बहुत समय पहले की बात है. एक बार एक गुरु जी गंगा किनारे स्थित किसी गाँव में अपने शिष्यों के साथ स्नान कर रहे थे .
तभी एक राहगीर आया और उनसे पूछा , ” महाराज, इस गाँव में कैसे लोग रहते हैं, दरअसल मैं अपने मौजूदा निवास स्थान से कहीं और जाना चाहता हूँ ?”
गुरु जी बोले, ” जहाँ तुम अभी रहते हो वहां किस प्रकार के लोग रहते हैं ?”
” मत पूछिए महाराज , वहां तो एक से एक कपटी, दुष्ट और बुरे लोग बसे हुए हैं.”, राहगीर बोला.
गुरु जी बोले, ” इस गाँव में भी बिलकुल उसी तरह के लोग रहते हैं…कपटी, दुष्ट, बुरे…” और इतना सुनकर राहगीर आगे बढ़ गया.
कुछ समय बाद एक दूसरा राहगीर वहां से गुजरा. उसने भी गुरु जी से वही प्रश्न पूछा , ”
मुझे किसी नयी जगह जाना है, क्या आप बता सकते हैं कि इस गाँव में कैसे लोग रहते हैं ?”
” जहाँ तुम अभी निवास करते हो वहां किस प्रकार के लोग रहते हैं?”, गुरु जी ने इस राहगीर से भी वही प्रश्न पूछा.
” जी वहां तो बड़े सभ्य , सुलझे और अच्छे लोग रहते हैं.”, राहगीर बोला.
” तुम्हे बिलकुल उसी प्रकार के लोग यहाँ भी मिलेंगे…सभ्य, सुलझे और अच्छे ….”, गुरु जी ने अपनी बात पूर्ण की और दैनिक कार्यों में लग गए. पर उनके शिष्य ये सब देख रहे थे और राहगीर के जाते ही उन्होंने पूछा , ” क्षमा कीजियेगा गुरु जी पर आपने दोनों राहगीरों को एक ही स्थान के बारे में अलग-अलग बातें क्यों बतायी.
गुरु जी गंभीरता से बोले, ” शिष्यों आमतौर पर हम चीजों को वैसे नहीं दखते जैसी वे हैं, बल्कि उन्हें हम ऐसे देखते हैं जैसे कि हम खुद हैं. हर जगह हर प्रकार के लोग होते हैं यह हम पर निर्भर करता है कि हम किस तरह के लोगों को देखना चाहते हैं.”
शिष्य उनके बात समझ चुके थे और आगे से उन्होंने जीवन में सिर्फ अच्छाइयों पर ही ध्यान केन्द्रित करने का निश्चय किया.
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Thanks sir ji.aapki is site. Zindgi hi badal di .apki her story Ka be Sabri she in tzar karts hu.dil she thank you……
ye story bahut hi achhi hai or sikshapard hai…
एक शिक्षाप्रद एवं जागरूक करने वाली कहानी. ज़िंदगी में बहुत कुछ हमारे नज़रिये पर निर्भर करता है. अगर अगर हमारा नजरिया सकारात्मक है तो हमें चीजें अच्छी एवं सकारात्मक लगती हैं और अगर हमारा नजरिया नकारात्मक है तो वही चीजें हमें बुरी एवं नकारात्मक लगती हैं. “अच्छे लोग, बुरे लोग” कहानी हमें अपने नजरिए को अच्छा बनाने की प्रेरणा देती है.
इस कहानी में एक बात बहुत पसंद आयी “आमतौर पर हम चीजों को वैसे नहीं दखते जैसी वे हैं, बल्कि उन्हें हम ऐसे देखते हैं जैसे कि हम खुद हैं. हर जगह हर प्रकार के लोग होते हैं यह हम पर निर्भर करता है कि हम किस तरह के लोगों को देखना चाहते हैं.”
aap ka yah prayas sarahaniy hai.aap esh taraha mulya aour charitra ko ujagar karne wali kahaniya dete rahe.yehi aaj ki sabse badi jarurat hai.ALL THE BEST
Mujhe aapki kahani bahut acchi lagi mai apne jivan me achhai par hi dhiyan kendrit karunga..thank you for the story i pray to god for you ……
Bahut acchi kahani hai sir par duniya bharst hai
bahut hi shiksha dene wali kahani hai
achchhi kahni hai logon aisi kahaniyon se siksha leni cahiye manak ko hamesa equal rakhna chaiye.
very true .its a fact ,.all of this depends upon us .
bahot achhe sir ji