रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री रघुराम राजन का नाम वैसे तो देश की अर्थ व्यवस्था और रिजर्व बैंक की नीतियों के चलते प्राय: सुर्खियों में रहता ही है, लेकिन यह नाम आजकल लॉटरी और ई-मेल से संबन्धित ठगी के कारण भी समाचार पत्रों में छाया रहता है।
आजकल बहुत बड़ी संख्या में लोगों को अनचाहे ई-मेल प्राप्त हो रहे हैं और इन ई-मेल मेँ रघुराम राजन ग्राहकों को जहाँ एक ओर तो 5.50 करोड़ की लॉटरी के विजेता होने के लिए बधाई दे रहे हें वहीँ दूसरी ओर 15500 या 18500 रुपए जमा करने के लिए भी कह रहे हैं। इन ई-मेल में राजन के नाम के अलावा उनके फोटो का उपयोग भी किया जा रहा है। जिस अधिकारी के खाते में उक्त राशि जमा करने के लिए कहा जा रहा है, उसे रिजर्व बैंक का ‘चीफ जनरल मैनेजर’ बताया गया हे।
इस जालसाजी में लिप्त लोग रिजर्व बैंक की फीस के नाम पर उक्त राशि मांग रहे हैं | मेल में यह भी कहा जा रहा हे कि सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान-कि-मून के साथ मीटिंग में उनके नाम का चयन किया गया है। साथ ही सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इस मेल को किसी को भी न दिखाने का आग्रह भी किया जाता है।
कौन होता है email fraud का शिकर ?
ई-मेल के माध्यम से इन ठगी के कई रूप हैं। मूलतः ये सभी प्रयास ई-मेल प्राप्त कर्ता के अंतर में छिपी बिना प्रयास के दौलत हासिल करने की लालसा का लाभ उठाते हैं। आरंभ में मांग बहुत छोटी राशि की होती है, और एक बार जाल मेँ फँसने के बाद ये राशि बढ़ती जाती है। इस प्रकार की ठगी के मामले कोई इक्का दुक्का नहीं हैं। हाल ही मेँ रिजर्व बैंक के नाम के जरिये धोखाधड़ी के मामलों मेँ अचानक वृद्धी हुई है। कई ऐसे व्यक्तियों से बात करने का मौका मिला जिन्होने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया की वे भी इस तरह ठगी का शिकार हो चुके हैं, लेकिन कई हजारों की चपत लगने के बावजूद वे चुपचाप बैठ गए क्योंकि व्यर्थ पुलिस के झंझटों मेँ कोई पड़ना नहीं चाहता। एक प्रमुख बैंक के रिटायर्ड वरिष्ठ अधिकारी के साथ इसी प्रकार की एक बहुत बढ़ी ठगी की घटना हुई जिसमें वे रिटायरमेंट के समय मिली लाखों की धन राशि से हाथ धो बैठे !!
ठगी का जाल कैसे बुन जाता है ?
चूंकि आजकल ई-मेल का उपयोग बहुत ही आम हो गया है, इसलिए ये हादसा अब किसी के साथ कभी भी, कहीं भी हो सकता है। आइये, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैले जालसाजी और ठगी के विभिन्न प्रयासों पर एक नज़र डालें ताकि इनके फंदे मेँ फँसने से बचा जा सके।
- ‘लॉटरी’ के माध्यम से ठगी काफी समय से चल रहा एक पारंपरिक ई-मेल फ़्राड है। ई-मेल के विवरण और तथ्यों में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है लेकिन मूल तत्व एक ही होता हे। आपको बधाई देते हुए ये बताया जाता है कि आपका ई-मेल एड्रैस एक रैनडम कम्प्युटर सर्च द्वारा चयनित किया गया है और ये सारा कार्यक्रम एक मार्केटिंग कंपनी द्वारा प्रायोजित है। चूंकि इस कार्यक्रम की इनामी राशि कई मिलियन डॉलर्ज़ या पाउंड्स है, इसलिए ये राशि सीधे आपके बैंक खाते में ही अंतरित की जाएगी। अतः आप अपने बैंक खाते, मोबाइल नंबर, पत्राचार का पता आदि पूर्ण विवरण भेज दें ताकि इनामी राशि भेजने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके। कई बार ये भी कहा जाता है की आप हमारे claim agent या award विभाग से संपर्क करें।
- एक नए प्रकार की ठगी का प्रयास भी सामने आया है, जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से कथित रूप से जारी डेबिट और क्रेडिट कार्ड का उपयोग किया जा रहा है। इस प्रकार के कार्ड में यह निर्देश होते हैं कि कार्ड के जरिये एक निश्चित राशि किसी विशेष खाते से एटीएम के माध्यम से निकली जा सकती है। आरंभ में ये राशि छोटी होती है। कार्ड प्राप्त होने के पश्चात जब व्यक्ति एटीएम से नकदी प्राप्त करने में सफल हो जाता है तो वह उस कार्ड को सही मान कर विश्वास कर लेता है। बाद में उस से कहा जाता हे, कि उस खाते में कोई बड़ी राशि जमा करा दे, चूंकि एक बार वो खाते से नकद राशि प्राप्त कर चुका है, अतः अति आत्म विश्वास से भर कर वह एक बड़ी राशि जमा करा देता है। लेकिन उसके बाद, न तो वो कार्ड काम करता हे न ही उस खाते के बारे में कुछ पता लगता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में आमजन के लिए एक चेतावनी भी जारी की है जिसमें रिजर्व बैंक की ओर से कथित रूप से जारी डेबिट और क्रेडिट कार्ड से बचने की सलाह दी गयी है क्योंकि रिजर्व बैंक ऐसे डेबिट या क्रेडिट कार्ड कभी जारी ही नहीं करता है। रिजर्व बैंक ने परिपत्र में ये भी स्पष्ट किया गया है कि वह कोई कमर्शियल बैंक नहीं है न ही पब्लिक से संभन्धित लेन देन में उसकी कोई भूमिका होती है। साथ ही, रिजर्व बैंक किसी भी प्रकार के चालू, बचत, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग आदि से संबन्धित लेन देन में संलग्न नहीं है।
- ठगी के इन ई-मेलों में आजकल एक मेल लोगों को जेफ़िथ23 के रेडिफ्मेल अकाउंट से भेजा जा रहा है जिसके अनुसार यह प्रयास ‘पब्लिक रेकॉर्ड’ की एक गोपनीय जांच से संबन्धित है। इस मेल में कोई बेरिस्टर जोसफ फेथ हें जो कि एक मृतक के वकील हैं। इनके अनुसार मृतक काफी धनवान व्यक्ति था और वो एक हवाई दुर्घटना का शिकार हो गया लेकिन वह कोई वसीयत छोड़ कर नहीं गया है, न ही उसका कोई उत्तराधिकारी है और चूंकि दोनों के उपनाम एक ही हैं इसलिये अपने पूरे विवरण के साथ बेरिस्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है।
- ऐसा ही एक मेल मिसेस जूलिएट की याहू ‘आइडी’ से भेजा जा रहा है, इस मेल के अनुसार इंटरनेट पर सर्च करते हुए उन्हे यह मेल एड्रैस मिला। वो भारत में एक ईमानदार पार्टनर की तलाश में हैं। वे एक स्वस्थ मित्र संबंध बनाना चाह रही हैं और धीरे धीरे इस मित्रता और बात चीत के सिलसिले को आगे बढ़ाना चाहेंगी। यदि सब कुछ ठीक रहा तो हो सकता हे भविष्य में कोई स्थायी संबंध बन जाए। इस मेल में ये कहा गया है कि जवाब उनकी प्राइवेट मेल पर दिया जाए जिससे कि वे अपने फोटो भेज सकें। और अंत में, अगर दिल मिल गए तो भौतिक दूरी का कोई अर्थ ही नहीं है !!
- इन ई-मेल ठगों ने अमेरीकन एजेंसी ‘एफ़बीआई’ को भी नहीं छोड़ा ! कई बार मेल एफ़बीआई के आधिकारिक आदेश के रूप में होते हैं जो की एफ़बीआई की आतंकवादी विरोधी और मोनिट्रिंग अपराध शाखा द्वारा जारी होने की बात कहते हैं, इस में ये बताया जाता है की एफ़बीआई की नाइजेरियान यूनिट ने इस बात की पुष्टि की हे की वह कई मिलियन डॉलर की सम्पदा का उत्तराधिकारी बन गया है।
- किसी माफिया को हत्या करने की ‘सुपारी’ देने का प्रचलन मुंबई में काफी समय से है। माफिया और बॉलीवुड के संबंध और सुपारी देने की कहानियों पर कई फिल्में भी बनी हैं। जालसाजों द्वारा भेजी गयी मेल में ये सूचित किया जाता हे कि आपके बहुत ही निकट संबंधी ने जान से मारने के लिए उसे सुपारी दी है और यदि आप एक निश्चित राशि ‘सुपारी’ लेने वाले व्यक्ति को दे देते हैं तो वो नहीं मारेगा। कभी कभी तो ये भी प्रस्ताव होता हे की अगर राशि पर्याप्त है तो वो सुपारी देने वाले व्यक्ति को ही खतम कर देगा।
- वर्ष 2006 से 2008 के दौरान निवेश योजनाओं के माध्यम से ठगी करने के लिए ई-मेलों का उपयोग बड़े व्यापक स्तर पर किया गया। इस प्रकार की ई-मेल में निवेश की गयी राशि पर बहुत ऊंची दर पर ब्याज का लुभावना प्रस्ताव दिया जाता है, साथ ही इस बात के लिए भी आश्वस्त किया जाता हे कि ऊंचे रिटर्न के साथ जोखिम बिलकुल नहीं है। इस प्रकार के ई-मेल में अधिकतर एक बैंक के नाम का प्राय: उपयोग किया जाता था जिसका नाम ‘फ़िफ्थ थर्ड बैंक’ था।
- युवा वर्ग में ऑनलाइन डेटिंग आजकल बहुत ही प्रचलन में है। ये प्राय: डेटिंग इंटरनेट साइट से शुरू होते हैं और फिर धीरे धीरे व्यक्तिगत ई मेल, ऑनलाइन चैट रूम, और सोशल मीडिया साइटस तक पहुँच जाते हैं। आपको ये बताया जाता हे कि आपका फोटो, फोन नंबर और नाम एक विशेष साइट पर पोस्ट किए गए हैं। जिसके अनुसार आप एक ‘चीटर’ यानि की धोखेबाज हैं। और फिर एक मामूली सी राशि के बदले आपको उस साइट को देखने या ‘व्यू’ की पेशकश की जाती हे। तत्पश्चात आपको ये ऑप्शन दिया जाता हे कि यदि आप एक मुश्त बड़ी राशि का भुगतान कर देंगे तो आपका नाम हटा दिया जाएगा।
- Phishing / ‘फिशिंग’ ठगी या जालसाजी का प्रचलित तरीका है। इस प्रकार के मेल द्वारा आपको किसी बड़े बैंक या संस्थान की वास्तविक जैसी ही दिखने वाली साइट की तरफ डाइवर्ट किया जाता है। और आपसे कहा जाता हे की आप अपनी सभी विवरण जैसे पासवर्ड आदि उस नकली साइट में फीड कर दें, जहां से ये पासवर्ड ठगों द्वारा अपने कब्जे में ले लिए जाएंगे और फिर आपके खाते से कोई भी रकम या आपके क्रेडिट कार्ड का अनाधिकृत उपयोग किया जाएगा।
ठगी से कैसे बचा जा सकता है ?
उपरोक्त के अलावा ई-मेल के माध्यम से ठगी के कई अन्य रूप भी हो सकते हैं। जैसे कि कोई रोमांटिक प्रस्ताव, विदेश में बहुत ऊंचे वेतन पर कोई नौकरी, यूएनओ में कोई हाइ प्रोफ़ाइल जॉब का अवसर आदि। उपरोक्त ई- मेलों के अवलोकन से यह तो स्पष्ट हे कि इन ‘मेलों’में जितनी भी ‘कहानियाँ’ लिखी जा रही हैं उनका उद्देश्य एक प्रकार का भ्रम उत्पन्न करना है ताकि ई-मेल प्राप्त कर्ता मेल में लिखी बातों को सच समझे और जिस से कि धीरे-धीरे उसके चारों और जालसाजी का ताना बाना बुना जा सके। एक बार आपने किसी भी छोटी सी राशि का भुगतान कर दिया तो फिर मांग बढ़ती जाएगी। और फिर, आपकी मेहनत की कमाई पर हाथ साफ किया जाएगा।
इसलिए जब भी आप के इनबॉक्स में इस तरह का कोई मेल आए तो निम्न सावधानियाँ बरतें –
- ऐसी मेल में दी गयी किसी भी लिंक पर कभी भी क्लिक न करें।
- कभी भी मेल का जवाब न दें और न ही भेजने वाले से संपर्क करें।
- यदि आपने किसी साइट पर कोई लिंक खोल लिया है तो जो भी संबन्धित साइट खुले उस पर कभी भी कोई व्यक्तिगत जानकारी न दें।
- ई मेल के साथ आए किसी भी एटेचमेंट को कभी भी न खोलें।
- इसके आलावा भी जब कभी आप internet पर कोई financial transaction कर रहे हों तो साईट के url में चेक कर लें कि “https://” लिखा हो।
ठगी का शिकर होने के बाद क्या करें?
उपरोक्त सभी सावधानियों के बावजूद, अगर आप ई-मेल फ़्रौड का शिकार हो गए है और आर्थिक हानि भी हो गयी है, तो तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें और सारे घटना क्रम की जानकारी दें। मामले कि गंभीरता के हिसाब से पुलिस कि ‘साइबर सेल’ और रिजर्व बैंक के फ़्राड सेल या विभाग को अपने साथ हुई घटना की जानकारी अवश्य दें। भारतीय रिजर्व बैंक समय समय पर इस प्रकार की ठगी में इस्तेमाल किए गए तरीकों की जानकारी देने के लिए ‘नोटिफ़िकेशन’ जारी करता है, समाचार पत्रों के माध्यम से भी आमजन को सूचित करता है। रिजर्व बैंक की आधिकारिक वैबसाइट पर जा कर इस संबंध मैं अधिक जानकारी ली जा सकती है। साथ ही, आप अपने मित्रों, संबंधियों और परिचितों को इस प्रकार के मामलों की जानकारी अवश्य दें ताकि वे सचेत रहें। इस तरह से आप जालसाजों को एक नए शिकार को अपने जाल में फँसाने से बचा सकते हैं।
धन्यवाद!
आलोक कुलश्रेष्ठ
सेवानिवृत चीफ मैनेजर, पंजाब नेशनल बैंक
बी-601, आशादीप ग्रीन एवेन्यू
जगतपुरा, जयपुर
ईमेल : [email protected]
संपर्क: 9784942248, 0141-2971088
We are grateful to Mr. Alok Kulshreshtha for sharing a very informative article on Email Frauds in Hindi.
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Aman Tiwari says
Thank you for this important knowledge.
Ramrchan yadav says
Thank you sir
kuldeep gehlot says
sir ji mere pas ese kam se kam 10-15 email aa chuke he.
mene kabhi link nahi khola.
or to mene rbi ko email bhi kiya ki ye email id wala ese frod email bhej raha he.
kamlesh kushwah says
bahut achchhi jaankaari hai by http://www.mehtvta.com
Ashish says
Thank you so much sir for give this information..