आज की तेज रफ्तार जिंदगी में हर कोई सबसे आगे जाना चाहता है। ये कहना अतिश्योक्ति न होगी कि हर कोई जीतना चाहता है। जीत का जज़बा किसी भी देश के विकास का सुचक है। परन्तु इस बात पर गौर करना ज्यादा जरूरी है कि हमने सफलता की रेस में आगे बढने के लिए ईमानदारी से कितनी कोशिश की। जिंदगी की प्रत्येक रेस में कभी किसी को जय मिलती है तो कभी किसी को पराजय का सामना करना पड़ता है। लेकिन यदि हम अपना दिमाग खुला रखें तो हर अनुभव हमें समृद्ध बनाता है। सही अभ्यास के साथ जब भी हम अपनी बंधी-बंधाई योग्यता से ऊपर उठकर कुछ करने की कोशिश करते हैं तो ज्ञान और हौसला दोनो ही बढता है।
बचपन में हम सभी को कई नैतिक तथा मनोबल बढाने वाली कहानियां सुनाई जाती थी, जो आज भी शुरुवाती कक्षाओं में पढाई जाती हैं। बचपन में शायद उन कहानियों का आशय समझ में न आता हो किन्तु समय के साथ जिसने भी उन कहानियों का गूढ अर्थ समझ लिया उसने सफलता की इबारत लिख दी है। ऐसी ही एक कहानी थी खरगोश और कछुए की जिसे लगभग हम सभी ने पढी होगी।
जिसमें, एक जंगल में खरगोश और कछुए के बीच एक प्रतियोगिता का आयोजन रखा गया था कि, लक्ष्य तक कौन तेज दौङकर पहुँचेगा। जाहिर सी बात है दोनो की चाल में जमीन आसमान का अंतर था। मुकाबला एकतरफा ही नजर आ रहा था फिर भी कछुए ने चुनौती स्वीकार कर ली। रेस शुरु हुई खरगोश अपनी तेजरफ्तार से काफी आगे निकल गया। कछुआ धीरे-धीरे चल रहा था किन्तु निरंतर चल रहा था। जबकि अति आत्मविश्वासी खरगोश ने सोचा कि मैं तो बहुत आगे आ गया हुँ तो थोङा आराम कर लेता हुँ। पेङ के नीचे लेटते ही उसे गहरी नींद लग गई। वहीं कछुआ धीमी गति से बिना किसी विश्राम के निरंतर चलते हुए लक्ष्य तक पहुँच गया। असंभव संभव में परिणित हो गया। खरगोश की तेज चाल भी निरंतर और सतत अभ्यास से हार गई थी। खरगोश की हार से ये भी सबक मिलता है कि जब तक लक्ष्य हासिल न हो जाये आराम या आलस के वशीभूत नही होना चाहिए।
खरगोश और कछुआ तो प्रतीक मात्र हैं। यदि हम अपने आसपास नजर दौङाएं तो हम लोगों की कार्यपद्धति भी इन्ही दो श्रेणियों में बंटी है। कोई निरंतर अभ्यास से अपनी कार्यकुशलता को निखारता है और लक्ष्य के लिए जुनून की हद तक कोशिश करता है, तो कोई अतिआत्मविश्वास की वजह से, सक्षम होते हुए भी लक्ष्य तक नही पहुँच पाता है। क्षेत्र कोई भी हो, नई-नई चीजों को सीखना, नई परिस्थितीयों में खुद को ढालना सफलता का प्रमुख सबक है। अभ्यास के दौरान कभी-कभी नकारत्मक भाव आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है किन्तु उसे स्वंय पर हावी होने देना सफलता की सबसे बङी बाधा है। आशावादी दृष्टीकोंण को सदैव अपनी सांसो की रफ्तार के साथ रखना चाहिए।
प्रेमचन्द ने कहा था कि, “चित्त से दृण हो जाने वाला व्यक्ति चूने के र्फश के समान हो जाता है, जिसको बाधाओं के थपेड़े और भी मजबूत कर देते हैं।‘
अभ्यास एक ऐसा गुणं है जो उपलब्धियों एवं सफलताओं का रास्ता प्रशस्त करता है। जीवन में नित नई बातों को सीखना तथा उसका अभ्यास करते रहना जीवन की सतत प्रक्रिया है। कोई भी व्यक्ति सर्वगुंण सम्पन्न नही होता और न ही ज्ञान का भंडार लेकर पैदा होता है। हर कोई निरंतर अभ्यास से अपनी कार्यकुशलता और ज्ञान को बढाने का प्रयास करता है। इसीलिए तो कहा गया है कि,
करत करत अभ्यास के जङमति होत सुजान,
रसरी आवत जात, सिल पर करत निशान।
अर्थात जब रस्सी को बार-बार पत्थर पर रगङने से पत्थर पर निशान पङ सकता है तो, निरंतर अभ्यास से मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान बन सकता है।
निरंतर प्रयत्नशीलता और आलस्य का त्याग सफलता की कुंजी है। चारों तरफ फैले ज्ञान के खजाने को स्वयं में समेटने के लिए कुछ नया जानने की इच्छा और अभ्यास की प्रक्रिया को कभी थमने नही देना चाहिए। अपनी योग्यता पर विश्वास भी करना चाहिए किन्तु अतिविश्वास से भी दूर रहना चाहिए वरना खरगोश जैसी स्थिती बनते देर नही लगती। निरंतर प्रयत्न से अभ्यास का सकारात्म फल मिलता है और कछुए की तरह कच्छप अवतार धारण कर सम्पूर्ण विश्व का भार उठाकर विश्व विजयी बन सकते हैं। जो ताउम्र सीखते हैं वही बुलंदियों पर पहुँचते हैं और “प्रैक्टिस मेक्स परफेक्ट” जैसी कहावतों को चरितार्थ करते हैं।
अनिता शर्मा
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We are very grateful to Anita Ji for sharing this inspirational essay on importance of practice to succeed in life.
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Divyanshi says
Inspirational essay for new generation
Manshrit says
Thanks for helping me in my hindi nibhand and it is very nice mater
AndroidAssister says
nice information.
ramavtar says
nice but jo apnayega wo hi aage badega
deepak mittal says
Practice makes perfect man….
dede says
yes its good essay
priyanshu ratjore says
Very good…. thankx for my bhashan topic…
shishupal says
बहुत बहुत धन्यवाद
बड़ीया पोस्ट
Aloukik says
Very nice . It helped me a lot
naincy says
this is very inspirational essay. we all get some knowledge from it. it will give help to those who don,t want to study.
फूलसिंह गौतम says
युवा पीढी के लिए महान सीख है .