दोस्तों आज मैं आपको यह बताते हुए काफ़ी अच्छा feel कर रहा हूँ कि AchchiKhabar.Com के माध्यम से मैंने जो request की थी उसे NCR के एक Post Graduate College में पढाने वाली एक सम्माननीय Lecturer ने सुन लिया है। आज हम उन्ही के द्वारा लिखा एक बहुत ही interesting write-up आपके साथ share कर रहे हैं:
Title : अधूरापन ज़रूरी है जीने के लिए…
Authored By: Mrs. Shikha Mishra
Profession: Lecturer ( Psychology)
अधूरापन ज़रूरी है जीने के लिए …
अधूरापन शब्द सुनते ही मन में एक negative thought आ जाती है। क्योंकि यह शब्द अपने आप में जीवन की किसी कमी को दर्शाता है। पर सोचिये कि अगर ये थोड़ी सी कमी जीवन में ना हो तो जीवन खत्म सा नहीं हो जायेगा?
अगर आप ध्यान दीजिए तो आदमी को काम करने के लिए प्रेरित ही यह कमी करती है। कोई भी कदम, हम इस खालीपन को भरने की दिशा में ही उठाते हैं। Psychologists का कहना है कि मनुष्य के अंदर कुछ जन्मजात शक्तियां होती हैं जो उसे किसी भी नकारात्मक भाव से दूर जाने और available options में से best option चुनने के लिए प्रेरित करती हैं। कोई भी चीज़ जो life में असंतुलन लाती है, आदमी उसे संतुलन की दिशा में ले जाने की कोशिश करता है।
अगर कमी ना हो तो ज़रूरत नहीं होगी, ज़रूरत नहीं होगी तो आकर्षण नहीं होगा, और अगर आकर्षण नहीं होगा तो लक्ष्य भी नहीं होगा। अगर भूख ना लगे तो खाने की तरफ जाने का सवाल ही नहीं पैदा होता। इसलिए अपने जीवन की किसी भी कमी को negative ढंग से देखना सही नहीं है। असल बात तो ये है कि ये कमी या अधूरापन हमारे लिए एक प्रेरक का काम करता है।
कमियां सबके जीवन में होती हैं बस उसके रूप और स्तर अलग-अलग होते हैं। और इस दुनिया का हर काम उसी कमी को पूरा करने के लिए किया जाता रहा है और किया जाता रहेगा। चाहे जैसा भी व्यवहार हो, रोज का काम हो, office जाना हो, प्रेम सम्बन्ध हो या किसी से नए रिश्ते बनान हो सारे काम जीवन के उस खालीपन को भरने कि दिशा में किये जाते है। हाँ, ये ज़रूर हो सकता है कि कुछ लोग उस कमी के पूरा हो जाने के बाद भी उसकी बेहतरी के लिए काम करते रहते हैं।
आप किसी भी घटना को ले लीजिए आज़ादी की लड़ाई, कोई क्रांति, छोटे अपराध, बड़े अपराध या कोई परोपकार, हर काम किसी न किसी अधूरेपन को दूर करने के लिए हैं। कई शोधों से तो ये तक proof हो चुका है कि व्यक्ति किस तरह के कपड़े पहनता है, किस तरह कि किताब पढता है, किस तरह का कार्यक्रम देखना पसंद करता है और कैसी संस्था से जुड़ा है ये सब अपने जीवन की उस कमी को दूर करने से सम्बंधित है।
महान psychologist Maslow (मैस्लो) ने कहा है कि व्यक्ति का जीवन पांच प्रकार कि ज़रूरतों के आस – पास घूमता है।
Maslow’s hierarchy of needs in Hindi:
पहली मौलिक ज़रूरतें; भूख, प्यास और सेक्स की।
दूसरी सुरक्षा की
तीसरी संबंधों या प्रेम की,
चौथी आत्मा-सम्मान की
और पांचवी आत्मसिद्धि (self-actualization) की जिसमे व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूरा प्रयोग करता है।
ज़रूरी नहीं की हम अपने जीवन में Maslow’s Hierarchy of needs में बताई गयी सारी stages तक पहुँच पाएं और हर कमी को दूर कर पाएं, पर प्रयास ज़रूर करते हैं।
कई घटनाएँ ऐसी सुनने में आती हैं जहाँ लोगों ने अपने जीवन की कमियों को अपनी ताकत में बदला हैं और जिसके कारण पूरी दुनियां उन्हें जानती है जिसमे Albert Einstein और Abraham Lincoln का नाम सबसे ऊपर आता है।
Albert Einstein जन्म से ही learning disability का शिकार थे, वह चार साल तक बोल नहीं पाते थे और नौ साल तक उन्हें पढ़ना नहीं आता था। College Entrance के पहले attempt में वो fail भी हो गए थे। पर फिर भी उन्होंने जो कर दिखाया वह अतुलनीय है।
Abraham Lincoln ने अपने जीवन में health से related कई problems face कीं। उन्होंने अपने जीवन में कई बार हार का मुंह देखा यहाँ तक की एक बार उनका nervous break-down भी हो गया, पर फिर भी वे 52 साल की उम्र में अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति बने।
सच ही है अगर इंसान चाहे तो अपने जीवन के अधूरेपन को ही अपनी प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत बना सकता है ।
जो अधूरापन हमें जीवन में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा दे, भला वह negative कैसे हो सकता है।
“ज़रा सोचिये! कि अगर ये थोडा सा अधूरापन हमारे जीवन में न हो तो जीवन कितना अधूरा हो जाये !!!!”
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We are grateful to Mrs। Shikha Mishra for sharing this thoughtful HINDI article with AchchiKhabar। Com। Thanks a lot ! Also thanks for explaining Maslow’s hierarchy of needs in Hindi.
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SANDEEP SHARMA says
VERY GOOD
nahid akhtar says
dats gud….really nice nd inspiring…
pushpa says
it is incourage line
jyoti says
nice thoght shikha g
manishmalviya says
sikha ji
I came first time in achhikhabar.com and i have read your thougt so i got a inspire
and i feel proud that i have got chance read this thoughts .
Thankyou……
DILIP VERMA says
It’s true.. अधूरापन ज़रूरी है जीने के लिए
Rimjhim roy says
shikha ji main apke vichaaroin se sahmat hoon…aur jo mujhe prerit karte h …
chandan -kumar-mishra says
it is fine.
vishal says
सही है शिखा जी लेख। शारीरिक कमी या किसी भी प्रकार की कोई असफलता को अंतिम न मानते हुए फिर से प्रयास में जुटना ही बड़ी बात है। एक दिन निश्चित रूप से सफल होंगे और ये दिन (असफलता वाले) याद आने पर हँसी आएगी।
Kaushalya says
ये पोस्ट हम अपने दोस्तों को ईमेल में भेजने के लिए उपयोग कर सकते है…?