Shekh Chilli Stories in Hindi
शेख चिल्ली की कहानियां
कौन थे शेख चिल्ली?
भारत में शेख चिल्ली को एक मजेदार कैरेक्टर के रूप में देख जाता है जो अक्सर ख्यालों में खो जाता है और हवाई-किलें बनाया करता है। पर जब उसे होश आता है तो वो खुद को लोगों के बीच पाता है और सबके लिए हंसी का पात्र बन जाता है।
आज हम आपके साथ शेख चिल्ली की कुछ मजेदार कहानियां share करेंगे। तो आइये देखते हैं इन्हें:
शेख चिल्ली के मजेदार किस्से #1 – क्यों पड़ा “मियां शेख” का नाम “मियां शेख चिल्ली”
बचपन में मियां शेख चिल्ली को मौलवी साहब नें शिक्षा दी थी की लड़के और लड़की के लिए अलग अलग शब्दों का प्रावधान होता है। उदाहरण के तौर पर “सुलतान खाना खा रहा है” लेकिन “सुलताना खाना खा रही है।”
मियां शेख चिल्ली नें मौलवी साहब की यह सीख गाठ बांध ली।
फिर एक दिन मियां शेख चिल्ली जंगल से गुज़र रहे थे। तभी उन्हे किसी कुएं के अंदर से किसी के चिल्लाने की आवाज़ आई। वह फौरन वहाँ दौड़ कर जा पहुंचे। उन्होने देखा की वहाँ कुए में एक लड़की गिरि पड़ी थी और वह मदद के लिए चिल्ला रही थी।
मियां शेख चिल्ली तुरंत दौड़ कर अपने दोस्तों के पास गए और उन्हे बोलने लगे कि वहाँ कुएं के अंदर एक लड़की गिरि पड़ी है और वह मदद के लिए चिल्ली रही है।
मियां शेख चिल्ली और उनके दोस्तों नें मिल कर उस लड़की को कुएं से बाहर निकाल लिया।
फिर घर जाते वक्त मियां शेख चिल्ली के एक दोस्त नें यह सवाल किया की मियां शेख आप लड़की चिल्ली रही….चिल्ली रही… क्यों बोले जा रहे थे?
तब मियां शेख के एक पुराने दोस्त नें खुलासा किया कि मौलवी साहब नें मियां शेख को पढ़ाया था की लड़का होगा तो… खाना खा रहा है, और लड़की हुई तो खाना खा रही है इसी हिसाब से मियां शेख नें लड़की के चिल्लाने पर “चिल्ली रही” शब्द का प्रयोग किया।
मियां शेख चिल्ली के सारे दोस्त मियां शेख की इस मूर्खता पर पेट पकड़ कर हंस पड़े और तभी से मियां शेख बन गए “मियां शेख चिल्ली”।
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Shekh Chilli Story in Hindi #2 – मियां शेख चिल्ली के खयाली पुलाव
एक दिन सुबह-सुबह मियां शेख चिल्ली बाज़ार पहुँच गए। बाज़ार से उन्होने अंडे खरीदे और उन अंडों को एक टोकरी नें भर कर अपने सिर पर रख लिया, फिर वह घर की ओर जाने लगे। घर जाते-जाते उन्हे खयाल आया कि अगर इन अंडों से बच्चे निकलें तो मेरे पास ढेर सारी मुर्गियाँ होंगी। वह सब मुर्गियाँ ढेर सारे अंडे देंगी। उन अंडों को बाज़ार में बैच कर मै धनवान बन जाऊंगा। अमीर बन जाने के बाद मै एक नौकर रखूँगा जो मेरे लिए शॉपिंग कर लाएगा। उसके बाद में अपनें लिए एक महल जैसा आलीशान घर बनवाऊंगा। उस बड़े से घर में हर प्रकार की भव्य सुख-सुविधा होंगी।
भोजन करने के लिए, आराम करने के लिए और बैठने के लिए उसमें अलग-अलग कमरे होंगे। घर सजा लेने के बाद मैं एक गुणवान, रूपवान और धनवान लड़की से शादी करूंगा। अपनी पत्नी के लिए भी एक नौकर रखूँगा और उसके लिए अच्छे-अच्छे कपड़े, गहने वगैरह ख़रीदूँगा। शादी के बाद मेरे 5-6 बच्चे होंगे, बच्चों को में खूब लाड़ प्यार से बड़ा करूंगा। और फिर उनके बड़े हो जाने के बाद उनकी शादी करवा दूंगा। फिर उनके बच्चे होंगे। फिर में अपने पोतों के साथ खुशी-खुशी खेलूँगा।
मियां शेख चिल्ली अपने ख़यालों में लहराते सोचते चले जा रहे थे तभी उनके पैर पर ठोकर लगी और सिर पर रखी हुई अंडों की टोकरी धड़ाम से ज़मीन पर आ गिरी। अंडों की टोकरी ज़मीन पर गिरते ही सारे अंडे फूट कर बरबाद हो गए। अंडों के फूटने के साथ साथ मियां शेख चिल्ली के खयाली पुलाव जैसे सपनें भी टूट कर चूर-चूर हो गए। 🙂
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Sheikh Chilli Ki Kahaniyan #3 – मियां शेख चिल्ली चले लकड़ीयां काटनें
एक बार मियां शेख चिल्ली अपने मित्र के साथ जंगल में लकड़ियाँ कांटने गए। एक बड़ा सा पेड़ देख कर वह दोनों दोस्त उस पर लकड़ियाँ काटने के लिए चढ़ गए। मियां शेख चिल्ली अब लकड़ियाँ काटते-काटते लगे अपनी सोच के घोड़े दौड़ने। उन्होने सोचा कि मै इस जंगल से ढेर सारी लकड़ियाँ काटूँगा। उन लकड़ियों को बाज़ार में अच्छे दामों में बेचूंगा। इस तरह मुझे काफी धन-लाभ होगा।
इस काम से मै कुछ ही समय में अमीर बन जाऊंगा। फिर लकड़ियाँ काटने के लिए ढेर सारे नौकर रख लूँगा। काटी हुई लकड़ियों से फर्नीचर का बिज़नस शुरू करूंगा। कुछ ही दिनों में मै इतना समृद्ध व्यापारी बन जाऊंगा की नगर का राजा मुझ से राजकुमारी का विवाह करवाने के लिए खुद सामने से राज़ी हो जाएगा।
शादी के बाद हम घूमने जायेंगे और एक सुन्दर सी बागीचे में राजकुमारी अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाएंगी…. ख़यालों में खोये हुए मियां शेख चिल्ली ऐसा सोचते-सोचते पेड़ की डाल छोड़ कर सचमुच राजकुमारी का हाथ थामने के लिए अपने हाथ आगे बढाने लगते हैं…तभी अचानक उनका संतुलन बिगड़ जाता है और वो धड़ाम से नीचे ज़मीन पर गिर पड़ते है। ऊंचाई से गिरने पर मियां शेख चिल्ली के पैर की हड्डी टूट जाती है। और साथ-साथ उनके बिना सिर-पैर के खयाली सपनें भी टूट कर बिखर जाते हैं।
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शेख चिल्ली के कारनामे #4 – मियां शेख चिल्ली चले चोरों के संग “चोरी करने”
एक बार अंधेरी रात में मियां शेख चिल्ली अपने घर की ओर चले जा रहे थे। तभी अचानक उनके पास से चार चोर गुज़रे। चुप-चाप दबे पाँव आगे बढ़ रहे चोरों के पास जा कर मियां शेख चिल्ली नें उनसे पूछा कि आप सब इस वक्त कहाँ जा रहे हैं। चोरों नें सोचा कि मियां शेख चिल्ली भी उन्ही की तरह कोई चोर है और साफ-साफ बता दिया कि हम चोर हैं और चोरी करनें जा रहे हैं।
मियां शेख चिल्ली को खयाल आया कि इन लोगों के साथ चला जाता हूँ… कुछ नया सीखने को मिलेगा। यही सोच कर उन्होने चोरों को कहा कि मुझे भी अपने साथ ले चलो।
पहले तो चोरों नें मियां शेख चिल्ली को मना कर दिया , पर बार-बार मिन्नतें करने पर उन्होने उन्हें भी साथ ले लिया। चोरों ने एक रिहाईशी इलाके में बने आलिशाना मकान में चोरी करने का फैसला किया, जिसमे एक अकेली बुढ़िया रहती थी। और फिर चारों घर के अंदर घुस गए और उनके पीछे-पीछे मियां शेख चिल्ली भी हो लिए।
चोरो नें उन्हें हिदायत दी कि जैसा हम कहें वैसा ही करना और हेमशा छुपे रहना।
घर के अंदर आते ही चारों चोर पैसों गहनों और अन्य कीमती चीजों की खोज में लग गए। मियां शेख चिल्ली की यह पहली चोरी थी और वो काफी उत्साहित थे। उन्होने सोचा कि चलो मैं भी घर में कुछ कीमती सामान ढूँढता हूँ और चोरों का हाथ बटाता हूँ।
खोज करते-करते मियां शेख चिल्ली घर के रसोई-घर पर जा पहुंचे। वहाँ से खीर पकने की खुशबू आ रही थी। मियां शेख चिल्ली के मुंह में पानी आ गया, चोरी करने का खयाल अब उनके दिमाग से पूरी तरह से जा चुका था। अब उन्हे किसी भी कीमत पर वह पक रही खीर खानी थी!
मियां शेख चिल्ली दबे पाँव चूल्हे के पास पहुंचे तो उन्होने देखा कि वहीं पास ही में एक बुढ़िया कुर्सी पर बैठी थी, जो शायद खीर पकाते-पकाते सो गयी थी।
खीर के ख्यालों में खोये मियां शेख चिल्ली भूल ही गए कि वो एक चोर हैं, उन्होंने फटा-फट एक प्लेट में खीर निकाली और मजे से खाने लगे।
वो खा ही रहे थे कई तभी अचानक कुरसी पर सो रही बुढ़िया का हाथ सीधा हो कर कुरसी से बाहर की और लहरा गया।
मियां शेख चिल्ली को लगा कि बेचारी बुढ़िया भूखी होगी, इसीलिए हाथ बाधा कर खीर मांग रही है। इसी नेक सोच के साथ उन्होने पतीले से एक प्याला खीर भर कर बुढ़िया के हाथ में रख दिया। गरम खीर के प्याले की तपन से सो रही बुढ़िया तिलमिला उठी। और चोर-चोर चिल्लाने लगी। चिल्लम-चिल्ली होने पर आस-पड़ोस के लोग जमा हो गए।
मियां शेख चिल्ली और चोर बाहर नहीं भाग सकते थे सो घर में ही इधर उधर छुप गए।
जल्द ही एक चोर पकड़ा गया। लोग उसे मार-मार कर सवाल-जवाब करने लगे?
तू यहाँ क्यों आया था?
“ऊपर वाला जाने!”
तूने क्या-क्या चुराया?
“ऊपर वाला जाने!”
इस तरह लोग कुछ भी पूछते चोर यही कहता कि ऊपर वाला यानि अल्लाह जाने।
लोगों ने सोचा कि चलो जाने दो, भले चोर है लेकिन हर बात में अल्लाह को तो याद करता है!
लेकिन तभी धडाम से आवाज़ आई….मियां शेख चिल्ली जो ठीक ऊपर दूछत्ती में छुपे थे नीचे कूद पड़े और चोर को थप्पड़ जड़ते हुए बोले….
“सारा करम तुमने और तुम्हारे तीन साथियो ने किया….लेकिन हर बात में तू मेरा नाम लगा दे रहा है….” ऊपर वाला जाने–ऊपर वाला जाने”…भाइयों मैं कुछ नहीं जानता मैं तो बस ऐसे ही इनके साथ हो लिया था…”
फिर क्या था…लोगों ने बाकी तीनो चोरों को भी खोजा और उनकी धुनाई करने लगे….और मौके का फायदा उठाते हुए मियां शेख चिल्ली पतली गली से निकल लिए! 😛
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Shekh Chilli Short Tales in Hindi #5 – शेख चिल्ली की “चिट्ठी”
एक बार मियां शेख चिल्ली के भाई बीमार पड़ गए। इस बात की खबर पाते ही मियां शेख चिल्ली नें अपनें भाई की खैरियत पूछने के लिए चिट्ठी लिखने की सोची।
पूर्व काल में डाक व्यवस्था और फोन जैसी आधुनिक सुविधाएं थी नहीं तो खत और चिट्ठियाँ मुसाफिर (लोगों) के हाथों ही भिजवाई जाती थीं। मियां शेख चिल्ली नें अपनें गाँव में नाई से चिट्ठी पहुंचानें को कहा, पर उनके गाँव का नाई (चिट्ठियाँ पहुंचाने वाला) पहले से ही बीमार चल रहा था सो उसने मना कर दिया। गाँव में फसल पकी होने के कारण दूसरे अन्य नौकर या मुसाफिर का मिलना भी मुश्किल हो गया।
तब मियां शेख चिल्ली नें सोचा की मै खुद ही जा कर भाई जान को चिट्ठी दे आता हूँ।
अगले ही दिन सुबह-सुबह मियां शेख चिल्ली अपने भाई के घर रवाना हो गए। शाम तक वह उसके घर भी पहुँच गए।
घर का दरवाज़ा खटखटाने पर उनके बीमार भाई तुरंत बाहर आए। मियां शेख चिल्ली नें उन्हे चिट्ठी पकड़ाई और उल्टे पाँव वापसअपने गाँव की और लौटने लगे।
तभी उनके भाई उनके पीछे दौड़े और उन्हे रोक कर बोले –
तू इतनी दूर से आया है तो घर में तो आ मुझ से गले तो मिल। नाराज़ है क्या मुझ से?
यह बोल कर भाई साहब मियां शेख चिल्ली को गले लगाने आगे बढ़े।
तभी मियां शेख चिल्ली नें अपने भाई से दूर हटते हुए कहा कि-
मै आप से नाराज़ बिलकुल नहीं हूँ, पर यह तो मुझे चिट्ठी पहुंचाने वाला “नाई” मिल नहीं रहा था इसलिए आप की खैर खबर पूछने की चिट्ठी देने मुझे खुद आप के गाँव तक यहाँ आना पड़ा।
मियां शेख चिल्ली के भाई ने समझाया कि अब तुम आ ही गए हो तो दो चार दिन रुक कर जाओ। इस बात पर मियां शेख चिल्ली का पारा चढ़ गया। उन्होने मुंह टेढ़ा करते हुए कहा, “भाईजान आप तो अजीब इन्सान है। आप को यह बात समझ नहीं आती की मै यहाँ नाई का फर्ज़ अदा करने आया हूँ। मुझे आप से मिलने आना होता तो मै खुद चला आता, नाई के बदले थोड़े ही आता। 😆
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Pawan Pandey says
Bachpan me village ke pass me ek mela lagta tha wha se ek baar shekhchilli ki book bought Kiya tha and use baar baar padha tha aaj Mobile me padhkar bachpan yaad A gya i miss you childhood
Surbhi pardhi says
Bhut majedar h. 🤣🤣🤣
Amita jain says
Bachpn mei apni ma se suni kahaniya sunkr khub haste थे ab apne grandchildren ko sunakar aur bhi jyada hase, sach bachpan yad aa gaya bahut achi kahaniya h!