जापान के ओसाका शहर के निकट किसी गाँवों में एक जेन मास्टर रहते थे। उनकी ख्याति पूरे देश में फैली हुई थी और दूर-दूर से लोग उनसे मिलने और अपनी समस्याओं का समाधान कराने आते थे।
एक दिन की बात है मास्टर अपने एक अनुयायी के साथ प्रातः काल सैर कर रहे थे कि अचानक ही एक व्यक्ति उनके पास आया और उन्हें भला-बुरा कहने लगा। उसने पहले मास्टर के लिए बहुत से अपशब्द कहे , पर बावजूद इसके मास्टर मुस्कुराते हुए चलते रहे। मास्टर को ऐसा करता देख वह व्यक्ति और भी क्रोधित हो गया और उनके पूर्वजों तक को अपमानित करने लगा। पर इसके बावजूद मास्टर मुस्कुराते हुए आगे बढ़ते रहे। मास्टर पर अपनी बातों का कोई असर ना होते हुए देख अंततः वह वयक्ति निराश हो गया और उनके रास्ते से हट गया।
उस वयक्ति के जाते ही अनुयायी ने आस्चर्य से पुछा ,” मास्टर आपने भला उस दुष्ट की बातों का जवाब क्यों नहीं दिया , और तो और आप मुस्कुराते रहे , क्या आपको उसकी बातों से कोई कष्ट नहीं पहुंचा ?”
जेन मास्टर कुछ नहीं बोले और उसे अपने पीछे आने का इशारा किया।
कुछ देर चलने के बाद वे मास्टर के कक्ष तक पहुँच गए।
मास्टर बोले , ” तुम यहीं रुको मैं अंदर से अभी आया। “
मास्टर कुछ देर बाद एक मैले कपड़े लेकर बाहर आये और उसे अनुयायी को थमाते हुए बोले , ” लो अपने कपड़े उतारकर इन्हे धारण कर लो ?”
कपड़ों से अजीब सी दुर्गन्ध आ रही थी और अनुयायी ने उन्हें हाथ में लेते ही दूर फेंक दिया।
मास्टर बोले , ” क्या हुआ तुम इन मैले कपड़ों को नहीं ग्रहण कर सकते ना ? ठीक इसी तरह मैं भी उस व्यक्ति द्वारा फेंके हुए अपशब्दों को नहीं ग्रहण कर सकता।
इतना याद रखो कि यदि तुम किसी के बिना मतलब भला-बुरा कहने पर स्वयं भी क्रोधित हो जाते हो तो इसका अर्थ है कि तुम अपने साफ़-सुथरे वस्त्रों की जगह उसके फेंके फटे-पुराने मैले कपड़ों को धारण कर रहे हो। “
—————– एक से बढ़कर एक हिंदी कहानियों का विशाल संग्रह ——————-
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Anu Bhardwaj says
Very nice story. Really motivational.Thanks for sharing.
Br Raksun says
मैले कपडे, अपश्ब्द, गालियाँ, बुरी आदतें और क्रोध – ये सभी एक समान हैं। गंदे कपडे पहनना नहीं चाहोगे, पर गंदी बातों से दूर नहीं रहोगे। यह कैसी बात ? गंदगी कपडों की हो या बातों की, एक जैसी है। इस कहानी के मूल को समझने वाले इन बुराइयों से दूर रहने का प्रयत्न करेंगे, वरना शिक्षादायक कहानियों का उद्देश्य पूरा नहीं होता।