एक बार की बात है , एक नौविवाहित जोड़ा किसी किराए के घर में रहने पहुंचा . अगली सुबह , जब वे नाश्ता कर रहे थे , तभी पत्नी ने खिड़की से देखा कि सामने वाली छत पर कुछ कपड़े फैले हैं , – “ लगता है इन लोगों को कपड़े साफ़ करना भी नहीं आता …ज़रा देखो तो कितने मैले लग रहे हैं ? “
पति ने उसकी बात सुनी पर अधिक ध्यान नहीं दिया .
एक -दो दिन बाद फिर उसी जगह कुछ कपड़े फैले थे . पत्नी ने उन्हें देखते ही अपनी बात दोहरा दी ….” कब सीखेंगे ये लोग की कपड़े कैसे साफ़ करते हैं …!!”
पति सुनता रहा पर इस बार भी उसने कुछ नहीं कहा .
पर अब तो ये आये दिन की बात हो गयी , जब भी पत्नी कपडे फैले देखती भला -बुरा कहना शुरू हो जाती .
लगभग एक महीने बाद वे यूँहीं बैठ कर नाश्ता कर रहे थे . पत्नी ने हमेशा की तरह नजरें उठायीं और सामने वाली छत
की तरफ देखा , ” अरे वाह , लगता है इन्हें अकल आ ही गयी …आज तो कपडे बिलकुल साफ़ दिख रहे हैं , ज़रूर किसी ने टोका होगा !”
पति बोल , ” नहीं उन्हें किसी ने नहीं टोका .”
” तुम्हे कैसे पता ?” , पत्नी ने आश्चर्य से पूछा .
” आज मैं सुबह जल्दी उठ गया था और मैंने इस खिड़की पर लगे कांच को बाहर से साफ़ कर दिया , इसलिए तुम्हे कपडे साफ़ नज़र आ रहे हैं . “, पति ने बात पूरी की .
ज़िन्दगी में भी यही बात लागू होती है : बहुत बार हम दूसरों को कैसे देखते हैं ये इस पर निर्भर करता है की हम खुद अन्दर से कितने साफ़ हैं . किसी के बारे में भला-बुरा कहने से पहले अपनी मनोस्थिति देख लेनी चाहिए और खुद से पूछना चाहिए की क्या हम सामने वाले में कुछ बेहतर देखने के लिए तैयार हैं या अभी भी हमारी खिड़की गन्दी है !
——————-
This story was suggested by Viplav Modi , Indore . Thanks Viplav.
यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id:[email protected].पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!
swamishishuvidehananda sarswti tiwarimaharaj karanjalad datt.maharashtra. says
‘kahani__akdam_achhi”aur”’bodha’dayak_hai_khaskar…un…logo…ke…liye…jo…hamesha…dusro…me…”khamiya ”’dekhte…hai…{ ename_midiya_vale_bhi_hai_’jo’bager..soche..samze..kisi..ko..bhi..”chhap”dete…hai…}
rajni sadana says
हमेशा की तरह ही एक अच्छी कहानी |
मित्रों,गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है -“जाकी रही भावना जैसी ,प्रभु मूरत देखी तिन तैसी |”
आभार
रजनी सडाना
S.V,Iyer says
Simply super and a good thought to maintain neat and clean to save a good and happiness life without disease.
Thanks.
With regards
PARAM GAJBIHYE says
sahi hai sir.
Brij Bhushan Gupta, New Delhi, 9810360393 says
Very Nice Article & हम जैसा चश्मा पहनेंगे दुनिया वैसी ही हमें नजर आएँगी !
Deependra singh says
awesome sir
sagar says
thanks gopal, to give your message through this beautiful story.
Mukesh Tiwari says
Thanks!
shubham shringi says
very nice……..nd sir ji dusro m kmiya nikalna bhut aasaan hota h……..
Dr.Paritosh V Trivedi says
हमेशा की तरह बहुत ही सुन्दर एवम प्रेरनादायी लेख. हम जैसा चश्मा पहनेंगे दुनिया वैसी ही हमें नजर आएँगी !
Gopal Mishra says
Sahi kaha aapne. !