की शिकायत होने के सम्भावना अधिक होती है. लेकिन 60 साल की उम्र के बाद दोनों को ही हाइपरटेंशन होने का खतरा बराबर हो जाता है.
7) भौतिक निष्क्रियता (Physical inactivity) : यदि आप फिजिकली एक्टिव नहीं है, ना आप एक्सरसाइज करते हैं, ना अधिक चलते-फिरते हैं या दिनभर बस एक जगह बैठे-बैठे काम करते रहते हैं तो आपको High BP होने का खतरा बढ़ जाता है.
8) धूम्रपान: Smoking से कैंसर होने की सम्भावना तो बढ़ ही जाती है पर साथ ही इसके कारण आपके blood vessels सिकुड़ जाते हैं जिसके कारण ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. स्मोकिंग की वजह से ख़ून में ऑक्सीजन की मात्रा भी घट जाती है इसलिए इसे compensate करने के लिए ह्रदय को तेजी से पंप करना पड़ता है जिससे BP बढ़ जाता है.
9) शराब: कुछ अध्ययनों में पाया गाया है कि जो लोग शराब नहीं पीते हैं उनकी तुलना में जो लोग रेगुलरली शराब पीते हैं उनका systolic blood pressure लगभग 7 mmHg अधिक होता है.
10) नमक का अधिक सेवन: कम नमक खाने वाले लोगों की तुलना में अधिक नमक खाने वाले लोगों का रक्तचाप अधिक होता है. इसीलिए BP की बीमारी diagnose होने पर डॉक्टर भी salt intake reduce करने की सलाह देते हैं.
11) बहुत वसा वाला खाना (High fat diet): बहुत से हेल्थ प्रोफेशनल्स का मानना है अधिक फैट वाला खाना खाने से भी High Blood Pressure की बीमारी हो सकती है. खासतौर से Saturated और trans fats से रिस्क बढ़ सकता है.
12) तनाव: बहुत सी स्टडीज से ये बात साफ़ हो चुकी है कि जो लोग अक्सर तनाव में रहते हैं उनमे आगे चल कर उच्च रक्तचाप की समस्या होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है.
13) मधुमेह (Diabetes): डायबिटीज से ग्रस्त मरीजों में भी हाइपरटेंशन होने की सम्भावना बढ़ जाती है. हालांकि, यदि आप सही तरीके से अपना सुगर कण्ट्रोल करते हैं तो इसका खतरा कम हो जाता है.
14) सोरायसिस (Psoriasis):यह एक तरह की स्किन डिजीज होती है जिसमे शरीर पर कई जगह लाल चकत्ते बन जाते हैं. 14 साल चले एक अध्ययन में पाया गया कि सोरायसिस से ग्रस्त लोगों में High Blood Pressure की समस्या हो सकती है.
15) गर्भावस्था (Pregnancy): गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान high BP की शिकायत होना आम है जो after delivery सामान्य हो जाता है.
Hypertension / High Blood Pressure Symptoms in Hindi
हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन के लक्षण क्या-क्या हैं?
हाइपरटेंशन की सबसे खतरनाक बात ये है कि आपको पता ही नहीं चलता कि आपको ये बीमारी है. करीब एक-तिहाई लोगों को हाइपरटेंशन होने की जानकारी नहीं होती. और जिन्हें पता चलता भी वे भी काफी समय बीतने के बाद ही इस बारे में जान पाते हैं.खासतौर से हमारे देश में जहाँ बहुत कम लोग ही regular health checkups कराते हैं, ये बीमारी छिपी रह जाती है.
ब्लड प्रेशर थोडा-बहुत बढ़ने पर आपको कोई ख़ास लक्षण नज़र नहीं आयेंगे. लेकिन अगर ये अधिक बढ़ जाता है तो आपको इनमे से कुछ symptoms देखने को मिल सकते हैं-
- भयानक सरदर्द
- थकान या भ्रम
- बहुत घबराहट या चिंता होना
- नज़रों की समस्या
- छाती में दर्द
- सांस लेने मे तकलीफ
- अनियमित दिल की धड़कन
- नाक से खून निकलना
- मूत्र में खून आना
Effects of High Blood Pressure on Different Body Parts in Hindi
हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन से हमें क्या नुक्सान हो सकता है?
Blood Pressure का बढ़ा हुआ होना कई समस्याओं का कारण बन सकता है और आपके शरीर के कई अंगों को नुक्सान पहुंचा सकता है. इन समस्याओं का मूल कारण arteries में पैदा हुई दिक्कत के कारण blood का body के different parts में सही से फ्लो नहीं कर पाना है. तो आइये देखते हैं-
धमनियां / Arteries
शुरुआत आर्टरीज से होती है. आमतौर पर जो वेसल्स हार्ट से शरीर के अन्य हिस्सों में खून पहुंचाते हैं उनमे smooth inner lining होती है और वे काफी लचीले और मजबूत होते हैं.
लेकिन High BP की वजह से लग रहा अतरिक्त बल arteries के inner walls को डैमेज कर सकता है जिससे ब्लड स्मूथली फ्लो नहीं कर पाता है और इन जगहों पर fatty bits, जिन्हें प्लाक कहते हैं; एकत्रित हो जाते हैं. Plaque के डिपॉजिट् आर्टरीज को ब्लाक कर सकते हैं और रक्त-प्रवाह को मुश्किल बना सकते हैं.
इस नुक्सान से artery walls फ़ैल सकती हैं और गुब्बारे की तरह फूल सकती हैं. इस बंप को aneurysm (धमनीविस्फार) कहते हैं. कभी-कभी इसके फटने से bleeding भी हो सकती है.
ह्रदय / Heart
आपका हार्ट एक मसल है और इसे खून की आवश्यकता होती है. लेकिन जब arteries block हो जाने के कारण इस तक सही मात्रा में खून नहीं पहुँच पाता तब आपको इन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है-
- अनियमित दिल की धड़कन (एरिथिमिया)
- छाती का दर्द (एंजिना)
- दिल का दौरा (Heart Attack)
दरअसल, clogged arteries से ब्लड को फ्लो कराने के लिए हार्ट को एक्स्ट्रा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे उसका साइज़ बढ़ भी सकता है. ऐसे होने पर heart muscle की walls अपनी शक्ति खो देती हैं और ठीक से pump नहीं कर पातीं. इससे हार्ट अटैक या ह्रदय सम्बन्धी बीमारियों हो सकती हैं.
मस्तिष्क / Brain
High blood pressure स्ट्रोक का प्रमुख कारण है. जब उच्च रक्तचाप के कारण ब्रेन में मौजूद आर्टरी ब्लाक हो जाती है तब ब्लड ब्रेन सेल्स तक नहीं पहुँच पाता है.
ब्रेन के अलग-अलग हिस्से हमारे different functions को control करते हैं. और जिस हिस्से में ब्लड कर फ्लो बाधित होता है उस हिस्से का फंक्शन प्रभावित हो जाता है. जैसे-
बोलना, चलना, दिखना, इत्यादि. ऐसे मामलों में अगर जल्द ही ब्लड फ्लो को वापस सही नहीं किया गया तो cells die हो सकते हैं और permanent damage cause कर सकते हैं.
खराब ब्लड सप्लाई आपकी सोचने की क्षमता और यादाश्त को भी बाधित कर सकती है और इसके कारण vascular dementia हो सकता है.
किडनी / Kidneys
हाई ब्लड प्रेशर से ग्रसित हर पांच में से एक व्यक्ति को किडनी की बीमारी भी होती है. किडनी oxygen और nutrient supply तथा वेस्ट को फ़िल्टर करने के लिए ब्लड वेसल्स पर निर्भर करती है. लेकिन जब ये वेसल्स clogged हो जाते हैं तो किडनी अपना काम सही से नहीं कर पाती.
स्वस्थ किडनी आपके ब्लड प्रेशर को कण्ट्रोल में रखती है लेकिन जब वो डैमेज हो जाती है तब आपका BP high हो सकता है, जो किडनी को और भी खराब कर देता है और ऐसे में kidney failure हो सकता है.
आँखें / Eyes
यदि लम्बे समय तक High BP को कण्ट्रोल नहीं किया जाता है तो यह आँखों में मौजूद small blood vessels को नुक्सान पहुंचा सकता है और रेटिना के नीचे fluid एकत्रित कर सकता है. जिसके कारण मरीज को धुंधली या distorted images दिखाई दे सकती हैं या उसका विजन भी जा सकता है.
इसके आलावा ऑप्टिक नर्व को पर्याप्त मात्र में खून ना मिलने पर भी आँखों की रौशनी जा सकती है.
गुप्तांग / Genitals
Sexual organs तक सही मात्रा में खून नहीं पहुँचने से पुरुषों में erectile dysfunction और महिलाओं में सेक्स ना करने की इच्छा पैदा हो सकती है.
पैर और कूल्हे (hips)
जब उच्च रक्तचाप के कारण पैर की आर्टरीज ब्लाक हो जाती हैं तब आपके पैर और hips में दर्द और ऐंठन हो सकती है. इस कंडीशन को peripheral artery disease(PAD) भी कहते हैं.
हड्डियाँ / Bones
हाई बीपी आपको पेशाब के द्वारा ज़रुरत से ज्यादा कैल्शियम रिलीज करने के लिए बाध्य कर सकता है. यदि बॉडी इस अतरिक्त कैल्शियम को आपकी हड्डियों से लेती है तो आपको ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) हो सकता है. जिसमे हड्डियाँ बिलकुल कमजोर हो जाती हैं और उनके टूटने कर खतरा बहुत बढ़ जाता है. अधिक उम्र की महिलाओं में ऐसा होने के chances अधिक होते हैं.
स्लीप एप्निया / Sleep Apnea
स्लीप एप्निया एक गंभीर sleep disorder होता है जिसमे मरीज सोते समय कई बार सांस लेना बंद कर देता है, और रुक-रुक कर सांस लेता है. Hypertension से ग्रस्त आधे से अधिक लोगों में यह शिकायत होती है.
यह इसलिए और भी खतरनाक हो जाती है क्योंकि High BP इसे और ये हाई बीपी को बढाती है.
Hypertension / High Blood Pressure Prevention & Treatment in Hindi
हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन से कैसे बचा जाए?
अपना वजन सही रख कर: ओवरवेट होने पर आपको hypertension होने के चांसेस 2-6 बढ़ जाते हैं. थोड़ा सा वजन घटाना भी आपको हाई बीपी की बिमारी से बचा सकता है या इलाज में सहयक हो सकता है.
नियमित व्यायाम करके: इनएक्टिव लोगों के मुकाबले एक्टिव लोगों को हाइपरटेंशन होने का खतरा 20-50% तक कम होता है. ज़रूरी नहीं की इसके लिए आप जिम जाएं, morning walk, योग, या घर के काम करके भी आप physically active रह सकते हैं.
नमक का सेवन कम करके: नमक हमारे शरीर में पानी को बनाए रखने में सहायक होता है. लेकिन अधिक नमक खाने से शरीर में जो एक्स्ट्रा पानी स्टोर होता है वो blood pressure बढ़ा देता है.
इसलिए, यदि आप खाने में नमक कम लेते हैं तो आपको BP की प्रॉब्लम होने की सम्भावना कम होती है.
धुम्रपान / शराब का सेवन ना करें या बहुत कम करें: अधिक शराब पीना आपका ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है. बेहतर तो होगा कि आप शराब पिए ही नहीं, लेकिन अगर पीते भी हैं तो दिन-भर में 1-2 ड्रिंक से अधिक नहीं. इसी तरह यदि आप सिगरेट स्मोकिंग छोड़ पाएं तो ये भी आपका बीपी कण्ट्रोल करने में मदद करेगा.
खुश रह कर: खुश रहना अपने आप कई बीमारियों को ठीक कर देता है. वहीँ दूसरी तरफ चिंतित रहना या stress लेना अन्य बीमारियों के साथ-साथ ब्लड प्रेशर को भी बढ़ाता है.
इन चीजों का सेवन कर:
- पोटैशियम: इसके लिए आप केला, संतरा, किवी फ्रूट, आलू, राजमा, पालक, दूद, दही, मछलियाँ, इत्यादि का सेवन कर सकते हैं.
- कैल्शियम: दूध, दही, पनीर, बीन्स, मसूर, हरी पत्तेदार सब्जियां, बादाम, सैलमन मछली, इत्यादि का सेवन करने से आपको कैल्शियम मिल सकता है.
- मैग्नीशियम: Low Magnesium diet की वजह से भी आपका BP बढ़ सकता है. पर इसका ये मतलब नहीं है कि अधिक मैग्नीशियम लेने से आपका BP कम हो जाएगा. आमतौर पर यदि आप स्वस्थ आहार लेते हैं तो उसमे आपको पर्याप्त मात्रा में मैग्नीशियम मिल जाता है. यह अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियों,सूखे मटर, गोभी और सेम में पाया जाता है। Sea-food में भी यह पर्याप्त मात्र में मौजूद रहता है.
- लहसुन: कुछ अध्यनों में पाया गया है कि लहसुन खाने से भी ब्लड प्रेशर कम होता है. इसके अलावा ये कुछ प्रकार के कैंसर और कोलेस्ट्राल घटाने में भी सहायक है.
- फिश ऑयल्स: मैकेरल और सैल्मन जैसी मछलियों में “omega-3 fatty acids” पाया जाता है और इसका सेवन करना उच्च रक्तचाप कम करने में सहायक हो सकता है.
हाई बीपी में सहायक दवाइयाँ: निम्नलिखित दवाइयाँ उच्च रक्तचाप के इलाज में प्रयोग होती हैं-
- एंजियोटेंसिन-कनवर्टिंग एंजाइम (एसीई) अवरोधक
- एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर अवरोधक (एआरबी)
- डायुरेटिक्स
- बीटा अवरोधक
- कैल्शियम चैनल अवरोधक
- अल्फा ब्लॉकर्स
- अल्फा-एगोनिस्ट
- इत्यादि
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