ज़ेन बौद्ध धर्म के एक रूप है जो मनुष्य की जागृति पर जोर देता है. इसे जीवन का सही अर्थ खोजने की कोशिश की एक विधि के रूप में प्रयोग किया जाता है. जेन अपने अनुयायियों को सिखाता है कि वे अपनी उम्मीदों, विचारों और यहाँ तक की अपने विश्वास की परतों को भी हटाएं ताकि सच को जान सकें.
और आज मैं आपके साथ ऐसी ही कुछ रोचक ज़ेन कथाएँ share कर रहा हूँ जो सत्य को जानने -समझने में आपकी मदद करेंगी .
Zen Story in Hindi #1 – चोरी की सजा
जब ज़ेन मास्टर बनकेइ ने ध्यान करना सिखाने का कैंप लगाया तो पूरे जापान से कई बच्चे उनसे सीखने आये . कैंप के दौरान ही एक दिन किसी छात्र को चोरी करते हुए पकड़ लिया गया . बनकेइ को ये बात बताई गयी , बाकी छात्रों ने अनुरोध किया की चोरी की सजा के रूप में इस छात्र को कैंप से निकाल दिया जाए .
पर बनकेइ ने इस पर ध्यान नहीं दिया और उसे और बच्चों के साथ पढने दिया .
कुछ दिनों बाद फिर ऐसा ही हुआ , वही छात्र दुबारा चोरी करते हुए पकड़ा गया . एक बार फिर उसे बनकेइ के सामने ले जाया गया , पर सभी की उम्मीदों के विरूद्ध इस बार भी उन्होंने छात्र को कोई सजा नहीं सुनाई .
इस वजह से अन्य बच्चे क्रोधित हो उठे और सभी ने मिलकर बनकेइ को पत्र लिखा की यदि उस छात्र को नहीं निकाला जायेगा तो हम सब कैंप छोड़ कर चले जायेंगे .
बनकेइ ने पत्र पढ़ा और तुरंत ही सभी छात्रों को इकठ्ठा होने के लिए कहा . .” आप सभी बुद्धिमान हैं .” बनकेइ ने बोलना शुरू किया ,“ आप जानते हैं की क्या सही है और क्या गलत . यदि आप कहीं और पढने जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं , पर ये बेचारा यह भी नहीं जानता की क्या सही है और क्या गलत . यदि इसे मैं नहीं पढ़ाऊंगा तो और कौन पढ़ायेगा ? आप सभी चले भी जाएं तो भी मैं इसे यहाँ पढ़ाऊंगा .”
यह सुनकर चोरी करने वाला छात्र फूट -फूट कर रोने लगा . अब उसके अन्दर से चोरी करने की इच्छा हमेशा के लिए जा चुकी थी .
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Zen Story in Hindi #2 – एक कप चाय
नैन -इन , एक जापानी जेन मास्टर थे . एक बार एक प्रोफ़ेसर उनसे जेन के बारे में कुछ पूछने आये , पर पूछने से ज्यादा वो खुद इस बारे में बताने में मग्न हो गए .
मास्टर ने प्रोफ़ेसर के लिए चाय मंगाई , और केतली से कप में चाय डालने लगे , प्रोफ़ेसर अभी भी अपनी बात करते जा रहा था की तभी उसने देखा की कप भर जाने के बाद भी मास्टर उसमे चाय डालते जा रहे हैं , और चाय जमीन पर गिरे जा रही है .
“ यह कप भर चुका है , अब इसमें और चाय नहीं आ सकती .”, प्रोफ़ेसर ने मास्टर को रोकते हुए कहा .
“इस कप की तरह तुम भी अपने विचारों और ख़यालों से भरे हुए हो . भला जब तक तुम अपना कप खाली नहीं करते मैं तुम्हे जेन कैसे दिखा सकता हूँ ?” , मास्टर ने उत्तर दिया .
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Zen Story in Hindi #3 – दो भिक्षुक
शाम के वक्त दो बौद्ध भिक्षुक आश्रम को लौट रहे थे . अभी-अभी बारिश हुई थी और सड़क पर जगह जगह पानी लगा हुआ था . चलते चलते उन्होंने देखा की एक खूबसूरत नवयुवती सड़क पार करने की कोशिश कर रही है पर पानी अधिक होने की वजह से ऐसा नहीं कर पा रही है . दोनों में से बड़ा बौद्ध भिक्षुक युवती के पास गया और उसे उठा कर सड़क की दूसरी और ले आया . इसके बाद वह अपने साथी के साथ आश्रम को चल दिया .
शाम को छोटा बौद्ध भिक्षुक बड़े वाले के पास पहुंचा और बोला , “ भाई , भिक्षुक होने के नाते हम किसी औरत को नहीं छू सकते ?”
“हाँ ” , बड़े ने उत्तर दिया .
तब छोटे ने पुनः पूछा , “ लेकिन आपने तो उस नवयुवती को अपनी गोद में उठाया था ?”
यह सुन बड़ा बौद्ध भिक्षुक मुस्कुराते हुए बोला, “ मैंने तो उसे सड़क की दूसरी और छोड़ दिया था , पर तुम अभी भी उसे उठाये हुए हो .
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Very good story
तुभ अभी तक उसे उठाये हुए हो।
हमारा नजरिया ही हमारी सोच के लिए उत्तरदायी होता है
These Story are Great for developing India Jai HinD
food for brain stuff 🙂
nice stories,
Gopal ji aapke dwara likhit naye articles ka intajar hai. aapke likhe article kamaal ke hote he.
please koi articles likhiyega. 😉
Thanks for the story.
प्रेरक रोचक अद्भुत !
humar najariya sahi hona chaye
अदभुत ! पहले तो मुझे लगा कि जैन को जेन क्यों लिख रहे हैं. जब ध्यान से पढ़ा तो पाया कि यह तो बौद्ध धर्म की एक शाखा है. महायान और हीनयान के बारे में तो सुना था लेकिन जेन के बारे में नहीं. वस्तुतः जेन महायान शाखा की एक उपशाखा है जो चीन में फला -फूला और कालांतर में जापान पहुँच गया. एक बार पुनः धन्यवाद. जय हो.
तीनों कथायें सोचने को विवश करती हुयी..