सुहागिनों का व्रत करवा चौथ
Karva Chauth Vrat in Hindi
करवा चौथ का पवित्र व्रत सुहागन स्त्रियाँ अपने पति की अच्छी सेहत एवं लम्बी आयु के लिए रखती हैं। यह त्यौहार पौराणिक काल से महिलाओं का मुख्य त्यौहार रहा है। महाभारत युग में भी सती द्रौपदी द्वारा पांचों पांडवों के लिए करवाचौथ व्रत रखे जाने का वर्णन है।
इस दिवस पर महिलाएं अन्न और जल ग्रहण किए बिना पूरा दिन उपवास करती हैं। और जब शाम को आकाश में चंद्रमाँ के दर्शन होते हैं तभी स्त्री करवाचौथ पूजा विधि सम्पन्न कर के जल तथा भोजन ग्रहण करती हैं। सुहागन स्त्रीयां विवाह के बाद करवाचौथ का व्रत 12 वर्ष अथवा 16 वर्ष तक लगातार करती हैं। अगर स्त्री चाहे तो यह पवित्र व्रत आजीवन भी कर सकती है।
करवा चौथ पूजा विधि
नोट: अलग-अलग प्रान्तों में पूजन विधि व नियम में अंतर होते हैं. अतः यदि यहाँ दी गयी विधि आपकी चिरपरिचित विधि से मेल नहीं खा रही तो कोई बात नहीं!
1. ब्रह्म मुहूर्त में सूर्योदय पूर्व उठ कर करवाचौथ व्रत का संकल्प करना है। और सांस द्वारा भेंट की गयी सरगी खाना है। सांस सरगी में पूड़ी, मिठाई, सेंवई और फल भेज सकती हैं या उपस्थित होने पर स्वयम दे सकती हैं। इनके अलावा सांस की तरफ बहू को साज- श्रृंगार सामाग्री भी दी जाती है।
2. सूर्योदय हो जाने पर निर्जला, जल युक्त अथवा जल और फल युक्त करवाचौथ व्रत शुरू करना होता है। इन तीनों में सब से उत्तम निर्जला करवाचौथ व्रत बताया गया है।
3. सारे प्राथमिक कार्य सम्पन्न कर के व्रत रखने वाली स्त्री को सोलह श्रृंगार करने होते हैं। जो आगे इसी लेख में बताए गए हैं।
4. इसके बाद पूजन हेतु चौथ माता की एक छवि रखनी है। अथवा दीवार पर गेरू से उनका चित्र भी बनाया जा सकता है।

चौथ माता
5. अब उसके बाद धूप-बत्ती कर के श्रद्धा भाव से माता की कथा वाचन करना है।
6. माता की कथा सुनने के बाद पीली मिट्टी से माँ गौरी और पुत्र गणेश का चित्र बनाएँ। गणेश जी को माँ गौरी की गोद में बैठा हुआ चित्र बनाएँ। चित्र नहीं बनाना आता है तो ऐसी छवि भी रख सकते हैं। संध्याकाल के समय इस चित्र की पूजा करनी है।
7. रात्री के समय जब चंद्रमाँ उदय हो जाएँ तब छननी की सहायता से चंद्र दर्शन करने हैं। इस प्रक्रिया के बाद सांस ससुर और अन्य घर के बड़ों के पैर छू कर आशीर्वाद लेना है।
8. अब शक्कर का करवा ले कर उसमें चावल भरने हैं। करवा मिट्टी का भी ले सकते हैं। करवे के ऊपर कुछ दक्षिणा रख दें। अब रोली से करवे के ऊपर स्वस्तिक का पवित्र चिन्ह अंकित करें।
9. उसके बाद श्रद्धा पूर्वक गौरी गणेश की पूजा कर के नीचे बताया मंत्र 108 बार जपना है।
मंत्र – “नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥
11. अब करवों का आदान प्रदान करना है। यह प्रक्रिया करने वक्त करवों को एक-दूसरे से टकराने नहीं देना है। यह अपशगुन माना जाता है।
12. पति की लम्बी आयु के लिए किया जाने वाला यह व्रत, अंत में सरगी भेंट देने वाली पति की माता यानि सांस को भेंट दे कर पूर्ण किया जाता है।
करवाचौथ के ज़रूरी नियम
1. यह व्रत केवल सुहागन स्त्रीयों द्वारा रखा जाता है।
2. इस व्रत पर सफेद और काले वस्त्र हरगिज नहीं पहनने चाहिए।
3. करवाचौथ के दिन लाल और पीले वस्त्र पहनना अत्यंत शुभ माना गया है।
4. यह पवित्र व्रत सूर्योदय से ले कर चंद्र उदय तक होता है।
5. करवाचौथ का व्रत निर्जला रह कर या सिर्फ जल ग्रहण कर के रखा जाता है।
6. करवाचौथ के दिन विवाहित स्त्री को सम्पूर्ण शृंगार (सोलह शृंगार) करना चाहिए।
7. इस दिवस चंद्र उदय के बाद स्त्री को पहला निवाला अथवा जल पति के हाथ से ग्रहण करने का रिवाज है।
8. पत्नी अस्वस्थ होने की स्थिति में उनके पति भी यह व्रत रख सकते हैं।
करवाचौथ पर स्त्रीयों के सोलह शृंगार
बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, गजरा, काजल, बिछुए, पाजेब, बाजूबंद, आँखों का अंजन, नथ, कमर बंद, झुमके, गले में हार (मंगल सूत्र), उंगली में अंगूठी, मांग में टीका, बालों में चूड़ा मणि (गजरा)।
चंद्र पूजा
चंद्रमाँ शांति का प्रतीक है। चंद्रमाँ का स्थान भगवान शिव की जटा में है इसी लिए सुहागन स्त्रीयां चंद्र को अध्य देखती हैं। करवाचौथ पर चंद्र दर्शन कर के स्त्रीयां अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और लम्बी आयु की कामना करती हैं। जो स्त्रियाँ चंद्र में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करती हैं उनके सारे पाप नष्ट होते हैं और सभी कष्ट दूर होते हैं, तथा लम्बी आयु प्राप्त होती है।
गणेश पूजा
गणेश पूजा का इस दिन पर विशेष महत्व है। इस बात को समझने के लिए एक पौराणिक कथा भी है। एक वृद्धा नें खूब तपस्या कर के गणेश जी को प्रसन्न किया। वृद्धा से जब गणेशजी नें वरदान मांगने को कहा तो उसने अपने बेटे और बहू से सलाह मशवरा लेने के बाद वरदान मांगने की इच्छा जताई।
गणेश जी अगले दिन वृद्धा के सामने फिर प्रकट हुए। तब वृद्धा नें अच्छा भाग्य, धन धान्य, निरोगी काया, अमर सुहाग, अमर वंश एवं मोक्ष फल का वर मांगा। गणेश जी वृद्धा को तथास्तु कह कर अदृश्य हो गए। उसी दिव्य घटना के बाद से करवाचौथ के दिन गणेश पूजा होनी शुरू हुई, ताकि जो वरदान उस वृद्धा को प्राप्त हुए वैसे ही वरदान गणेश जी करवाचौथ व्रत करने वाली महिलाओं को भी प्रदान करे।
करवा चौथ व्रत कथा / करवा चौथ व्रत की कहानी
करवा चौथ व्रत की कई कथाएँ हैं, जिसमे से यहाँ दी गयी कथा सम्भवतः सबसे प्रसिद्द है.
एक साहूकार था। उसके सात पुत्र थे और एक पुत्री थी। उन सभी संतान के विवाह हो चुके थे। कार्तिक माह पर कृष्ण पक्ष चतुर्थी (करवाचौथ) के दिन सभी सात भाईयों की पत्नी और उनकी इकलौती बहन नें व्रत रखा था। शाम के समय सभी भाई भोजन करने बैठे तो उन्होने अपनी छोटी बहन को भी कुछ खाने को कहा। पर वह व्रत के कारण खाना खाने नहीं बैठी। चाँद अभी निकला नहीं था और सातों भाई की लाड़ली बहन का चेहरा भूख प्यास के मारे मुरझा सा गया था।
इसी लिए उनके भाइयों से रहा नहीं गया, उन्होने घर के बाहर कुछ लकड़ी इकट्ठा कर के अग्नि प्रज्वलित कर दी। और अपनी बहन से कहा की देखो चाँद निकाल आया है, तुम चाँद के अर्ध्य रोशनी को देख कर अपना व्रत पूर्ण कर के कुछ खा लो। छोटी बहन तुरंत दौड़ कर अपनी भाभीयों के पास गयी और उन्हे भी अर्ध्य देख व्रत खोलने को कहा। सातों भाभीयां जानती थी की यह उनके पतियों की युक्ति है। उन्होने अपनी लाड़ली ननन्द को भी समझाया की वह अभी व्रत ना खोले।
परंतु बहन नें अपने भाइयों की बात का विश्वास कर के अपना व्रत खोल लिया। जिस कारण गणेशजी रुष्ट हो गए और कुछ ही समय में उस बहन के पति शारीरक रूप से अस्वस्थ हो गए और उन्हे खूब आर्थिक हानी भी हुई। साहूकार की बेटी को जब इस बात का पता चला कि उसका करवाचौथ का व्रत अपूर्ण रहा था इस कारण यह विपदा आई है तो उसने अगली बार पूरे विधि विधान से करवाचौथ का व्रत किया तब कृपालु गणेश जी नें उनके जीवन के सारे विघ्न हर लिए, और उन्हे फिर से धन-संपन्न कर दिया।
धन्यवाद,
Team AKC
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Bahut achhi post hai
करवा चौथ का व्रत और उससे जुडी इतनी अच्छी जानकारी शेयर करने के लिए धन्यवाद सर. आपके ब्लॉग पर ऐसी ही जानकारिया शेयर करते रहे.
ek bar fir achi jankari post kiya apne, keep updating us
Nice article sir,
करवाचौथ पर अछि जानकरी दी है
बहूत आच्छा व्रत है।
thanks
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Sir first line men स्त्रीयां ki jah स्त्रियां Aayega shayad
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