रिक्शेवाले का बेटा बना IAS officer !
अगर career के point of view से देखा जाए तो India में थ्री आइज़ (3 Is) का कोई मुकाबला नही:
IIT,IIM, और IAS. लेकिन इन तीनो में IAS का रुतबा सबसे अधिक है । हर साल लाखों परीक्षार्थी IAS officer बनने की चाह में Civil Services के exam में बैठते हैं पर इनमे से 0.025 percent से भी कम लोग IAS officer बन पाते हैं । आप आसानी से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि IAS beat करना कितना मुश्किल काम है , और ऐसे में जो कोई भी इस exam को clear करता है उसके लिए अपने आप ही मन में एक अलग image बन जाती है । और जब ऐसा करने वाला किसी बहुत ही साधारण background से हो तो उसके लिए मन में और भी respect आना स्वाभाविक है।
अपने पिता श्री नारायण जैसवाल के साथ गोविन्द
आज AKC पर मैं आपके साथ ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी share कर रहा हूँ जो हज़ारो दिक्कतों के बावजूद अपने दृढ निश्चय और मेहनत के बल पर IAS officer बना ।
IAS Officer Struggle and Success Story in Hindi
ये कहानी है Govind Jaiswal की , गोविन्द के पिता एक रिक्शा -चालक थे , बनारस की तंग गलियों में , एक 12 by 8 के किराए के कमरे में रहने वाला गोविन्द का परिवार बड़ी मुश्किल से अपना गुजरा कर पाता था । ऊपर से ये कमरा ऐसी जगह था जहाँ शोर -गुल की कोई कमी नहीं थी , अगल-बगल मौजूद फक्ट्रियों और जनरेटरों के शोर में एक दूसरे से बात करना भी मुश्किल था।
नहाने -धोने से लेकर खाने -पीने तक का सारा काम इसी छोटी सी जगह में Govind, उनके माता -पिता और दो बहने करती थीं । पर ऐसी परिस्थिति में भी गोविन्द ने शुरू से पढाई पर पूरा ध्यान दिया।
IAS officer के सफलता की कहानी इस विडियो में देखें
अपनी पढाई और किताबों का खर्चा निकालने के लिए वो class 8 से ही tuition पढ़ाने लगे । बचपन से एक असैक्षिक माहौल में रहने वाले गोविन्द को पढाई लिखाई करने पर लोगों के ताने सुनने पड़ते थे । “ चाहे तुम जितना पढ़ लो चलाना तो रिक्शा ही है ” पर गोविन्द इन सब के बावजूद पढाई में जुटे रहते । उनका कहना है-
मुझे divert करना असंभव था ।अगर कोई मुझे demoralize करता तो मैं अपनी struggling family के बारे में सोचने लगता।
आस – पास के शोर से बचने के लिए वो अपने कानो में रुई लगा लेते , और ऐसे वक़्त जब disturbance ज्यादा होती तब Maths लगाते , और जब कुछ शांती होती तो अन्य subjects पढ़ते ।रात में पढाई के लिए अक्सर उन्हें मोमबत्ती, ढेबरी, इत्यादि का सहारा लेना पड़ता क्योंकि उनके इलाके में १२-१४ घंटे बिजली कटौती रहती।
चूँकि वो शुरू से school topper रहे थे और Science subjects में काफी तेज थे इसलिए Class 12 के बाद कई लोगों ने उन्हें Engineering करने की सलाह दी ,। उनके मन में भी एक बार यह विचार आया , लेकिन जब पता चला की Application form की fees ही 500 रुपये है तो उन्होंने ये idea drop कर दिया , और BHU से अपनी graduation करने लगे , जहाँ सिर्फ 10 रूपये की औपचारिक fees थी ।
Govind अपने IAS अफसर बनने के सपने को साकार करने के लिए पढ़ाई कर रहे थे और final preparation के लिए Delhi चले गए लेकिन उसी दौरान उनके पिता के पैरों में एक गहरा घाव हो गया और वो बेरोजगार हो गए । ऐसे में परिवार ने अपनी एक मात्र सम्पत्ती , एक छोटी सी जमीन को 30,000 रुपये में बेच दिया ताकि Govind अपनी coaching पूरी कर सके । और Govind ने भी उन्हें निराश नहीं किया , 24 साल की उम्र में अपने पहले ही attempt में (Year 2006) 474 सफल candidates में 48 वाँ स्थान लाकर उन्होंने अपनी और अपने परिवार की ज़िन्दगी हमेशा -हमेशा के लिए बदल दी ।
Maths पर command होने के बावजूद उन्होंने mains के लिए Philosophy और History choose किया , और प्रारंभ से इनका अध्यन किया ,उनका कहना है कि-
इस दुनिया में कोई भी subject कठिन नहीं है, बस आपके अनादर उसे crack करने की will-power होनी चाहिए।
अंग्रेजी का अधिक ज्ञान ना होने पर उनका कहना था , “ भाषा कोई परेशानी नहीं है , बस आत्मव्श्वास की ज़रुरत है । मेरी हिंदी में पढने और व्यक्त करने की क्षमता ने मुझे achiever बनाया। अगर आप अपने विचार व्यक्त करने में confident हैं तो कोई भी आपको सफल होने से नहीं रोक सकता ।कोई भी भाषा inferior या superior नहीं होती। ये महज society द्वारा बनाया गया एक perception है। भाषा सीखना कोई बड़ी बात नहीं है – खुद पर भरोसा रखो । पहले मैं सिर्फ हिंदी जानता था, IAS academy में मैंने English पर अपनी पकड़ मजबूत की । हमारी दुनिया horizontal है —ये तो लोगों का perception है जो इसे vertical बनता है , और वो किसी को inferior तो किसी को superior बना देते हैं ।”
गोविन्द जी की यह सफलता दर्शाती है की कितने ही आभाव क्यों ना हो यदि दृढ संकल्प और कड़ी मेहनत से कोई अपने लक्ष्य -प्राप्ति में जुट जाए तो उसे सफलता ज़रूर मिलती है । आज उन्हें IAS officer बने 5 साल हो चुके हैं पर उनके संघर्ष की कहानी हमेशा हमें प्रेरित करती रहेगी।
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इस पोस्ट को पढने के बाद खुद Govind Jaiswal जी ने कमेंट किया, इसके लिए हम उनके आभारी हैं. उनकी email id इस बात की पुष्टि करती है कि गोविन्द जी ने खुद ही ये कमेंट किया है और किसी और ने उनके नाम से ये कमेंट नहीं डाला है.
aaj tak jitni bhi baate mere baare me likhi gayi hai,,unme se sabse authentic fact yaha par hai,.i thanks to writer and thanks to all well wisher of mine
क्या है IAS Topper टीना डाबी के सफलता का सबसे बड़ा कारण ?
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AchhiKhabar.Com wishes Govind Jaiswal a life full of achievements.
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I Salute Govind……………..Bahut Khusi Hui ye Story Padhkar
hi sir, I couldn’t read your artical yesterday, now i watched and read your artical.Really it is too much inspiration artical for us. It is said that “LABOUR NVR GONE IN VAIN”. I wanna say that for Govinda “GOD’S MILL GRINDS SLOW BUT SURE”. Govind ji ki ye kahani pad kar mujhe bhi yaqeen hua hai ki uper me jo bat vo sachhhhhhhhhhhhh……..hai And last- me thanks kehna chahungi Govind ji ko ki unhone apni kahani ham sabhi ke sath
share kiiii…………. thank you……….
Reply
such a inspirational story!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! ………salute u Mr.Jaiswal and ur family
Great motivational story of modern time, Congratulations to Mr Govind Jaisawal
Thanks AcchiKhabar.com
Great Story of learning, motivation & dedication for achievement of planned objective.
सफलता=परिश्रम+इच्छाशक्ती
bahut accha laga sir yah jan kar .
this is very good story. this story inspire all people. i like this story and i salute Govind Jaiswal. he make biggest milestone.
गोविन्द जैसे बच्चे अनेक लोगों के लिये प्रेरणास्रोत हैं। कहते हैं-‘भाग्य केवल संयोग पर निर्भर नही होता, बल्कि हम उसे अपने लिये चुनते हैं। वह इंतजार करने की नही हासिल करने की चीज है।” गोविन्द उपरोक्त पंक्ति का साक्षात उदाहरण है।
“Hardworking is the key of success”
Mahanat kerne walo ki kabhi har nahi hoti….
Really Great Thanks for this story…
Aap Govind ji ka Facebook ka page bhi like kar sakte hai..
http://www.facebook.com/GovindJaiswalIAS