जीवन में जब कभी हम दोराहे पर खड़े हों, परिस्थितियाँ प्रतिकूल हों, मुसीबतों का चक्रव्यूह भेदना भी कठिन
हो,अपनों ने भी साथ छोड़ दिया हो, बुद्धि तो जैसे भ्रमित सी हो गयी हो तो क्या करें ?कैसे ऐसे बुरे समय से बाहर निकलें ? कैसे फिर से जीवन सहज, सुखी, सफल, संतुष्ट और सरल बनायें ? उत्तर बड़ा ही संक्षिप्त है कि बस हम श्रद्धा और विश्वास को बिखरने न दें |श्रद्धा उस ज्ञान के प्रति कि जो मानव को अवगत कराता है इस सत्य से कि ऊषाकाल की पहली किरण से पहले का अँधेरा सबसे ज़्यादा घना हुआ करता है और विश्वास उस सहनशक्ति का कि जो यह संदेश देता है कि अब सवेरा होने में कुछ थोड़ी ही सी देर बाकी है |
जीवन में वही व्यक्ति अपने लक्ष्य को सिद्ध कर पाता है, जो एक विश्वसनीय अनुभवी व्यक्ति के निर्देशन में , सही मार्ग पर चलकर ,उचित साधनों का सदुपयोग कर, उद्देश्य को प्रतिपल अपनी स्मृति में संजोये रखकर ,सफलता और असफलता की चिंता से मुक्त रहकर सतत एवं निरंतर प्रयासशील रहता है |अब यदि वह सफल होता है तो उसका जीवन आनंद से भर जाता है लेकिन असफल होने पर भी उसके श्रद्धा और विश्वास टूटा नहीं करते क्योंकि उसके पास आश्रय होता है अपने कर्मों के प्रति ईमानदारी और सत्यता का; आभास होता है अपने दायित्व का जो उसे, उसकी रीढ़ बनकर सीधा खड़े रहने में मदद किया करते हैं |
अपने ही प्रति उसकी आस्था फिर से उसे प्रयास करने की प्रेरणा देती है, विश्वास हर वक्त एक अक्षुण्ण ऊर्जा बन कर उसे अपनी योजनाओं ; उन्हें पूरा करने के साधनों और तरीकों के प्रति आत्मा की आवाज़ बनकर ; सावधान करता रहता है, ऊपर वाला भी किसी न किसी रूप में कोई अपना बनकर उसे सहारा देने लगता है ; परिस्थितियाँ भी कुछ हद तक अनुकूल होने लगती हैं कयोंकि अब वह जल्दी से परेशान नहीं हुआ करता और प्रगति के मार्ग स्वतः ही प्रशस्त होने लगते हैं |
अंततः,मित्रों,बस यही कहना चाहती हूँ कि यदि हम अपनी ऊर्जा के अपव्यय का, व्यर्थ नष्ट होने अथवा करने के कारणों का दमन करना सीख लें तो यही सुरक्षित ऊर्जा हमें ठीक वैसे ही जीवन के दलदल से बचाती रहेगी कि जैसे एक बड़े सागर में एक छोटी सी नौका अपने ऊपर सवार व्यक्ति को डूबने नहीं देती | वस्तुतः, हमारे ही भीतर ईश्वर ने उस असीमित ऊर्जा का “पावर हाउस” बनाया है जो प्रतिपल हमारा मार्ग प्रकाशित किया करता है लेकिन यदि हम ही आँखें मूँद लें तो प्रकाश का क्या कसूर ?बस, अपनी ऊर्जा को पहचान कर , जागरूकता पूर्वक हरपल उसका सदुपयोग करते चलें तो जीवन कभी भी भार नहीं बन सकता |
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I am grateful to Mrs. Rajni Sadana for sharing this inspirational article with AKC. Thanks Rajni Ji for inspiring us with your wonderful write-ups.
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अनिल साहू says
बहुत अच्छी बात कही है ‘हम श्रद्धा और विश्वास को बिखरने न दें.’
कहते हैं मुसीबतों से डरना नहीं चाहिए बल्कि जूझना चाहिए. श्रद्धा और विश्वास ऐसी ही दो चीजें हैं जो इंसान को विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में बिखरने नहीं देतीं और इंसान को हार परिस्थिति का सामना करने की हिम्मत और ताकत देतीं हैं.
अच्छा लेख.
http://www.hindisuccess.com
prabhjyot singh bindra says
yeh acchi khabar subhi k jiwan ka addhar he wastvikta me ye appki ek swarnim pehel he kash me bhi appke is karya ka hissa hota
Gopal Mishra says
As a reader आप इस कार्य का हिस्सा हैं. कृपया अधिक से अधिक positivity फैलाइये !
ravindra kathane says
Ase prenadayak baate pure samaj ko nayi disha pradan karti hai……thanku…rajaniji.
ajay kapur says
Motivational, inspiring & knowledgable article. thanks for it
mukander beniwal says
here are many good article i like this
Manju says
Very good articles are there… thank you for guarding our life …
MANOHAR says
Very good.. quite
Laxman Kumar Malviya,Advocate says
Bahut hi achhi jankari hai jo nirasha me bhi ek nai prerna bhar kar nai jyoti pradan karti hai
prakash rajput says
दुनिया में भटको को सही रास्ता दिखाना
सबसे पुण्य का काम हैं जो आपके इस artical
से पूरा होता इसके लिय आपका धन्यवाद
Raksha jain says
thank u rajni ji bahut achha bate batae aapne..
jaswant sahota says
bhat hi achha article hai
jeetendra says
Waw its very nice thought